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केंद्र सरकार ने मान ली सुप्रीम कोर्ट की एक मांग और गदगद हो गए चीफ जस्टिस चंद्रचूड़

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की एक ऐसी मांग मांग ली है जिसके बाद चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ काफी गदगद दिखाई दे रहे हैं। असल में सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से ई-कोर्ट प्रोजेक्ट और न्यायिक बुनियादी ढांचे की जरूरत के लिए 7000 करोड़ रुपये की मांग की थी जिसे सरकार ने मान लिया है। CJI ने कहा कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट को गंभीरता से लेता है। इसी के चलते उसने आगामी ई-कोर्ट प्रोजेक्ट और बुनियादी ढांचे के लिए 7000 करोड़ की मांग को मान लिया है। उन्होंने कहा कि अच्छी बात यह रही कि सरकार ने इसमें से एक पैसे की कटौती नहीं की है बल्कि बाकी विभाग के लिए बजट में कटौती की गई है।

सरकार ने मान ली मांग और खुश हो गए चंद्रचूड़
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने सरकार के इस कदम की तारीफ करते हुए कहा कि मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट को गंभीरता से लेती है। हमने ई-कोर्ट और न्यायिक बुनियादी ढांचे की जरूरत को देखते हुए डिटेल प्रोजेक्ट के लिए 7000 करोड़ रुपये की मांग की थी। सरकार ने हमारे प्रोजेक्ट के लिए पूरे 7000 करोड़ स्वीकृत कर दिए और इसमें एक पैसे की भी कटौती नहीं की। उन्होंने आगे कहा कि वहीं बाकी विभाग की बात करें तो उनके लिए सरकार ने बजट में कटौती की है। असल में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने शीर्ष अदालत में याचिका डाल रखी थी। इसमें हजारों एडवोकेट के लिए चैंबर स्पेस बनवाने के लिए भूमि का अधिग्रहण करने की मांग की गई थी। इस मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने यह बातें कही थीं।

हम सरकार को बुलडोज नहीं कर सकते- सीजेआई
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने वकीलों के लिए जल्द से जल्द चेंबर स्पेस बनाने की मांग दोहराई। उन्होंने कहा कि दशकों से कई लोग इसका इंतजार कर रहे हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट, महिला वकीलों और बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी वही मांग की। बेंच ने सुनवाई करत हुए कहा कि वकील इस संस्था के भाग हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट कोई फैसला सुनाता है तो इससे लगेगा कि न्यायिक ताकतों का इस्तेमाल अपने खुद के हित के लिए किया जा रहा है। आप कोर्ट पर विश्वास करिए। वह आपकी जरूरतों को प्रशासनिक तरह से सरकार के सामने रखेगी। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम सरकार को बुलडोज नहीं कर सकते। हम सरकार के साथ वकीलों की जरूरत और उनकी बुनियादी जरूरत पर बात करेंगे।

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