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नरसंहार की तुलना मर्डर से नहीं… बिलकिस केस में सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कही सेब-संतरे वाली बात

नई दिल्ली: 21 साल की बिलकिस बानो उस समय गर्भवती थीं, जब उनके साथ गैंगरेप हुआ। हिंसक भीड़ ने परिवार के 7 लोगों की हत्या कर दी, जिसमें एक मासूम बच्ची भी थी। 2002 गुजरात दंगे के इस जघन्य कांड के 11 दोषियों को रिहा किए जाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है तो केंद्र और गुजरात सरकार बिलकिस फाइल दिखाने में झिझक रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर हैरानी जताई है। दोनों सरकारों ने मंगलवार को सूचनाओं पर विशेषाधिकार का दावा किया तो सुप्रीम कोर्ट को कहना पड़ा कि अपराध की गंभीरता पर विचार किया जा सकता था। सरकारों ने कहा कि वे 27 मार्च के SC आदेश की समीक्षा के लिए याचिका दायर करने वाले हैं, जिसमें स्टेट को दोषियों की सजा में छूट देने की मूल फाइल तैयार रखने को कहा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस की याचिका पर कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां की हैं। सेब और संतरे के साथ हत्या और नरसंहार का जिक्र करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि इसकी तुलना नहीं की जा सकती है। आगे पढ़िए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की 5 बड़ी टिप्पणियां।
1. एक प्रेग्नेंट महिला से गैंगरेप किया गया और कई लोगों की हत्या कर दी गई। आप पीड़िता के मामले की तुलना धारा 302 (मर्डर) के सामान्य मामले से नहीं कर सकते हैं। जैसे, आप सेब की तुलना संतरे से नहीं कर सकते, उसी प्रकार से नरसंहार की तुलना एक मर्डर से नहीं की जा सकती है।

क्षमा एक प्रकार की कृपा है, जो अपराध के हिसाब से होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट (बिलकिस बानो केस में)

2. इनका रेकॉर्ड देखिए: इनमें (11 दोषियों) से एक को 1,000 दिनों के लिए परोल दी गई, दूसरे को 1,200 दिनों के लिए और तीसरे को 1,500 दिनों के लिए परोल मिली। आप (गुजरात सरकार) कौन सी पॉलिसी का पालन कर रहे हैं?

3. आज बिलकिस है, लेकिन कल कोई भी हो सकता है। आप या मैं भी हो सकता हूं। सवाल यह है कि क्या सरकार ने अपना दिमाग लगाया? और किस सामग्री के आधार पर छूट देने का फैसला किया।आपको फाइल्स दिखाने में समस्या क्या है? शायद आपने कानून के तहत ही काम किया होगा, तो फिर झिझक क्यों रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट

5. अपराध आमतौर पर समाज और समुदाय के खिलाफ किए जाते हैं। अगर आप सजा में छूट देने के अपने कारण नहीं बताते हैं, तो हम अपने निष्कर्ष निकालेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस मामले में दोषियों को छूट देने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के निस्तारण के लिए अब 2 मई की तारीख मुकर्रर की है। कोर्ट ने सभी दोषियों से जवाब दाखिल करने को कहा है। केंद्र और राज्य सरकारें समीक्षा याचिका भी दाखिल कर सकती हैं। अदालत ने उनसे अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है।

इससे पहले देश की सबसे बड़ी अदालत ने गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस से गैंगरेप और परिवार के सदस्यों की हत्या को ‘भयावह’ कृत्य करार दिया था। 27 मार्च को SC ने गुजरात सरकार से पूछा था कि क्या 11 दोषियों को सजा में छूट देते समय हत्या के दूसरे मामलों में अपनाए गए समान मानक अपनाए गए? गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आगजनी के बाद दंगे भड़क गए थे। बानो के सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने सजा में छूट दी और पिछले साल 15 अगस्त को रिहा कर दिया गया।

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