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पीएम मोदी ने मंत्रिमंडल विस्तार से दिया यह बड़ा संदेश

नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेत का विस्तार और फेरबदल कर कई सियासी संदेश दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में बड़े फेरबदल कर मंत्रियों को जवाबदेह बनाने और और केंद्र सरकार के कामकाज को दुरुस्त करने का स्पष्ट संकेत दिया है। जिस प्रकार से छह कैबिनेट मंत्रियों समेत 12 मंत्रियों को हटाया गया है और सात राज्य मंत्रियों को प्रोन्नत कर कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। उसके पीछे साफ संदेश है कि अच्छा काम करने वालों के बहुत मौके हैं, लेकिन यदि प्रदर्शन पर खरे नहीं उतरे तो फिर कैबिनेट में ज्यादा समय तक बने नहीं रह सकते। राजनीतिक जानकारों के अनुसार, इस फेरबदल के पीछे कई कारण जुड़े हो सकते हैं।

यदि हालात सामान्य रहे होते तो बहुत पहले ही एक फेरबदल हो चुका होता। अब पूरे दो साल के बाद हो रहा है, इसलिए स्वभावित रूप से फेरबदल बड़ा करना पड़ा। इस फेरबदल में पश्चिम बंगाल के चुनाव के नतीजों, कोरोना महामारी से प्रभावित हुई सरकार की छवि तथा उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में आने वाले चुनावों का भी काफी प्रभाव पड़ा है। मोदी के नेतृत्व वाली पिछली सरकार और इस सरकार के कामकाज की तुलना करें तो यह लगातार यह संदेश जा रहा था कि केंद्र सरकार पहले की भांति काम नहीं कर रही है। कई मंत्रालयों के ढीले-ढाले रवैये से यह चुनौती बढ़ती हुई दिख रही थी। यह भी कहा जा रहा था कि जो कार्य केंद्र में हो रहे हैं, वे उस रूप में जनता तक नहीं पहुंच पा रहे हैं, जिस प्रकार पहुंचाए जाने चाहिए थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्यों के चुनावों में स्थानीय मुद्दों के अलावा केंद्र सरकार की विकास योजनाओं को भी एक प्रमुख आधार बनाए जाने के पक्षधर रहे हैं। यह माना जा रहा है कि बंगाल चुनावों में हार के बाद कोरोना की दूसरी लहर से सरकार के प्रति नकारात्मक माहौल में बढ़ोत्तरी हुई है। इसे दूर करने के लिए हालांकि आने वाले दिनों में कई और कदम भी उठाने होंगे, लेकिन मंत्रिमंडल में बड़े बदलाव करने को एक बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है। फेरबदल में पूर्व नौकरशाहों, युवाओं एवं अनुभवी मंत्रियों को तरजीह देकर पहले से बेहतर टीम बनाने की कोशिश की गई है। जानकारों के अनुसार, जिस प्रकार से कई दिग्गज कैबिनेट मंत्रियों को हटाया गया है, उसमें साफ संकेत है कि सिर्फ वरिष्ठता के कारण कोई मंत्री बने नहीं रह सकता है। ऐसा लगातार दिख रहा था कि कई वरिष्ठ मंत्रियों में जवाबदेही की भावना घट रही है, इसलिए उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया।

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