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गजब! 1475 किलो बैंगन बेचने पहुंचे किसान को खुद की जेब से देने पड़ गए 121 रुपये

नई दिल्ली: किसान कई तरह की दिक्कतों का सामना कर रहा है। इन दिनों किसानों को दोहरी मार पड़ रही है। एक तो बाजार में सब्जियों के भाव नहीं मिल रहे हैं। सब्जी बेचने में भी कई तरह की परेशानियां आ रही हैं। अभी हाल ही में एक नया मामला सामने आया है। इसमें बैंगन बेचने पहुंचे किसान को मुनाफा होने की जगह अपनी जेब से ही रुपये भरने पड़ गए हैं। किसानों का कहना है कि मांग से कम सब्जी होने के बावजूद उन्हें भाव नहीं मिल पा रहा है। किसानों का कहना है कि सब्जियों के भाव मंडी में डिस्प्ले होने चाहिए। किसानों का आरोप है कि मांग के बावजूद भी सब्जियों के दाम पिछले एक से डेढ़ माह से कम होते जा रहे हैं। आइए आपको बताते हैं क्या है मामला।

किसान के हिस्से में आई माइनस बिलिंग

मामला छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले का है। महासमुंद के एक किसान ने 1485 किलो बैंगन बेचने के लिए थोक सब्जी मंडी रायपुर भेजा। पूरा बैंगन 2475 रुपये में बिका। सब्जी व्यापारी ने 2200 रुपये भाड़ा, 198 रुपये हमाली और 198 रुपये कमीशन के साथ कुल 2596 रुपये का बिल काटकर किसान को थमा दिया। व्यापारियों का कहना है कि बाजार में मांग से ज्यादा सब्जियों की आपूर्ति होने से रेट नहीं मिल रहा है। वहीं ऊपर से मौसम की मार ने किसानों की हालत पस्त कर दी है। दुर्ग, रायनांदगांव, रायपुर से लेकर बस्तर तक के सब्जी उत्पादक अपनी उपज की लागत तक नहीं निकल पाने से परेशान हैं। दुर्ग में कई किसानों ने अपने खेतों में ही टमाटर की फसल फेंक दी है।

मांग ज्यादा होने के बाद भी गिर रहे हैं दाम

किसानों का कहना है कि इस बार सब्जियों के दामों में एक नई चीज देखने को मिली है। मांग के लगातार बढ़ने और आपूर्ति कम होने के बाद भी ताजी सब्जियों के दाम माह-डेढ़ माह से कम होते जा रहे हैं। अब हालत ये है कि किसानों को सब्जी बेचने के बाद

माइनस में बिल भरना पड़ रहा है। किसानों के लिए राहत के उपाय नहीं किए गए तो हालत और खराब होगी।
टमाटर पर संकट
लगातार आसमान में बादल छाए हुए हैं। इसके चलते टमाटर के फल जल्दी पक कर तैयार हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में इन दिनों टमाटर की आवक पहले की तुलना में बढ़ गई है। मंडियों में खरीदार नहीं मिलने से किसान प्रोसेसिंग प्लांट को देने के लिए पके हुए टमाटर को तोड़कर कैरेट में रख रहे हैं। लेकिन वहां से भी गाड़ी उपलब्ध नहीं हो पाने से टमाटर रखे-रखे खराब हो रहे हैं। अब हाल ये है कि कई किसानों ने टमाटर को खेतों में फेंक दिया है। ग्राम जाताधर्रा के किसान मोहन यादव ने बताया कि 1000 कैरेट टमाटर तोड़कर रखे हुए हैं। इन टमाटर को अगर खुद की गाड़ी से लेकर जाते हैं तो प्लांट में 3 दिन तक गाड़ियां खड़ी रहने से भाड़े का पैसा नहीं मिल पा रहा है। वहीं फूलगोभी और पत्तागोभी की भी कीमत नहीं मिलने पर कई किसान खड़ी फसल को जोतकर उखाड़ रहे हैं।

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