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अग्निपथ स्कीम के बाद अब सपोर्ट स्टाफ की कटौती करेगी सेना, भविष्य की जंग से जुड़ा है मकसद

नई दिल्ली: भारतीय सेना को 24 घंटे किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना होता है। पिछले करीब तीन साल से चीन के साथ बॉर्डर पर तनाव बरकरार है। पड़ोसी पाकिस्तान से भी अलर्ट रहने की जरूरत है। ऐसे में हाईटेक हथियारों की खरीद के साथ आधुनिकीकरण पर जोर दिया जा रहा है। 12 लाख जवानों वाली ताकतवर सेना अब अपने टूथ-टेल रेशियो (Tooth To Tail Ratio) सुधारने के लिए कई प्रस्तावों पर काम कर रही है। दरअसल, सेना में T3R रेशियो जंग लड़ने वाली यूनिटों जैसे- सैनिक, बख्तरबंद विंग और सपोर्ट सेवाओं जैसे- लॉजिस्टिक्स, सिंग्नल्स का अनुपात होता है। सेना अपने सपोर्ट मैनपावर में कटौती की दिशा में बढ़ रहा है। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब पिछला साल अग्निपथ योजना शुरू होने से पहले दो साल तक भर्ती प्रक्रिया बंद थी।

राष्ट्रीय राइफल्स में भी कटौती!

इन प्रस्तावों में कुछ पुरानी लीगेसी यूनिटों में कटौती और लॉजिस्टिक्स सेवाओं को आउटसोर्स करने के साथ ही जम्मू-कश्मीर में तैनात विशिष्ट राष्ट्रीय राइफल्स का पुनर्गठन शामिल है। दरअसल, सैलरी और पेंशन पर खर्च बढ़ने के कारण सेना को अपने आधुनिकीकरण के लिए बहुत कम बच पाता है जिससे अत्याधुनिक तकनीकों को शामिल किया जा सके। पिछले साल जून में बिना पेंशन और अन्य लाभ के अग्निपथ स्कीम के तहत सैनिकों की भर्ती की घोषणा की गई थी। इससे पहले सेना ने कोरोना महामारी के कारण 2020-21 और 2021-22 के दौरान भर्ती प्रक्रिया बंद रखी थी।


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