उत्तर प्रदेश

Banda – अनियमित चकबंदी के षष्ठम सोपान में,भ्रष्टाचार,आत्महत्या के लिए प्रेरित करने के आरोप।

रूखबंदी रजिस्टर में पेंसिल से गाटे भरकर हस्ताक्षर कराकर बाद में मिटाते हुए मनमानी गाटे भरे गये। टू०ए० में पृष्ठांकन नहीं है, पेंसिल वर्क है।

Banda – गाटा 377, 378 आन रोड,मालियत 60 पैसे व इन गाटा के पीछे के रकबों की मालियत 90 पैसे लगाई ?

रूखबंदी रजिस्टर में पेंसिल से गाटे भरकर हस्ताक्षर कराकर बाद में मिटाते हुए मनमानी गाटे भरे गये। टू०ए० में पृष्ठांकन नहीं है, पेंसिल वर्क है।

कार्यवाही पंजिका में ग्राम प्रधान व स०च० कर्ता के फर्जी हस्ताक्षर बनाये व मुहर लगाई ?

स०च०अधि० पैलानी द्वारा मालियत गाटा दर गाटा नहीं,दलालों, लेखपाल व कानूनगो के कहने अनुसार लगाई गयी।

ब्यूरो एन के मिश्र

बांदा -जिलाधिकारी,बांदा कोआज दिनांक 14 जून को लिखित ज्ञापन ग्राम प्रधान खपटिहा खुर्द के द्वारा ग्राम की चकबंदी में भ्रष्टाचार/अवैध धन उगाही हेतु कर्मचारियों/अधिकारियों के द्वारा जानबूझ कर की गई असंवैधानिक प्रक्रिया/अनियमितता की बिंदुवार व्यौरे एवं किसानों के आत्महता की  प्रेरणा श्रोत भ्रष्ट चकबंदी से ग्राम की चकबंदी प्रक्रिया निरस्त कर एवं भ्रष्टाचार में संलिप्त(अकंठ डूबे) लोगों के विरुद्ध उच्चस्तरीय जांच, सुसंगत धाराओं में मुकदमे दर्ज करवाते हुए दण्डित करने की मांग की गई है।

             ज्ञापन

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ग्राम- खपटिहाखुर्द में जारी जानलेवा चकबंदी निरस्त कर भ्रष्टाचार/अनियमितताओं/ अभिलेखीय हेराफेरी की स्थलीय/अभिलेखीय जांच ए०डी०एम० स्तर की अध्यक्षता में विभाग से बाहर की टीम गठित कर जांच / कार्यवाही के सम्बन्ध में। ग्राम-खपटिहाखुर्द, तहसील-पैलानी, जिला- बाँदा में चकबन्दी प्रक्रिया धारा-4 का प्रकाशन दिनांक 05.03.2016 को किया गया,  तत्कालीन लेखपाल प्रेम सविता, तत्कालीन कानूनगो कामता प्रसाद,स०चकबंदी अधिकारी रामबिलाश चकबन्दी अधिकारी शैलेन्द्र कुमार व तत्कालीन चकबंदी अधिकारी राणाप्रताप ने सर्वे से लेकर चक आपत्ति/अपीलों के साथ शिकायतों के समाधान में कोई रूचि नहीं ली। कागजों में फर्जीवाड़ा करते हुए अवैध धन वसूली का धंधा गिरोह बनाकर करते रहे, किसानों का इतना उत्पीड़न किया गया कि किसान पुत्र महाबली निषाद ने अपनी अच्छी जमीन के बदले ऊसर जमीन चकबंदी विभाग द्वारा दिये जाने से दुखी होकर जनपद स्तर पर विभागीय अधिकारियों द्वारा समाधान न करने पर आत्महत्या कर ली। अन्य उत्पीड़ित किसानों की जान बची रहे.विभाग का शिकार बनने से पहले जानलेवा चकबंदी प्रक्रिया निरस्त की जावे व निम्नांकित बिन्दुओं की जांच कराई जावे-

1- यह कि लेखपाल प्रेम सविता द्वारा सर्वे कार्य व कामता कानूनगो द्वारा तरमीमी कार्य मौके पर नहीं किया गया।

2- यह कि स०च०अधि० पैलानी द्वारा मालियत मौके पर गाटा दर गाटा नहीं लगाई गयी,घर में बैठकर दलालों, लेखपाल व कानूनगो के कहने अनुसार लगाई गयी,जिससे कम उपजाऊ खेतों की अधिक व उपजाऊ खेतों की कम लगी, जिससे लोगों के हित प्रभावित हैं। जैसे- गाटा 377, 378 आन रोड है,उनकी मालियत 60 पैसे व इन गाटा के पीछे के रकबों की मालियत 90 पैसे लगाई गयी।

3- यह कि सर्वे दौरान,तरमीमी व मालियत दौरान, समाधियाँ जैसे-पंचा की,मइयादीन आदि की समाधि चकों से बाहर कर दी गयी, कुंओ जैसे-गया प्रसाद का,कल्लू,छेदियां आदि की मालियत नहीं लगाई गयी। इसी तरह नलकूप देवराज, सुरेश,रामकुमार आदि के व तालाब चिन्हित नहीं किये गये, फलदार वृक्षों की मालियत व बगीचों को अचक नहीं किया गया। जैसे-दुलारे के 12 पेड़ महुवा के हैं।

4- यह कि बहुत सारे कृषकों के अंश सही नहीं खोले गये ।

5- यह कि कई कृषकों के सहखाते में चक बना दिये गये।

6- यह कि अवैध धन वसूली करके मूल नम्बरों को अल्प रकबा दे करके उड़ान चक बनाये गये,25 प्रतिशत से अधिक रकबा प्रविष्ट नहीं होना चाहिए।

7- यह कि सेक्टर व चकरोड अपने मन की काट दिये गये। किसानों व चकबंदी कमेटी को पूंछा नहीं गया, जो अव्यवहारिक है,निष्प्रयोज्य है।

8- यह कि आरक्षित भूमि कितनी कहां पर छोड़ी गयी है, ग्राम प्रधान सहित स०च०क० व किसानों से छिपाया गया, किसी को नहीं पता। कहाँ कितनी किस मद भूमि आरक्षित है

9- यह कि जानबूझकर किसानों का शोषण करने के लिए सर्वे में कम पाया गया, सड़क पर रकवा पाया गया, मनगढ़न्त लिखा गया।

10- यह कि रूखबंदी रजिस्टर में पेंसिल से गाटे भरकर हस्ताक्षर कराकर बाद में मिटाते हुए मनमानी गाटे भरे गये। टू०ए० में पृष्ठांकन नहीं है, पेंसिल वर्क है।

11- यह कि जानबूझकर किसानों का शोषण करने के लिए सर्वे में कम पाया गया, सड़क पर रकवा पाया गया, मनगढ़न्त लिखा गया।यह कि रूखबंदी रजिस्टर में पेंसिल से गाटे भरकर हस्ताक्षर कराकर बाद में मिटाते हुए मनमानी गाटे भरे गये। टू०ए० में पृष्ठांकन नहीं है,पेंसिल वर्क है।

11- यह कि आज भी अधिकांशतः किसानों को आकार पत्र-5 व आकार पत्र – 23 नहीं दिये/वितरित किये गये।

12- यह कि स०च०अधि0 पैलानी द्वारा बंद कमरे में मनमानी अवैध धनउगाही करके लेखपाल,प्रेम सविता व बलीराम की मदद से मनमानी चक प्रस्तावित किया गया।

13- यह कि कार्यवाही रजिस्टर में ग्राम प्रधान व स०च०कर्ता के फर्जी कार्यवाही में हस्ताक्षर बनाये गये। सम्भव है कि चकबंदी विभाग ग्राम प्रधान की मोहर सील बनवा रखी है।

14- यह कि चकबंदी अधि० शैलेन्द्र कुमार ने बिना गुणदोष का परीक्षण किए सम्पूर्ण चक आपत्तियां खारिज कर दी थी।

15- यह कि आकार पत्र-5 व आकार पत्र-23 का वितरण बहुत पुरानी तारीख डालकर वितरण किया गया। षड्यंत्र के तहत चक आपत्ति कालबाधित कर दी गयी।

16- यह कि मृतकों की वरासत व आदेशों का अमलदरागद खतौनियों में नहीं किया जाता ।

17- यह कि आकार पत्र-23 में तो मूल गाटे दिये गये, लेकिन नक्शे में गाटों का स्थान बदल दिया गया। आकार पत्र – 23 व नक्शे में कोई समानता नहीं है।

18- यह कि खेत तालाब योजना के तालाब चिन्हित नहीं किया गया।

19- यह कि छोटे काश्तकारों के चकों की संख्या साजिशन बढ़ाई गयी ।

20- यह कि TOA रजिस्टर आकार पत्र-4, 09-12-20-23 की जांच की जावे।

21- यह कि चकों की मालियत सही नहीं दी गयी, ताकि संदर्भ बनाते समय तक खेल लूट का जारी रहे।

22- यह कि बिना चक अपीलों के सुनवाई के मनमानी तरीके से मई 2024 में चक सीमांकन कार्य शुरू करा दिया गया।

23- यह कि चक प्रस्तावित नक्शे से आकार पत्र-23 का मिलान किया जावे, दोनों में कोई समानता नहीं है।

24- यह कि ग्राम पंचायत की दिनांक 01.06.20 24 की खुली बैठक में पारित प्रस्ताव के अनुसार मौत का कुँआ बनी चकबंदी प्रक्रिया निरस्त की जावे, ताकि किसानों की जान बचाई जावे ।

25- यह कि पूर्व लेखपाल प्रेम कुमार सविता, वर्तमान लेखपाल बलीराम,पूर्व कानूनगो कामता प्रसाद व स०चक०अधि० रामविलाश आजाद व चकबंदी अधि० शैलेन्द्र कुमार व राणाप्रताप के विरूद्ध किसान पुत्र महाबली निषाद को आत्महत्या के लिये मजबूर व विवश करने के लिए जिम्मेदार लोगों के विरूद्ध रिपोर्ट दर्ज कर दण्डित किया जावे।

26- यह कि विभाग के अन्य अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है।

अतः मौत का कुँआ बनी भ्रष्ट चकबंदी प्रक्रिया व चकबंदी विभाग के कर्मचारी व अधिकारियों के विरूद्ध चकबंदी निदेशालय से डी०डी० सी० स्तर की टीम गठित कर वीडियोग्राफी के साथ स्थलीय/अभिलेखीय जांच कराते हुए किसान पुत्र के आत्महत्या के लिए विवश कर देने के दोषी लोगों को दंडित करते हुए भ्रष्टाचार उत्पीड़न की जांच व चकबन्दी प्रक्रिया निरस्त करने की कृपा की जावे तथा संलिप्त लोगों की भी जांच की जावे।

 

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