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फल-सब्जियों के जूस ज्यादा पीते हैं तो अलर्ट हो जाएं, ताजगी देने के बदले बीमार कर सकता है यह

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के कहर के बाद हर कोई अपनी सेहत को लेकर जागरूक है। कई लोग ज्यादा से ज्यादा मात्रा में फलों और सब्जियों के रस का जूस पीते हैं, उन्हें लगता है कि यह सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होगा, मगर ऐसा नहीं है। ज्यादा जूस का सेवन आपके शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। दरअसल डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि शरीर को ‘डिटॉक्स’ (विषमुक्त) करने के लिए कच्चे फलों और सब्जियों का काढ़ा या जूस ज्यादा मात्रा में पीने से स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच सकता है। बता दें कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बाहरी सफाई की ही तरह शरीर को अंदर से साफ करते रहना भी आवश्यक माना जाता है, इसे डिटॉक्सिफिकेशन कहा जाता है। इस प्रक्रिया में शरीर के अंदर जमा विषाक्त और अपशिष्टों को बाहर निकाला जाता है, जिससे शरीर के सभी अंग स्वस्थ और विषमुक्त रह सकें। अधिकांश लोग शरीर को विषमुक्त करने के लिए फलों और सब्जियों का जूस पीते हैं।


‘इंटरनेट पर वायरल जानकारी पर भरोसा ना करें’

हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, आमतौर पर पार्कों के बाहर सुबह की सैर करने वालों और जॉगर्स को फलों और सब्जियों का जूस बेचा जाता है। एक्सपर्ट का कहना है कि इंटरनेट पर कुछ स्वयंभू स्वास्थ्य गुरु ज्यादा मात्रा में फलों और सब्जियों के जूस के सेवन को लीवर के लिए फायदमेंद बताते हैं, जबकि ज्यादा समय तक जूस का सेवन करने से शरीर के कई अगोंं को नुकसान पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि किडनी की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए भी यह हानिकारक हो सकता है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर के सीनियर कंसल्टेंट, नेफ्रोलॉजिस्ट और किडनी ट्रांसप्लांट फिजिशियन डॉ. राजेश गोयल ने बताया कि साइट्रस फलों के साथ-साथ ऑक्सालेट युक्त खाद्य पदार्थ जैसे कि पालक और चुकंदर का सेवन करने से किडनी के डैमेज होने का खतरा ज्यादा होता है। उनका कहना है कि इनमें विटामिन सी का उच्च स्तर होता है। फल शरीर में ऑक्सालेट की मात्रा को बढ़ा सकते हैं। इसलिए आमतौर पर ऑक्सालेट युक्त खाद्य पदार्थों को कम मात्रा में खाने की सलाह दी जाती है और खट्टे फलों के साथ इनका सेवन करने से बचें। उन्होंने कहा है जब ज्यादा मात्रा में जूस का सेवन किया जाता है तो शरीर में ऑक्सालेट क्रिस्टल बना सकता है जो किडनी में जमा हो सकता है। जिससे पथरी और अन्य बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। एक्सपर्ट का कहना है कि हर कोई अतिसंवेदनशील नहीं होता है। यह खतरा उम्र, लिंग और आनुवंशिकी जैसे कारकों पर भी निर्भर करता है। एक्सपर्ट का कहना है कि अगर कोई पेट में दर्द, पेशाब में खून आना या पेशाब करने में कठिनाई जैसे लक्षण दिखते हैं, तो उन्हें डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

किडनी के पेशंट्स को ज्यादा खतरा

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स ओखला के प्रमुख निदेशक, नेफ्रोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट एक्सपर्ट डॉ. संजीव गुलाटी ने कहा कि रोजाना हरी पत्तियों, चुकंदर और खट्टे फलों का एक गिलास रस स्वस्थ व्यक्तियों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता है, मगर किडनी के पेशंट को इसका सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह पोटेशियम और फास्फोरस भी समस्या को बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि इंटरनेट पर वायरल स्वास्थ्य से जुड़ी भ्रामक जानकारी को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं हैं। उधर बीएलके-मैक्स सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के नेफ्रोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांट के निदेशक डॉ. विशाल सक्सेना ने कहा कि जूस लीवर के लिए तो अच्छा हो सकता है, लेकिन अन्य अंगों के लिए नुकसानदायक होता है।

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