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एजुकेशन बजट से हैं ये बड़ी उम्मीदें, जानें बीते वर्षों में शिक्षा के लिए कैसा रहा है सरकार का बजट

नई दिल्ली: आम बजट पेश होने में अब एक घंटे से भी कम का समय बचा हुआ है। देश के सभी वर्गों की निगाहें आम बजट पर लगी हुई हैं। वित्त मंत्री (Finance Minister Nirmala Sitharaman) कुछ ही देर में आम बजट पेश करने वाली हैं। इस बार एजुकेशन बजट से भी सभी को काफी उम्मीदें हैं। कोरोना काल में जिस तरह से पढ़ाई प्रभावित हुई है सबकी उम्मीदें इस बार बजट से ज्यादा बढ़ गई हैं। टीचर्स के साथ छात्रों और प्रोफेशनल्स सभी को आम बजट का बेसब्री से इंतजार है। पिछले कुछ सालों में एजुकेशन के क्षेत्र में काफी बदलाव हुए हैं। इस बार बजट 2023 में एजुकेशन सेक्टर में होने वाले बदलावों पर सभी की नजरें लगी हुई हैं। लोगों का कहना है कि सरकार का शिक्षा के क्षेत्र को प्राथमिकता देनी चाहिए। अभी भी देश में अच्छे स्कूल और कॉलेजों की काफी कमी है। सरकार को जीडीपी का कम से कम 5 प्रतिशत एजुकेशन सेक्टर को आवंटन देना चाहिए। सरकार ने पिछले बजट में एजुकेशन सेक्टर को प्राथमिकता दी थी। इस बार भी सरकार को शिक्षा के क्षेत्र को प्राथमिकता देनी चाहिए, जिससे उच्च शिक्षा का क्षेत्र और बेहतर हो सके। एजुकेशन के क्षेत्र में लगातार बदलाव होते रहे हैं। कोरोना काल में सबसे ज्यादा यही क्षेत्र प्रभावित हुआ है। शिक्षा नीति आने के बाद से उच्च शिक्षा में काफी बदलाव हुए हैं। एजुकेशन का लगातार डिजिटलीकरण भी हो रहा है। लोगों को उम्मीद है कि इस बार एजुकेशन सेक्टर (Education Budget 2023-2024) के लिए खर्च को बढ़ाया जाएगा।

जानिए पिछली बार कैसा रहा था एजुकेशन बजट

साल 2022-23 में सरकार ने एजुकेशन सेक्टर के लए 1 लाख 4 हजार 277 करोड़ रुपये का आवंटन किया था। अगर इसे पिछले वर्षों की तुलना में देखें तो यह काफी ज्यादा था। इस वर्ष के शिक्षा बजट में समग्र शिक्षा अभियान के लिए सरकार ने 37,383 करोड़, आईआईटी के लिए 8,494 करोड़, यूजीसी और एआईसीटीई के लिए 5320 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। इस बजट में डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने की बात कही गई थी. इसमें डिजिटल विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए फंड का प्रावधान किया गया था। वही साल 2020-21 की बात करें तो इस दौरान शिक्षा क्षेत्र के लिये 99,300 करोड़ रुपये और कौशल विकास के लिए 3,000 करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे। वहीं इस बजट में कौशल विकास के क्षेत्र में अधिक जोर दिया गया था, इसके साथ ही शिक्षा क्षेत्र में FDI की अनुमति भी इसी बजट में दी गयी थी। इसके साथ ही गरीब छात्रों के लिये ऑनलाइन डिग्री के कार्यक्रम की घोषणा भी इसी बजट में की गयी थी।

शिक्षा बजट 2021-22 में 93,224 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे

साल 2021-22 में शिक्षा क्षेत्र के लिये 93,224 करोड़ रुपये आवंटित किये गये, जहां उच्च शिक्षा के लिये 38,350 करोड़ रुपये और स्कूली शिक्षा के 31,050 करोड़ रूपये का आवंटन किया गया। इसके साथ ही इस वर्ष लड़कियों के लिये माध्यमिक शिक्षा की राष्ट्रीय प्रोत्साहन योजना को महज एक करोड़ रुपये आवंटन किया गया, जोकि पहले 110 करोड़ रूपये था। वहीं साल 2019-20 में शिक्षा क्षेत्र के लिये 93,847 करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे, जहां उच्च शिक्षा के लिये 37,461 करोड़ रुपये तथा स्कूली शिक्षा के लिये 56,386 करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे। जबकि 2018-19 के बजट में 56,619 करोड़ रुपये का प्रावधान शिक्षा क्षेत्र के लिये किया गया था, जिसे उसी साल बढ़ाकर 62,474 करोड़ रुपये कर दिया गया था। वहीं इस वर्ष के लिये अब इसे 74,800 करोड़ रुपये कर दिया गया था, इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाल विकास योजना के लिए 27,584 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था।

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