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जिसके डांस का दीवाना था यूरोप, वह खूबसूरत जासूस कैसे हजारों सैनिकों की कातिल बन गई?

नई दिल्ली: उसने अपना चेहरा ढंकने से मना कर दिया था। 12 सैनिक सामने गोली मारने के लिए खड़े थे लेकिन उसके चेहरे पर मुस्कान थी। तय प्रक्रिया के तहत दोषी के हाथ खंभे से बांधे जाते थे लेकिन उस युवती ने एक हाथ ही बंधवाया। उसने अपना केस लड़ने वाले वकील का दूसरे हाथ से अभिवादन किया जैसे वह आखिरी सलाम कर रही हो। अचानक इशारा मिलते ही धांय-धांय की आवाज हुई और 41 साल की खूबसूरत युवती का शरीर झुक गया। इसके बाद भी शायद कन्फर्मेशन के लिए एक अधिकारी ने पास जाकर सिर में गोली मारी। उसकी बॉडी लेने कोई नहीं आया था। उसे एक मेडिकल स्कूल में पहुंचा दिया गया। बताते हैं कि कई दशकों तक उनका चेहरा सुरक्षित रखा गया था, बाद में वह चोरी हो गया। इसके साथ ही दुनिया की सबसे खूबसूरत जासूस कही जाने वाली माता हारी (Mata Hari Story) की कहानी का अंत हो गया। उन्हें कुछ लोग डबल एजेंट कहते हैं तो कुछ उन्हें कई प्रभावशाली लोगों के साथ संबंध रखने वाली युवती के तौर पर जानते हैं। ये कहानी 100 साल से भी पहले की है। 1876 में नीदरलैंड में जन्मी माता हारी का असली नाम मार्गेटे जेले था। आज भी अगर आप उनकी तस्वीर देखेंगे तो लगेगा जैसे कोई रानी-महारानी हों। सिर पर मुकुट, शरीर पर चमकते आभूषण और चेहरे की आभा उनके सौंदर्य की कहानी कहती है। उनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने पूरे यूरोप को नचाया। कई देशों के सेना के अफसर, बड़े व्यापारी, मिनिस्टर उनके कामुक डांस के दीवाने हुआ करते थे।

माता हारी कौन थीं?

उनके पिता बड़े व्यापारी थे लेकिन बाद में दिवाला निकल गया। 18 साल की उम्र में उनकी शादी नीदरलैंड आर्मी के एक अधिकारी से हो गई। वे इंडोनेशिया (तब डच ईस्ट इंडीज) में साथ रहने लगे। वहां उनके दो बच्चे हुए, जिसमें से पहले की मौत जन्म के फौरन बाद हो गई। पति-पत्नी में झगड़ा होने लगा। नीदरलैंड लौटने के बाद 1907 में उनका तलाक हो गया। जेले पेरिस चली गईं और वहां स्ट्रिपटीज डांसर बन गईं। उनके डांस की चर्चा कई देशों में होने लगी। उन्होंने डांस की नई शैली विकसित की थी, जिसमें वह एक-एक कर कपड़े उतारती जाती थीं। उनकी कामुकता देखने वालों को उत्तेजित कर देती थी। उन्होंने अपना नाम ‘माता हारी’ रख लिया। मलय भाषा में इसका मतलब सूर्य होता है।

पहला विश्व युद्ध छिड़ चुका था। यूरोप में माता हारी मशहूर हो चुकी थीं। डांस देखने और उनसे मिलने आने वाले लोगों से खुफिया जानकारी जुटाने का काम शुरू हुआ। मेलजोल बढ़ने पर उन तक कई गुप्त जानकारियां पहुंचने लगीं। उनका नाम कई राजनयिकों से जोड़ा गया। आज फिल्मों में दिखाया जाता है कि महिला जासूस गुप्त जानकारी निकलवाने के लिए गैर मर्दों से संबंध बनाने से भी नहीं हिचकती। पहले विश्व युद्ध के समय भी कुछ ऐसा ही हो रहा था। इन सब चीजों के बदले माता हारी को अच्छे पैसे मिलने लगे। फ्रांस की सरकार ने उन्हें अपना जासूस बना लिया था। बताते हैं कि उनकी बदौलत फ्रांस को जर्मन फौज और वहां के अफसरों के कई राज मिले।

जासूस एच-21 कोड नेम

100 साल से ज्यादा वक्त गुजर चुका है। माता हारी पर कई किताबें लिखी गईं, फिल्में भी बनीं लेकिन कुछ चीजें आज तक स्पष्ट नहीं हो पाईं। इनमें से एक था माता हारी पर डबल एजेंट बनने का आरोप। कहा जाता है कि पैसे कमाने के चक्कर में वह फ्रांस की जानकारियां जर्मनी की सरकार को लीक करने लगी थीं। कुछ समय तक ठीक चला लेकिन उनके इस तरह धोखा देने की बात जर्मनी और फ्रांस दोनों को पता चल गईं।

1917 में जब फ्रांस में माता हारी को गिरफ्तार किया गया था तो वह खुद को उन्हीं के जासूस के तौर पर पेश कर रही थीं। उन्हें नहीं पता था कि फ्रांस की सेना को वह मैसेज मिल गया है, जो उन्होंने जर्मनी की राजधानी बर्लिन भेजा था। उसमें उनका कोड वर्ड H-21 था। फ्रांस की सेना ने माना कि एच-21 कोई और नहीं, माता हारी ही थीं। पेरिस में एक लग्जरी होटल से उन्हें हिरासत में लिया गया था। बंद कमरे में पांच महीने तक उनके खिलाफ मामला चला। उन्हें 50,000 फ्रेंच सैनिकों की मौत का जिम्मेदार ठहराया गया। हालांकि इस आरोप को साबित करने के लिए पुख्ता सबूत कभी नहीं दिए जा सके। दुनिया को यह पता ही नहीं चल सका कि माता हारी ने ऐसा क्या किया था या कौन सी जानकारी लीक की थी जिससे फ्रांस के हजारों सैनिक मारे गए।

क्या ‘बलि का बकरा’ बनाया गया?

1917 के वैश्विक हालात को समझिए तो फ्रांस की सेना जंग से थक चुकी थी। सेना और देश का मनोबल गिरा हुआ था। सेना के कुछ कैंपों में विद्रोह शुरू हो चुका था। ऐसे में फ्रांस को सारा दोष किसी पर मढ़ना था। किसी को दंडित कर लोगों को संतुष्ट करना था। कई इतिहासकारों और जानकारों का मानना है कि फ्रांस को माता हारी के रूप में बलि का बकरा मिल गया। उनके नाम को खराब करना भी आसान लगा क्योंकि एक कामुक डांसर के तौर पर उनसे बड़े अधिकारी मिलते थे। कई देशों के लोग उनके दीवाने थे।

एक हाथ बांधकर मार दी गोली…

आखिरकार 25 जुलाई 1917 को फ्रांस की मिलिट्री गवर्नमेंट ने माता हारी को जासूसी का दोषी ठहरा दिया। अपने नागरिक को बचाने के लिए डच सरकार ने भी कुछ नहीं किया। माता हारी के आखिरी कुछ महीने मुश्किल भरे रहे। उन्हें ठीक से खाना भी नहीं दिया जाता था, जेल की काल कोठरी में कीड़े-मकोड़े थे। फ्रांस के सैनिकों के गोली मारने के बाद भी उनका नाम कभी खत्म नहीं हुआ। गोली मारते समय उनका एक हाथ बंधा था लेकिन अफवाह फैल गई कि फ्रांस के जिन सैनिकों को गोली मारने के लिए कहा गया उन्होंने भागने का मौका देने के लिए इधर-उधर गोली चलाई। हालांकि इसमें सच्चाई नहीं थी। The Fatal Lover: Mata Hari and the Myth of Women in Espionage में माता हारी के बारे में जूली वीलराइट ने काफी कुछ लिखा। इतना जरूर है कि आज भी जब दुनिया की धाकड़ जासूसी महिलाओं की बात होती है तो माता हारी का नाम शीर्ष पर होता है। फिल्मों ने तो उन्हें लीजेंड बना दिया।

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