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कंगाली से बाहर आना है तो जिन्ना, इकबाल को भूल जाओ पाकिस्तान… एक्सपर्ट ने कहा- नेता नहीं होते फरिश्ते!

इस्लामाबाद : पाकिस्तान वर्तमान में गंभीर आर्थिक संकट में फंसा हुआ है। इसके कई कारण हैं। 1947 में अस्तित्व में आने के बाद से पाकिस्तान राजनीतिक अस्थिरता का शिकार रहा है। सरकारों की प्राथमिकता कभी आर्थिक सुधार रहे ही नहीं। सत्ता के लालच में उन्होंने पाकिस्तान को कट्टरपंथियों के हाथों की कठपुतली बन जाने दिया। एक तरफ जहां बाकी दुनिया इनोवेशन और विज्ञान पर जोर दे रही हैं, वहां पाकिस्तान आटे की गंभीर किल्लत का सामना कर रहा है। दुनिया की बराबरी करने के लिए उसे ‘मोहम्मद अली जिन्ना और मोहम्मद इकबाल से आगे बढ़ना होगा’। एक पूर्व इक्विटी इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट ने कुछ दिनों पहले पाकिस्तान को यह सलाह दी थी।


ब्रिटेन के यूसुफ नज़र ने कहा कि दोनों नेताओं ने धार्मिक आधार पर पाकिस्तान का समर्थन किया। यह 2023 है और कई चीजें बदल चुकी हैं। जो देश बदलाव को स्वीकार नहीं करते हैं, वे पिछड़ जाते हैं। उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद को इस बारे में सोचना चाहिए कि क्या, कब और कैसे चीजें गलत हो गईं। बीते मंगलवार को उन्होंने ट्विटर पर एक लंबा थ्रेड शेयर किया। यूसुफ नजर ने इसमें इतिहास का हवाला देते हुए पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली के कारणों पर प्रकाश डाला।


‘नेताओं से भी होती है गलती’

एक ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘अगर पाकिस्तान को आगे बढ़ना है और एशिया के बाकी देशों से बराबरी करनी है तो उसे जिन्ना और इकबाल से आगे बढ़ना होगा। यह 2023 है और कई चीजें अब बदल चुकी हैं। वे देश जो परिवर्तन को स्वीकार नहीं करते, पीछे रह जाते हैं। उसे सोचना चाहिए कि क्या, कब और कैसे सब कुछ गलत हो गया।’ उन्होंने लिखा, ‘नेता गलती करते हैं। वे फरिश्ते नहीं हैं। पाकिस्तान में हमें इसे स्वीकार करने की जरूरत है।’

‘भारत से मीलों पीछे पाकिस्तान’

नजर ने अपने ट्वीट थ्रेड में लिखा, ‘देश भटक जाते हैं और अपनी गलतियों में सुधार करते हैं। लेकिन वे ऐसा सिर्फ आत्मनिरीक्षण और खुले संवाद के माध्यम से करते हैं न कि हठधर्मिता से। 1948-1971 के बारे में बहुत कुछ लिखा जा सकता है।’ उन्होंने लिखा, ‘शिक्षा पर खर्च पाकिस्तान के इतिहास में सबसे निचले स्तर पर आ गया है। 25 साल पहले पाकिस्तान की प्रति व्यक्ति जीडीपी भारत की तुलना में 46 फीसदी ज्यादा थी, लेकिन अब 20 फीसदी कम है। क्या गलत हो गया?’

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