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बी-स्कूल के छात्रों का स्टार्टअप से हो रहा है मोह भंग, जानिए क्यों

नई दिल्ली: एक जमाना था जबकि स्टार्टअप्स (Startups) की देश में धूम मच रही थी। चोटी के बिजनेस स्कूल के छात्र स्टार्टअप्स ज्वाइन कर रहे थे। उन्हें सेलेरी भी खूब मिल रही थी। काम भी खूब था। लेकिन कोरोना के बाद हालात बदल रहे हैं। अब टॉप बी स्कूलों के छात्रों को स्टार्टअप्स नहीं लुभा रहे हैं। अब तो इन स्कूलों से निकल विद्यार्थी फिर से बड़ी और नामी कंपनियों का दामन थामना चाहते हैं।

करियर ट्रांसफोर्मेशन प्लेटफॉर्म अनस्टॉप ने बुधवार को अपनी सालाना कैम्पस एम्प्लॉयर ब्रांडिंग रिपोर्ट 2023 जारी की है। अपनी तरह की अनूठी यह रिपोर्ट नौकरी को लेकर छात्रों के रूझानों पर रोशनी डालती है। रिपोर्ट को अनस्टॉप कैम्पस हायरिंग मीट 2023 के दौरान किया गया। इसमें बताया गया है कि इस साल महज 14 फीसदी विद्यार्थियों ने ही स्टार्टअप में नौकरी करने को तवज्जो दी। जानते हैं इस रिपोर्ट की विशेषता।

बड़ी कंपनियों या फर्म है पसंद

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि बी स्कूल के तकरीबन आधे यानि 49 फीसदी छात्र बड़ी फर्मों में काम करना पसंद करते हैं। महज 14 फीसदी छात्र ही स्टार्ट-अप्स के साथ काम करना चाहते हैं। इससे साफ है कि स्टार्ट-अप्स को छात्रों को ध्यान में रखते हुए अपने प्रोग्राम पेश करने चाहिए। उन्हें अपने एम्प्लॉयर ब्रांडिंग गेम पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि जितने ज़्यादा लोग उनके बारे में जानेंगे, उतना ही प्रतिभाशाली छात्रों के साथ उनके जुड़ने की संभावना बढ़ेगी।

करियर का विकास ज्यादा महत्वपूर्ण

यह रिपोर्ट बताती है कि हर बीतते साल के साथ बी-स्कूल के ग्रेजुएट्स की पसंद बदल रही है। आज वे वेतन के बजाए करियर के विकास को ज़्यादा महत्व देते हैं। सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले 50 फीसदी बी-स्कूलर्स ने कम सीटीसी और फिक्स्ड कम्पोनेन्ट को चुना। अनस्टॉप सीईबीआर 2023 के अनुसार प्रतियोगिता में हिस्सा लेने से छात्रों के लिए ज़्यादा सीटीसी की संभावना 300-500 फीसदी बढ़ जाती है। ऐसे में यह प्रतिभाशाली छात्रों को लुभाने के लिए महत्वपूर्ण पहलू है।


रिपोर्ट के मुताबिक एक कंपनी में एल्युमनाई की सक्रियता को नकारा नहीं जा सकता। ऐसे में कंपनियों के लिए कैम्पस एल्युमनाई के साथ जुड़ना बेहद महत्वपूर्ण है। उनके नेटवर्क का उपयोग कर कंपनियां अपने एम्प्लॉयर ब्राण्ड को बेहतर बना सकती हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि प्रतियोगिता, प्लेसमेन्ट पर चर्चा, एल्युमनाई के बीच अनौपचारिक बातचीत- ये सभी पहलु एक अच्छे मॉडल का निर्माण करते हैं। पिछले तीन सालों से यही रूझान देखा जा रहा है।

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