अडानी ग्रुप को SC के पैनल से मिली राहत, जानिए किस आधार पर मिली क्लीनचिट

नई दिल्ली: अडाणी-हिंडनबर्ग मामले की जांच के लिए बनाए गए सुप्रीम कोर्ट के पैनल की रिपोर्ट शुक्रवार को सार्वजनिक कर दी गई। पैनल ने कहा कि अडाणी ग्रुप के शेयरों के भाव में हेराफेरी का उसे कोई सबूत नहीं मिला है। अडाणी ग्रुप की कंपनियों में विदेशी कंपनियों के निवेश में नियमों के उल्लंघन की अलग से हुई सेबी की जांच में ‘कुछ नहीं मिला’ है। रिपोर्ट के मुताबिक, अभी इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता कि अडाणी ग्रुप के शेयरों में हुई तेजी के पीछे सेबी की नाकामी थी।
कांग्रेस ने कहा, क्लीनचिट की बात फर्जी
कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पैनल की रिपोर्ट में जो निष्कर्ष निकाले गए हैं, वे अनुमान के मुताबिक हैं। यह बात फर्जी है कि अडाणी ग्रुप को क्लीचिट मिल गई है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि रिपोर्ट में कुछ ऐसी बातें हैं जिनसे जेपीसी की जांच की मांग को बल मिलता है। हम कहते रहे हैं कि एक्सपर्ट पैनल का बहुत ही सीमित अधिकार क्षेत्र है। शायद वह घोटाले को बेनकाब न कर सके। रिपोर्ट के एक अंश का जिक्र करते हुए कहा रमेश ने कहा, सेबी इसे लेकर संतुष्ट नहीं है कि एफपीआई को धन देने वालों का अडाणी से कोई संबंध नहीं है। इससे कांग्रेस के इस सवाल की पुष्टि होती है कि 20 हजार करोड़ रुपये कहां से आए? रिपोर्ट के मुताबिक एलआईसी ने अडाणी के 4.8 करोड़ शेयर तब खरीदे जब यह 1031 से बढ़कर 3859 रुपये का हो गया था। एलआईसी किसके हितों की पूर्ति कर रही थी?
राहुल को एक और नाकामयाबी मिली : BJP
अडाणी मुद्दे पर विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट आने के बाद बीजेपी ने राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनका भाषण लिखने वालों को उनकी ‘झूठ मशीन’ को बनाए रखने के लिए अब कुछ और विचित्र करना होगा। बीजेपी नेता अमित मालवीय ने कहा, सरकार को निशाना बनाने का राहुल गांधी का एक और अभियान विफल हो गया। इससे पहले राफेल सौदे को लेकर प्रधानमंत्री के खिलाफ ‘चौकीदार चोर है’ अभियान चलाकर भी उन्हें विफलता ही हाथ लगी थी। सुप्रीम कोर्ट में अडाणी ग्रुप का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील मुकुल रोहतगी ने दावा किया कि समिति का निष्कर्ष पूरी तरह से कंपनी के पक्ष में है। उन्होंने कहा, समिति ने पाया कि शेयर की कीमतों में कोई हेरफेर नहीं हुई और चिंता करने का कोई वास्तविक कारण नहीं है। सेबी की जांच अब भी जारी है और अभी तक यह निष्कर्ष है कि कंपनी ने कोई उल्लंघन नहीं किया है।