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आयुर्वेदिक डॉक्टर को एलोपैथी वालों के समान सैलरी नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया गुजरात HC का फैसला

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एलोपैथी डॉक्टर्स और देसी दवाइयों से इलाज करने वाले डॉक्टर के बारे में नहीं कहा जा सकता है कि वे समान काम करते हैं। ऐसे में समान वेतन का दावा नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एलोपैथी के डॉक्टर के समान देसी दवाइयों से इलाज करने वाले डॉक्टर को नहीं माना जा सकता है। इस लिहाज से एलोपैथी डॉक्टर के समान वेतन की मांग नहीं की जा सकती है। अदालत ने कहा है कि एलोपैथी के डॉक्टर ट्रॉमा सेंटर और इमरजेंसी सेवा दे सकते हैं और यह काम आयुर्वेदिक डॉक्टर नहीं कर सकते हैं।

‘आयुर्वेदिक डॉक्टर सर्जन को असिस्ट नहीं कर सकते’
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि आयुर्वेदिक डॉक्टर सर्जन को असिस्ट नहीं कर सकते हैं। जटिल सर्जरी एलोपैथी के डॉक्टर करते हैं और उनको आयुर्वेद के डॉक्टर सहयोग नहीं कर सकते हैं। लेकिन MBBS डॉक्टर सर्जरी से लेकर इमरजेंसी ड्यूटी और ट्ऱॉमा सेंटर में ड्यूटी कर सकते हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान यह साफ किया कि हम यह नहीं कर रहे हैं कि एक मेडिसिन सिस्टम दूसरे से बेहतर है। यह हम नहीं कह रहे हैं कि कौन सा बेहतर है और न ही उसके मेरिट का हम आकलन कर सकते हैं।
‘देसी सिस्टम से जटिल इलाज नहीं हो सकता’
अदालत ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि वैकल्पिक मेडिसिन इस देश की शान है। लेकिन यह भी तथ्य है कि देसी सिस्टम से इलाज करने वाले डॉक्टर जटिल ऑपरेशन वगैरह नहीं कर सकते हैं। आयुर्वेद उन्हें सर्जरी की इजाजत भी नहीं देती है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट के उस आदेश का खारिज कर दिया, जिसमें उसने कहा था कि आयुर्वेद की डिग्री धारी डॉक्टर और एमबीबीएस डॉक्टर के बराबर होंगे। साथ ही, वे टिक्कू पे कमीशन के तहत की कई सिफारिश के बराबर लाभ के हकदार होंगे.
शीर्ष अदालत ने कहा कि यह शहरों या कस्बों के सामान्य अस्पतालों में MBBS डिग्री वाले डॉक्टरों को सैकड़ों मरीजों की देखभाल करनी पड़ती है, जो आयुर्वेद चिकित्सकों के मामले में नहीं है।

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