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प्राण प्रतिष्ठा के बाद भव्य मंदिर में ‘हनुमानजी’ ने किए रामलला के दर्शन, सुरक्षाकर्मी रह गए अवाक

अयोध्‍या: कहा जाता है कि जहां-जहां रामकथा होती है वहां भगवान श्री राम के परम भक्‍त श्री हनुमान जी (Hanuman Ji) साक्षात चले आते हैं। सोमवार को 500 वर्षों की लंबी प्रतीक्षा के बाद जब राम मंदिर (Ram Mandir) में रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा हुई तो लोगों की नजरें हनुमान जी को खोज रही थीं। अगले दिन यानी मंगलवार शाम को ऐसी अद्भुत घटना हुई कि लोग कह उठे हनुमान जी रामलला के दर्शन करने आ गए। स्‍वयं श्री राम जन्‍मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्‍ट की ओर से इस घटना से जुड़ा एक मैसेज सोशल मीडिया पर शेयर किया गया।

यह मैसेज इस प्रकार था:

आज श्री रामजन्मभूमि मंदिर में हुई एक सुंदर घटना का वर्णन: आज सायंकाल लगभग 5:50 बजे एक बंदर दक्षिणी द्वार से गूढ़ मंडप से होते हुए गर्भगृह में प्रवेश करके उत्सव मूर्ति के पास तक पहुंचा। बाहर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने देखा, वे बन्दर की ओर यह सोच कर भागे कि कहीं यह बन्दर उत्सव मूर्ति को जमीन पर न गिरा दे। परन्तु जैसे ही पुलिसकर्मी बंदर की ओर दौड़े, वैसे ही बंदर शांतभाव से भागते हुए उत्तरी द्वार की ओर गया। द्वार बंद होने के कारण पूर्व दिशा की ओर बढ़ा और दर्शनार्थियों के बीच में से होता हुआ, बिना किसी को कष्ट पहुंचाए पूर्वी द्वार से बाहर निकल गया। सुरक्षाकर्मी कहते हैं कि ये हमारे लिए ऐसा ही है, मानो स्वयं हनुमान जी रामलला के दर्शन करने आये हों।

संत जनों के बीच यह चर्चा भी होती है कि अयोध्‍या के राजा हनुमान जी हैं। भगवान श्री राम और माता सीता ने उन्‍हें अपने पुत्र कहा है। एक कथा के अनुसार जब भगवान श्री राम ने लव को शरावती और कुश को कुशावती का राज्‍य सौंपा तो सीता जी ने कहा, हनुमान को भी आपने पुत्र कहा है। वह इस हिसाब से ज्‍येष्‍ठ पुत्र हुए। उन्‍हें भी तो कहीं का राजा बनाइए।’ तब भगवान श्री राम ने हनुमान को अयोध्‍या का राजा बनाया। हनुमानगढ़ी में राम भक्‍त हनुमान की पूजा इसी रूप में होती है।

भले ही यह कथा श्री राम के प्रति हनुमान जी की अगाध भक्ति और समर्पण का प्रतीक है लेकिन मंगलवार शाम अयोध्‍या में जो देखा गया वह जनमानस के लिए चमत्‍कार ही था। अयोध्‍या में सर्वत्र हनुमान के प्रतीक रूप वानरों का वास है। बहुत संभव है कि उन्‍हीं का रूप धर स्‍वयं हनुमान जी भी इस चिर प्रतीक्ष‍ित मंदिर में अपने रामलला को देखने आए हों। आस्‍था के आगे तर्क निरुपाय होते हैं।

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