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वेटिकन सिटी के तर्ज पर तैयार होगा मुसलमानों का नया देश, महिलाएं पी सकेंगी शराब

वेटिकन की तर्ज पर एक संप्रभु मुस्लिम राज्य बनाने की तैयारी है. एक मुस्लिम मौलवी का प्रस्ताव अगर मंजूर हुआ तो यह दुनिया का सबसे छोटा देश होगा. एडमंड ब्राहिमाज जिन्हें उनके अनुयायी बाबा मोंडी के नाम से जानते हैं, की योजना अल्बानिया की राजधानी तिराना में 27 एकड़ भूमि पर शासन करने की है. यह वेटिकन जैसा एक संप्रभु एन्क्लेव होगा. यहां शराब पीने की इजाजत होगी और महिलाएं अपनी मर्जी के हिसाब से कपड़े पहन सकेंगी.

इस प्रस्तावित देश में न शरिया कानून होगा, न ही वैसे प्रतिबंध जो आमतौर पर मुस्लिम देशों में लगाए जाते हैं. बाबा मोंडी उस एक अलग देश बनाकर राज करना चाहते हैं जिसका अपना प्रशासन, पासपोर्ट और सीमाएं होंगी. अल्बानियाई प्रधानमंत्री एडी रामा के मुताबिक, वह भविष्य में ‘बेकताशी संप्रदाय के संप्रभु राज्य’ से जुड़ी योजना की घोषणा करेंगे. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस देश के निवासियों की लाइफस्टाइल पर कोई नियम नहीं लगाए जाएंगे.

कौन हैं बाबा मोंडी?

बाबा मोंडी, अल्बानियाई सेना के पूर्व अधिकारी हैं. दुनिया भर में लाखों लोग उन्हें आधिकारिक पद, ‘परम पावन हाजी देदे बाबा’ से उनका सम्मान करते हैं. वे बेकताशी संप्रदाय के सबसे बड़े नेता है. यह 13वीं शताब्दी में तुर्की में स्थापित एक शिया सूफी संप्रदाय है, लेकिन अब अल्बानिया में स्थित है.

बाबा मोंडी को कट्टरपंथ ने नफरत है. NYT से बातचीत में उन्होंने कहा कि मुस्लिम चरमपंथी जो अपने विश्वास को फैलाने के लिए बम विस्फोट करते हैं और हिंसा का इस्तेमाल करते हैं, वे ‘सिर्फ काउबॉय हैं.’

एक इंटरव्यू में, पीएम रामा ने कहा कि नए राज्य की स्थापना का मकसद इस्लाम के एक सहिष्णु रूप का प्रचार करना है. अल्बानिया के प्रधानमंत्री ने कहा कि यह उदारवादी इस्लामवादी माइक्रो स्टेट यह संदेश देगा, ‘मुसलमानों पर लगे कलंक को यह परिभाषित न करने दें कि मुसलमान कौन हैं.’

कहां और कितना बड़ा होगा यह देश?

बाबा मोंडी ने जिस नए इस्लामिक देश का प्रस्ताव रखा है, वह असल में पूर्वी तिराना का एक कम किराए वाला रिहाइशी इलाका है. यह आकार में वेटिकन का लगभग एक-तिहाई है. अभी वेटिकन दुनिया का सबसे छोटा देश है जिसपर पोप का राज चलता है.

अंतरराष्ट्रीय वकीलों की एक टीम अल्बानिया के भीतर नए देश को संप्रभु दर्जा देने वाले कानून का मसौदा बना रही है. इसे संसद की मंजूरी चाहिए होगी. हालांकि, यह अभी साफ नहीं कि और कौन-कौन से देश बेकताशी की संप्रभुता को मान्यता देने के लिए सहमत होंगे.

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