Banda-सुहागिनों नें की कामना : “गंगा यमुना में जब तक पानी रहे मेरे सजना तेरी जिंदगानी रहे”।
भगवान पर विश्वास,पतिदेव पर प्रेम की पराकाष्ठा का प्रमाण करवाचौथ व्रत।
Banda- निर्जला व्रत,चन्द्रमा का सायंकालीन पूजन, ईश्वरीय सत्ता पर विश्वास का बिन्दु:- रजनी द्विवेदी।
सौभाग्यवती महिलाओं का करवा चौथ व्रत,पति के प्रति,अगाध प्रेम का प्रमाण:- अंकिता पाल।
प्राचीन परंपराओं एवं संस्कृति पर बदलता आधुनिक परिवेश,व्रत की धारणा के लिए अनुपयोगी।
ब्यूरो एन के मिश्र
बांदा-साजन के लिए सजी-धजी सुहागिनों ने रविवार को करवा चौथ पर देर शाम चांद और अपने पति के दीदार किए। अपने हमसफर की लंबी उम्र के लिए कामना की। गीत गाये “गंगा यमुना में जब तक पानी रहे मेरे सजना तेरी जिंदगानी रहे” दिनभर निर्जला व्रत रखा। चांद को अर्घ्य देकर शिवचंद्र व कार्तिकेय का पूजन अर्चन कर पति के हाथों जल ग्रहण कर व्रत का परायण किया।
देर शाम चांद का उदय हुए। सुहागिनें इसका छतों या खुले स्थान पर खड़े होकर बेताबी से इंतजार कर रही थी। छलनी से चांद के दर्शन कर पति की आरती उतारी। जिनके पति बाहर थे उनकी पत्नियों ने वीडियो काल के जरिये पति के दीदार किए और व्रत तोड़ा। वेदाचर्य पंडित श्रवण का कहना है कि महिलाएं इस व्रत को पति की रक्षा के लिए रखती हैं। पांडु कुमार एक बार नीलगिरी पर्वत में फंस गए थे।
श्रीकृष्ण ने द्रोपदी को करवाचौथ का व्रत रखने को कहा था। व्रत रखने से उनकी विपत्तियां दूर हो गई थीं। मुख्यालय बांदा शहर सहित जनपद के बबेरू, अतर्रा, नरैनी, तिंदवारी, बदौसा, मटौंध, महुआ, चिल्ला, पैलानी, जसपुरा, खप्टिहा कलां, करतल, मरका, कमासिन, गिरवां, खत्री पहाड़ आदि क्षेत्रों में भी करवा चौथ परंपरा ढंग से आस्था के साथ मनाया गया।
मिष्ठान खिला कर, जल गृहण करवाते हुए व्रत का पारण सम्पन्न कराया गया है।