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मोदी जी आपके नाम पर लूट हो रही… ‘नेपाल के केजरीवाल’ ने लगाई गुहार, जानें पूरा विवाद

काठमांडू: नेपाल में पुष्‍प कमल दहल प्रचंड सरकार के बने अभी कुछ महीने हुए हैं कि सत्‍तारूढ़ गठबंधन में दरार पड़ गई है। राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) ने रविवार को पुष्प कमल दहल के नेतृत्व वाली सरकार को छोड़ने का फैसला कर लिया। इसकी वजह यह थी कि पीएम दहल ने आरएसएपी के अध्यक्ष रबी लमिछाने को फिर से गृहमंत्री के रूप में नियुक्त नहीं करने का फैसला किया है। नेपाल के ‘केजरीवाल’ कहे जाने वाले लमिछाने ने भारतीय पीएम मोदी से भी विशेष रूप से गुहार लगाई है। उन्‍होंने कहा कि पीएम मोदी आपके नाम पर नेपाल में लूट हो रही है, इसलिए एजेंटों के जरिए कूटनीति नहीं करें।


लमिछाने ने कहा, ‘मोदी जी, आपके नाम पर लोग यहां पर लूट मचा रहे हैं, वे भारत और नेपाल के रिश्‍ते को आगे नहीं बढ़ा रहे हैं। कृपया मोदी जी आप आपके एजेंट के नाम पर जो लोग यहां काम कर रहे हैं, उनके ऊपर भरोसा करना बंद करिए। आप एक सीधी बातचीत के लिए आगे बढ़‍िए। कृपया उन लोगों को रोकिये जो भारतीय रुख का असली जानकार होने का दावा करते हैं।’ लमिछाने ने कहा, ‘अगर आप वास्‍तव में भरोसा करते हैं कि नेपाल और भारत एक बेहतर रिश्‍ते के हकदार हैं तो किसी मध्‍यस्‍थ, पत्रकार, एजेंट या पब्लिशर को तैनात मत करिए।


आरएसपी का प्रचंड सरकार को छोड़ने का फैसला

इससे पहले राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी ने रविवार को प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार को छोड़ने का फैसला किया, क्योंकि दहल ने आरएसपी के अध्यक्ष रबी लमिछाने को फिर से गृहमंत्री के रूप में नियुक्त नहीं करने का फैसला किया था। काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी सदस्य और शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री शिशिर खानल ने कहा कि वसुंधरा में पार्टी कार्यालय में हुई आरएसपी की केंद्रीय समिति की बैठक में सरकार छोड़ने का फैसला किया गया।

आरएसपी नेताओं ने कहा, दहल के नेतृत्व वाली कैबिनेट में जगह बनाने वाले पार्टी नेता- मंत्री खनाल, श्रम, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा मंत्री डोल प्रसाद आर्यल और स्वास्थ्य और जनसंख्या राज्यमंत्री तोशिमा कार्की अपने पद छोड़ देंगे। हालांकि, पार्टी दहल सरकार को समर्थन देना जारी रखेगी। लामिछाने ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अपना मंत्रिस्तरीय पोर्टफोलियो खो दिया, जिसमें कहा गया था कि संसदीय चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने जो नागरिकता प्रमाणपत्र पेश किया था, वह अमान्य था। संघीय चुनावों में 20 सीटें जीतने के बाद लामिछाने की आरएसपी संसद में चौथी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी।

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