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खतरे ग्लोबल हों तो उनसे निपटने का तरीका भी ग्लोबल होना चाहिएः नरेंद्र मोदी

नई दिल्‍ली: प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरराष्ट्रीय अधिवक्ता सम्मेलन में कहा कि किसी भी देश की जीवन शैली और संस्कृति में न्यायिक समाज की अहम भूमिका होती है. एक तरह से ये कॉन्‍फ्रेंस ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भारत की भावना का प्रतीक बन गई है. मैं यहां आए सभी अंतरराष्ट्रीय मेहमानों का भारत में बहुत बहुत स्वागत करता हूं. साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि ये कॉन्‍फ्रेंस काफी मायने रखता है, क्‍योंकि जब खतरे ग्‍लोबल हैं, तो उनसे निपटने का तरीका भी ग्‍लोबल होना चाहिए.

वकीलों ने देश के विकास की नींव मजबूत की…

पीएम मोदी ने कहा कि किसी भी देश की जीवन शैली और संस्कृति में न्यायिक समाज की अहम भूमिका होती है. भारत की आजादी के आंदोलन में भी कई बड़े वकीलों ने राष्ट्रीय आंदोलन में अपनी चलती वकालत छोड़ दी थी. अधिकतर बड़े स्वाधीनता सेनानी वकील थे. उन्होंने उस समय भी और आजादी के बाद भी न्यायिक पेशे से जुड़े वकीलों ने देश के विकास की नींव मजबूत की.

न्याय के नए तौर तरीके हमें दुनिया की अगली कतार में खड़ा करेंगे

नारी शक्ति वंदन कानून का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “ये कॉन्‍फ्रेंस ऐसे समय हो रहा है, जब भारत में कुछ ही दिन पहले संसद से पारित नारी शक्ति वंदन कानून पास हुआ है. इस कानून में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है. ये कानून देश में महिला आधारित विकास को नई दिशा देगा, नई ऊर्जा देगा. जी20 शिखर सम्‍मेलन ने भारत की नई चमक दुनिया के सामने बिखेरी. ठीक महीने भर पहले चंद्रयान सफलता से उतरा.” विकसित भारत में न्यायिक सुलभता और सबको न्याय के नए तौर तरीके हमें दुनिया की अगली कतार में खड़ा करेंगे. दरअसल, भारत अभी तक उन ताकतों से लदा रहा है, जो बॉर्डर से परे हैं. ग्लोबल फ्रेम वर्क तैयार कर ही हम इसे पार पा सकते हैं. कॉमन रूल और नियम बनाने होंगे, ताकि हम दुनिया में अमन शांति का राज कायम कर सकें.

ग्लोबल फ्रेम वर्क तैयार करना ही पड़ेगा

21वीं सदी में हम ऐसी दुनिया में रह रहे हैं, जो डिपली कनेक्टेड हैं. लेकिन आज भी कई ताकते हैं, जिनके खिलाफ हम लड़ रहे हैं. वो बॉर्डर की परवाह नहीं करते हैं. जब खतरे ग्लोबल हैं, तो उनसे निपटने का तरीका भी ग्लोबल होना चाहिए. साइबर क्राइम हो, मनी लॉन्ड्रिंग हो एआई हो इन सबके लिए ग्लोबल फ्रेमवर्क तैयार करना सिर्फ किसी एक सरकार का काम नहीं हो सकता है. इसके लिए सभी देश को एक साथ जुड़ना होगा. जैसे हम एयर ट्रैफिक कंट्रोल के लिए हम मिलकर काम करते हैं, वैसे ही हमें अलग-अलग डोमेन में ग्लोबल फ्रेम वर्क तैयार करना ही पड़ेगा.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मेरे पास काम भी बहुत है और समय भी बहुत है. कानून को जनता को भाषा तक लाने में 75 साल लग गए. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट और चीफ जस्टिस को बधाइयां. कानून को सरल बनाने के लिए इतना समय लगा तभी मुझे आना पड़ा.

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने इस कॉन्‍फ्रेंस के दौरान कहा कि ये कॉन्फ्रेंस सीखने और सिखाने का बड़ा मंच है. दुनिया भर से जज, वकील और न्याय वेत्ता यहां हाजिर है. जस्टिस डिलीवरी के क्षेत्र में चुनौतियों पर चर्चा करने से काफी उत्साह वर्धक नतीजे आएंगे. भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मध्यस्थता का केंद्र बना हुआ है.  सुप्रीम कोर्ट के विशेषज्ञों ने मॉरीशस और भूटान में सुप्रीम कोर्ट की इमारत बनाने ने मदद की. रिक्शा चलाने वालों के मुकदमे में फैसला अदभुत है, क्योंकि ऐसे मुकदमे न्याय और शक्ति में संतुलन बनाते हैं. सुप्रीम कोर्ट में संविधान पीठ एक मुकदमे की सुनवाई कर रही है, जिसमें लाखों ऐसे ड्राइवरों पर पड़ेगा, जिसमें बहस का विषय है कि क्या निजी ड्राइविंग लाइसेंस धारक कमर्शियल वाहन चला सकते हैं. इस मामले में अदालत और सरकार दोनों लाखों ड्राइवरों की आजीविका को बचाने की कोशिश कर रहे हैं.

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