उत्तर प्रदेश

Banda – बाल श्रम निषेध दिवस कार्यक्रम, महुवा ब्लॉक के ग्राम मनीपुर में आयोजन हुआ :-जीतेंद्र(जिला समन्वयक)

सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2 करोड़ और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार तो लगभग 5 करोड़ बच्चे बाल श्रमिक हैं।

Banda – बाल श्रम निषेध दिवस पर,साथी – यूपी की संस्था टीम के साथ सभी ने अपने को प्रतिज्ञाबद्ध किया।

ब्यूरो एन के मिश्र

बांदा -दिनांक 12 जून 2023 को मनीपुर ग्राम पंचायत के पंचायत भवन में कार्यक्रम किया गया जिसमे बालिकाएं 19 एवम बालक 21‌उपस्थित बच्चे रहे ।

जिसमे सर्वप्रथम साथी – यूपी की टीम ने अपना परिचय दिया एवम उपस्थित समस्त स्टेक होल्डर ने अपना परिचय दिया इसके बाद कार्यक्रम की शुरुआत की गई जिसमे *सर्वप्रथम जिला समन्वयक जीतेंद्र* द्वारा बताया कि पूरे विश्व में 12 जून को अंतरराष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है तथा इस वर्ष की थीम है “Let’s Act on Our Commitments: End Child Labour” जिसका अर्थ है आइए अपनी प्रतिबद्धताओं पर काम करें: बाल श्रम को समाप्त करें!

तथा इसके बाद बाल श्रम के विषय में बताया गया की गरीबी सबसे बड़ी समस्या है बाल श्रम की, जिसकी वजह से बच्चे शिक्षा का विकल्प छोड़कर मजबूरी वश मजदूरी करना चुनते हैं। इसके अलावा, कई सारे बच्चों को संगठित अपराध रैकेट द्वारा भी बाल श्रम के लिए मजबूर किया जाता है। तो इस दिन को विश्व स्तर पर मनाए जाने का उद्देश्य इन्हीं चीज़ों के ऊपर लोगों का ध्यान आकर्षित करना है, जिससे बच्चों को बाल श्रम से रोका जा सके इसके बाद बाल श्रम अधिनियम 1986 (संशोधन अधिनियम 2016) के विषय में विस्तार से जानकारी दी इसके पश्चात *फील्ड ऑफिसर ज्ञानदीप एवम रेखा* द्वारा बताया गया कि बच्चों को देश का भविष्य कहा जाता है।

किसी भी देश के बच्चे अगर  शिक्षित और स्वस्थ्य होंगे तो वह देश उन्नति और प्रगति करेगा और देश में खुशहाली आयेगी लेकिन अगर बच्चे  बचपन से ही किताबों को छोड़कर कल-कारखनों में काम करने लगेंगे तो देश समाज का भविष्य उज्ज्वल नहीं होगा।

महानगरों और शहरों में कान्वेंट स्कूलों में रंग-बिरंगे यूनिफॉर्म पहन कर हंसते-खिलखिलाते हुए बच्चों को देखकर कौन खुश नहीं होगा लेकिन ये देश के बच्चों की सही तस्वीर नहीं है ऐसे बच्चों की संख्या बहुत कम है. देश में आज भी करोड़ों बच्चे स्कूलों की बजाए कल-कारखानों, ढाबों और खतरनाक कहे जाने वाले उद्योगों में कार्य कर रहे हैं जहां दो वक्त पेट के भोजन की शर्त पर उनका बचपन और भविष्य तबाह हो रहा है सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया भर में बच्चे पढ़ाई छोड़कर काम करने को मजबूर हैं। इसके बाद *JSF राजेश  एवम जन साथी आरती प्रजापति* द्वारा बताया गया सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2 करोड़ और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार तो लगभग 5 करोड़ बच्चे बाल श्रमिक हैं. इन बालश्रमिकों में से 19 प्रतिशत के लगभग घरेलू नौकर हैं, ग्रामीण और असंगठित क्षेत्रों में तथा कृषि क्षेत्र से लगभग 80 प्रतिशत जुड़े हुए हैं शेष अन्य क्षेत्रों में, बच्चों के अभिभावक ही बहुत थोड़े पैसों में उनको ऐसे ठेकेदारों के हाथ बेच देते हैं जो अपनी व्यवस्था के अनुसार उनको होटलों, कोठियों तथा अन्य कारखानों आदि में काम पर लगा देते हैं. उनके नियोक्ता बच्चों को थोड़ा सा खाना देकर मनमाना काम कराते हैं। 18 घंटे या उससे भी अधिक काम करना, आधे पेट भोजन और मनमाफ़िक काम न होने पर पिटाई यही उनका जीवन बन जाता है।

केवल घर का काम नहीं इन बालश्रमिकों को पटाखे बनाना, कालीन बुनना, वेल्डिंग करना, ताले बनाना, पीतल उद्योग में काम करना, कांच उद्योग, हीरा उद्योग, माचिस, बीड़ी बनाना, खेतों में काम करना, कोयले की खानों में, पत्थर खदानों में, सीमेंट उद्योग, दवा उद्योग में तथा होटलों व ढाबों में झूठे बर्तन धोना आदि सभी काम मालिक की मर्ज़ी के अनुसार करने होते हैं।

इन समस्त कार्यों के अतिरिक्त कूड़ा बीनना, पोलीथिन की गंदी थैलियां चुनना, आदि अनेक कार्य हैं जहां ये बच्चे अपने बचपन को नहीं जीते, नरक भुगतते हैं परिवार का पेट पालते हैं।

इसके बाद कार्यक्रम में उपस्थित बच्चों ने अनेक तरह गीतों को गया तथा चित्रकला के माध्यम से अपने अपने विचार व्यक्त किए इसके पश्चात *ग्राम प्रधान मीरा वर्मा , पंचायत सहायक अमित जी , आंगनवाड़ी कार्यकत्री गरिमा देवी जी एवम सहयिका अरुणा सिंह जी तथा महिला एवं बाल कल्याण विभाग से राकेश यादव* व*साथी-यूपी संस्था से जिला समन्वयक जीतेंद्र , रिसोर्स सेंटर फैसिलिटेटर गौतम , जन साथी फैसिलिटेटर राजेश  , फील्ड ऑफिसर ज्ञानदीप  तथा रेखा  एवम जन साथी आरती प्रजापति  एवम इंद्रजीत* आदि सभी ने निम्न प्रतिज्ञा ली :-

1. हम बच्चों की शिक्षा को प्राथमिकता देंगे। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हमारे आसपास के सभी बच्चे स्कूल जा पाएं।

2. लड़के और लड़कियों के बीच भेदभाव नहीं करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें समान शिक्षा के अवसर मिले।

3. हम अपने घर और समाज में बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण बनाएंगे ।

4. हम बच्चों को उन गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करेंगे जो उनकी भलाई और विकास को बढ़ावा देती हैं और उन्हें एक उज्जवल भविष्य बनाने में मदद करेंगी।

5. हम अपने समाज में बाल श्रम के खिलाफ बोलेंगे और बच्चों के जीवन पर इसके हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता बनाएंगे।

कार्यक्रम के अंत में सभी को मिष्ठान वितरण किया गया ।

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