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चीन को पछाड़ना इतना आसान नहीं, ये कैसा आइना दिखा रहे रघुराम राजन

नई दिल्ली: कोरोना की मार झेल रहे चीन की अर्थव्यवस्था साल 2022 में 3 फीसदी रही। 40 सालों में चीन की विकास दर सबसे कमजोर रही है। चीन थोड़ा कमजोर हुआ तो भारत को इसका रिप्लेसमेंट बताया जा रहा है। लेकिन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने इसकी अलग तस्वीर पेश की है। वर्ल्ड इकोनॉमी फोरम में रघुराम राजन ने कहा कि चीन की जगह लेने की बात करना अभी अपरिपक्वता है। हालांकि उन्होंने कहा कि भविष्य में स्थिति बदल सकती है।

भारत दुनिया की पांचवीं अर्थव्यवस्था

डब्ल्यूईएफ में बोलते हुए रघुराम राजन ने कहा कि इस बार में कोई संदेह नहीं है कि भारत ग्लोबल लीडर के तौर पर उभर रहा है। कई विदेशी कंपनियां भारत आने के लिए अपनी रूचि दिखा रही है। लेकिन जहां तक ये कहा जा रहा है कि भारत चीन को रिप्लेस कर देगा, तो इसमें थोड़ी जल्दीबाजी होगी। उन्होंने इसके लिए कई दलील भी दी। उन्होंने कहा कि चीन अपने जीरो कोविड पॉलिसी के कारण मुश्किल दौर से गुजर रहा था, लेकिन अब उसनें सुधार जारी है। उन्होंने कहा कि चीन इस वक्त कोरोना महामारी से जूझ रहा है, लेकिन मार्च-अप्रैल तक उसकी स्थिति में सुधार दिखने लगेगा।

बदल सकते हैं हालात

उन्होंने कहा कि ये सोच लेना कि भारत चीन की जगह ले लेगा, ये बहुत जल्दबादी होगी। भारत की इकोनॉमी चीन के मुकाबले बहुत छोटी है। चीन तक पहुंचने में अभी समय लगेगा, लेकिन समय के साथ स्थिति बदल जाएगी। दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमी फोरम में उन्होंने कहा कि भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इसमें विकास की रफ्तार जारी है। अगर सुधार इसी तरह से जारी रहे तो आने वाले दिनों में स्थिति बदल सकती है। उन्होंने कहा कि मौजूदा वक्त में हमारी निगाहें श्रम बाजार के साथ-साथ हाउसिंग सेक्टर पर भी है। उन्होंने वैश्विक मंदी की आशंका भी जाहिर की। साथ ही ये भी कहा कि चीन की इकोनॉमी में सुधार से ग्लोबल इकोनॉमी की संभावनाएं भी मजबूत होगी। चीन की इकोनॉमी में सुधार के साथ ही उसके मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भी सुधार होगा, जिसका लाभ दूसरे देशों भी कीमतों को नियंत्रित करने में मिलेगा। चीन वर्ल्ड फैक्ट्री के तौर पर खुद को स्थापित कर चुकी है। ऐसे में इसकी इकोनॉमी का प्रभाव दुनिया के अलग-अलग देशों पर पड़ता है।


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