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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया देश में क्यों बढ़ रही महंगाई, इसके लिए कौन है जिम्मेदार

नई दिल्ली: देश में बढ़ती महंगाई (Inflation) के लिए वित्त मंत्री निर्मला (Finance Minister) सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने मौसमी समस्याओं को दोष दिया है। वित्त मंत्री (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने कहा है कि मौसमी समस्याओं के कारण सप्लाई कम हुई, जिससे महंगाई बढ़ी। हालांकि उन्होंने कहा कि जरूरी सामान की कीमतों में नरमी लाने के प्रयासों के साथ उस पर लगातार नजर रखी जा रही है। सीतारमण ने ईंधन और प्राकृतिक गैस के दाम में कमी लाने के प्रयासों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि देश में इनका आयात किया जाता है और कोविड, रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक बाजार में ईंधन के दाम ऊंचे हैं।


सरकार लगातार उठा रही कदम

कर्नाटक के कलबुर्गी में पत्रकारों से बातचीत करते हुए सीतारमण ने कहा कि मौसमी स्तर पर सप्लाई से जुड़ी समस्याओं के कारण महंगाई बढ़ी है। मंत्रियों का समूह जरूरी सामान और उनकी कीमतों पर पैनी नजर रखे हुए है। जब भी जरूरत पड़ी तो हालात के अनुसार अतिरिक्त स्टॉक जारी किया गया। जब चावल के दाम में तेजी आई, हमने बफर स्टॉक से चावल जारी किया। केंद्र सरकार कीमतों को नीचे लाने के लिए लगातार कदम उठा रही है। यही कारण है कि रिटेल महंगाई दर अब छह प्रतिशत से नीचे आ गई है। पेट्रोल-डीजल के ऊंचे दामों पर पूछे गए एक सवाल पर सीतारमण ने कहा कि कोविड और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक बाजारों में ईंधन के दाम ऊंचे हुए हैं। हालांकि केंद्र सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि ईंधन के दाम तर्कसंगत स्तर पर रहे।


गेहूं की सरकारी खरीद तेज़

गेहूं की कीमत नियंत्रण में रखने के लिए सरकार ने गेहूं की खरीद तेज कर दी है। चालू वित्त वर्ष में 3.41 करोड़ टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य है। अब तक 1.70 करोड़ टन गेहूं की खरीद हुई। एक सरकारी अधिकारी का कहना है कि गेहूं की खरीद में तेजी इसलिए जरूरी है ताकि सप्लाई के अनुसार रिटेल मार्केट में गेहूं की सप्लाई हो सके। अगर सप्लाई को लेकर कुछ गड़बड़ी हुई तो इससे गेहूं की कीमत में तेजी आ सकती है।


चीनी के रिटेल दामों में तेज़ी मुमकिन

इंडियन शुगर मिल असोसिएशन (ISMA) ने साल 2022-23 के लिए चीनी उत्पादन का अनुमान 3.40 करोड़ टन से घटाकर 3.28 करोड़ टन किया है। ISMA का कहना है कि भारत के अलावा थाइलैंड, चीन, पाकिस्तान में चीनी का उत्पादन घटा है। इधर एक्सपर्ट का कहना है कि उत्पादन कम होने से इसका आयात भी महंगा हो सकता है। ऐसे में अगर देश में चीनी की डिमांड बढ़ी और सप्लाई कम हुई तो रिटेल दाम बढ़ सकते हैं।

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