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50 साल बाद बड़ा फैसला, चीन बॉर्डर पर तैनात जवानों को मिलेगा मोटे अनाज का नाश्ता

नई दिल्ली: भारतीय सैनिकों को अब राशन में मोटा अनाज (मिलेट) भी मिलेगा। चीन से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तैनात सैनिकों को मोटे अनाज से बना खास नाश्ता दिया जाएगा। इसके लिए भारतीय सेना के शेफ को बाकायदा ट्रेनिंग दी जा रही है, जिससे वे मोटे अनाज से हेल्दी और टेस्टी डिश बना सकें। सेना की कैंटीन और अन्य जगहों पर भी ज्यादा से ज्यादा मोटे अनाज की डिश परोसी जाएंगी। ऐसे में यह जानना महत्वपूर्ण है कि यह इतना अहम क्यों है। दरअसल, मोटा अनाज स्वास्थ्यवर्द्धक होने के साथ प्रोटीन का अच्छा स्रोत है। इससे आलस और गलत खानपान से होने वाली लाइफस्टाइल डिजीज भी कम करने में मदद मिलती है। सैनिकों को राशन में मोटा अनाज देने का मकसद उन्हें हेल्दी खुराक देना और स्वस्थ रखना है। भारत के प्रयास से इस साल को इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर घोषित किया गया है। मोटा अनाज भारत की परंपरागत फसलों में है। यह भारतीय आबोहवा और भौगोलिक स्थिति में आसानी से पैदा होता है। इनमें ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू आते हैं।


आधी सदी के बाद फिर से सैनिकों को यह परंपरागत अनाज मिलेगा। पहले सैनिकों को जो राशन मिलता था, उसमें मोटा अनाज होता था। लेकिन 50-55 साल पहले मोटे अनाज की जगह गेहूं के आटे ने ले ली और फिर राशन में यही दिया जाने लगा। सेना अब फिर से सैनिकों के राशन में मिलेट शामिल कर रही है। सेना के मुताबिक, अब हर सैनिक और हर रैंक के अधिकारी के खाने में रोज मोटा अनाज शामिल होगा। सेना ने मिलेट्स का आटा खरीदने के लिए सरकार से अनुमति मांगी है।
2023-24 में कितनी खरीद
सैनिकों के लिए साल 2023-24 और इससे आगे के लिए जो भी चावल या आटा खरीदा जाएगा, वह कुल राशन का 25% से ज्यादा नहीं होगा। सैनिकों को प्राथमिकता के आधार पर बाजरा, ज्वार और रागी का आटा दिया जाएगा। सेना ने अडवाइजरी जारी की है कि कैंटीन और बड़ा खाना जैसे कार्यक्रमों में मोटे अनाज का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल हो।
CSD कैंटीन के जरिए मोटे अनाज को शामिल किया जा रहा है। शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में अलग से इसके लिए कॉर्नर बनाए गए हैं। शिक्षण संस्थानों में भी जागरूकता अभियान चल रहे हैं।

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