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कट्टर भारत विरोधी नाना और इंदिरा गांधी की फैन मां… हिंदुस्तान से कैसा था बिलावल के परिवार का रिश्ता?

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो अगले महीने भारत आ रहे हैं। 4 और 5 मई को वह गोवा में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में हिस्सा लेंगे। बिलावल भुट्टो पाकिस्तान के उस राजनीतिक परिवार से आते हैं जिसके भारत के साथ उतार-चढ़ाव से भरे संबंध रहे हैं। उनकी मां बेनजीर भुट्टो दो बार पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रह चुकी हैं। उनके नाना जुल्फिकार अली भुट्टो पाकिस्तान के विदेश मंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति रह चुके हैं। बिलावल अक्सर अपने भारत विरोधी बयानों के लिए सुर्खियों में रहते हैं। भुट्टो परिवार का इतिहास भी ‘भारत विरोध’ से भरा रहा है। जुल्फिकार अली भुट्टो की पूरी राजनीति खुद को ‘कट्टर भारत विरोधी’ साबित करने पर केंद्रित थी जिसका सबूत उनके बयानों से मिलता है। हालांकि बेनजीर भुट्टो भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को अपना आदर्श मानती थीं। आइए जानते हैं बिलावल भुट्टो के परिवार का भारत से क्या और कैसा रिश्ता था?


जुल्फिकार अली भुट्टो की मां लाखी बाई एक हिंदू राजपूत महिला थीं जो शाहनवाज भुट्टो से शादी करके खुर्शीद बेगम बन गईं। चूंकि शाहनवाज भुट्टो की बॉम्बे में ढेर सारी संपत्ति थी इसलिए उन्होंने अपने बेटे जुल्फिकार को पढ़ने के लिए बॉम्बे के कैथेडरल स्कूल भेजा। 1947 में जब भारत आजाद हुआ तब शाहनवाज जूनागढ़ रियासत के दीवान थे। जूनागढ़ जब भारत का हिस्सा बना तो शाहनवाज पाकिस्तान चले गए।

भारत की खिलाफत से शुरू हुई राजनीति

बिलावल के नाना जुल्फिकार अली भुट्टो पर जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ कराने का आरोप लगा था जिसे ‘ऑपरेशन जिब्राल्टर’ के नाम से जाना जाता था। पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री भुट्टो ने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद 1966 में हुए ताशकंद समझौते का विरोध किया था। यह समझौता भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल अय्यूब खान के बीच हुआ था। जानकार कहते हैं कि इस विरोध के साथ ही भुट्टो की ‘लोकप्रिय राजनीति’ शुरू हुई थी। 1967 में भुट्टो ने एक रैली में कहा कि ‘हम 1 हजार साल तक भारत के साथ युद्ध लड़ेंगे’। उन्होंने 1960 के दशक की भारत विरोधी लहर का पूरा फायदा उठाया।


जुल्फिकार अली भुट्टो के भारत विरोध का कारण

15 दिसंबर 1971 को भारत ने पूर्वी पाकिस्तान पर जीत हासिल की और बांग्लादेश अस्तित्व में आया। बड़ी संख्या में पाकिस्तानी सैनिकों ने भारत के आगे सरेंडर कर दिया। अमेरिका में बैठे भुट्टो ने संयुक्त राष्ट्र में इस समझौते के कागज को फाड़ दिया और बैठक से बाहर निकल गए। साल 1974 में जब भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण किया तो पाकिस्तान के होश उड़ गए। भुट्टो का वह बयान काफी मशहूर है जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘पाकिस्तान घास खा लेगा, जमीन पर सो लेगा लेकिन भारत के खिलाफ परमाणु बम जरूर बनाएगा’। जानकारों की मानें तो भुट्टो पंजाब में लोकप्रिय होने के लिए अपनी छवि एक ‘कट्टर भारत विरोधी’ नेता के रूप में स्थापित करना चाहते थे।

इंदिरा गांधी को आदर्श मानती थीं बेनजीर

जुल्फिकार अली भुट्टो की बेटी और बिलावल भुट्टो की मां बेनजीर भुट्टो दो बार पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रहीं। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार बेनजीर तीन लोगों को अपना आदर्श मानती थीं- अपने पिता जुल्फिकार अली भुट्टो, फ्रांस की वीरांगना जोन ऑफ आर्क और भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी। बेनजीर के संबंध कई भारतीय नेताओं जैसे- पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी से काफी अच्छे थे। वह भारत के साथ बेहतर रिश्तों की पक्षधर थीं। कहा जाता है कि उनके भारत के प्रति रुझान से पाकिस्तानी मौलाना नाखुश थे और उन्हें ‘भारत का खुफिया एजेंट’ बताते थे।

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