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हलवा सेरेमनी के साथ ‘लॉक’ हुए फाइनेंस मिनिस्ट्री के अधिकारी, जानिए बजट के लिए एक हफ्ते के ‘गुप्तवास’ की कहानी

नई दिल्ली: बजट की तैयारियां जोरों पर हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) एक फरवरी को फाइनेंशियल ईयर 2023-24 का बजट पेश करेंगी। यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी फुल बजट है। गुरुवार को परंपरागत हलवा सेरेमनी के साथ बजट को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। कोरोना के कारण पिछले दो साल यह आयोजन नहीं हो पाया था। हर साल बजट की तैयारी के लिए लॉक इन प्रोसेस (lock-in process) से पहले हलवा सेरेमनी का आयोजन किया जाता है। हलवा सेरेमनी के बाद वित्त मंत्रालय के कुछ चुनिंदा अधिकारी नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में ही रहते हैं। इन लोगों को वित्त मंत्री का बजट भाषण होने के बाद ही बाहर निकलने की अनुमति होती है। हैं। ऐसा इसलिए होता है ताकि बजट से जुड़ी कोई भी जानकारी लीक ना होने पाए।

इस बार बजट बनाने की प्रक्रिया में शामिल कर्मचारियों को एक हफ्ते तक लॉक इन में रहना पड़ेगा। एक तरह से उन्हें नजरबंद रखा जाता है। इस दौरान ये लोग पूरी तरह बाहर की दुनिया से कटे रहेंगे। वित्त मंत्री के संसद में बजट पेश करने के बाद ही इन लोगों को अपने परिवार के सदस्यों और दोस्तों से मिलने की अनुमति मिलती है। इसका मकसद बजट को गोपनीय रखना होता है। बजट छापने के लिए नॉर्थ ब्‍लॉक के अंदर ही प्रेस भी स्थित है। भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में बजट बनाने वाले अधिकारियों को ‘लॉक इन’ में रखा जाता है।

मोबाइल-इंटरनेट से दूर

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत वित्त मंत्री को हर साल संसद में बजट पेश करना पड़ता है। इसे गुप्त रखने के लिए बजट बनाने की प्रक्रिया में शामिल करीब 100 कर्मचारियों को एक हफ्ते तक अपने घर परिवार से दूर रहना पड़ता है। इस दौरान उन्हें मोबाइल, ईमेल, फोन और इंटरनेट का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं होती है। यानी वे पूरी तरह बाहरी दुनिया से कटे रहते हैं। उन पर लगातार खुफिया विभाग की नजर बनी रहती है। भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में अधिकारियों को इस तरह की प्रक्रिया से गुजरना होता है।

देश में बजट बनाने की प्रक्रिया को पूरी तरह से गुप्त रखा जाता है। बजट बनने के एक महीने पहले से ही फाइनेंस मिनिस्ट्री में मीडिया की एंट्री बंद हो जाती है। बजट से जुड़ी गोपनीय जानकारी के लीक होने से देश की इकॉनमी को नुकसान हो सकता है। बजट बनाने की प्रक्रिया में कौन शामिल होगा, इसका खुलासा नहीं किया जाता है। पूरी जांच पड़ताल के बाद करीब 100 अधिकारियों और कर्मचारियों को इस काम पर लगाया जाता है। उन्हें नॉर्थ ब्लॉक में एक गुप्त जगह पर रखा जा सकता है।

खुफिया विभाग की नजर

जानकारों के मुताबिक बजट को अंतिम रूप देने वाले लोग मोबाइल नहीं रख सकते हैं और न ही उन्हें अपने घर पर बात करने की अनुमति होती है। प्रिंटिंग रूम में केवल एक लैंडलाइन फोन होता है। इस पर सिर्फ इनकमिंग की सुविधा होती है। इससे कॉल नहीं किया जा सकता है। इमरजेंसी की स्थिति में घर पर बात की जा सकती है लेकिन उसकी बात सुनने के लिए इंटेलिजेंस विभाग का एक आदमी हमेशा वहां सतर्क रहता है। वहां डॉक्टरों की एक टीम भी मौजूद रहती है ताकि किसी कर्मचारी की तबीयत खराब होने की स्थिति में उसका इलाज किया जा सके।

इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी बजट के दौरान वित्त मंत्रालय पर हर समय बारीकी नजर रखते हैं। बजट से जुड़े प्रमुख लोगों का फोन भी टेप किया जाता है। वित्त मंत्रालय में आने-जाने वाले हर आदमी पर सीसीटीवी के जरिए कड़ी निगरानी रखी जाती है। सभी कर्मचारी सीसीटीवी कैमरे की रेंज में रहते हैं। अगर इमरजेंसी में किसी प्रिंटिंग कर्मचारी को गुप्त कमरे से बाहर निकलता है तो उसके साथ इंटेलिजेंस विभाग और दिल्ली पुलिस का आदमी हमेशा साथ रहता है। वित्त मंत्रालय के प्रिंटिंग प्रेस में काम करने वालों को दिए जाने वाले खाने की भी गहराई से जांच होती है।

डिजिटल फॉर्म में आएगा बजट

पिछली दो बार की तरह इस बार भी बजट डिजिटल फॉर्म में पेश किया जाएगा। लेकिन पहले जब बजट के दस्तावेजों की छपाई होती थी तो पहले इससे जुड़े कागज पर भी आईबी की नजर रहती थी। बजट दस्तावेजों में इस्तेमाल होने वाला कागज इंटेलिजेंस विभाग अधिकारियों की देख-रेख में वित्त मंत्रालय के प्रिंटिंग प्रेस तक पहुंचता था। इसकी प्रिंटिंग, पैकेजिंग और संसद पहुंचने तक चाकचौबंद सुरक्षा व्यवस्था रहती थी। लोकसभा में सुबह 11 बजे बजट पेश होता है। इसके बाद ही नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में मौजूद अधिकारियों और कर्मचारियों को घर जाने की अनुमति दी जाती है।

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