उत्तर प्रदेश

Banda -भ्रष्ट चकबंदी प्रक्रिया का षष्ठम सोपान,मंडलायुक्त ने लिया खबरों का संज्ञान, डी एम बांदा को दिया कार्यवाही का आदेश।

चकबंदी के प्राथमिक कार्य अपूर्ण,धारा 27 के तहत अंतिम अभिलेख व धारा 52 का प्रकाशन कैसे ?

Banda – दोष सिद्ध के विरुद्ध कार्यवाही के प्रस्ताव भेजने के चकबंदी आयुक्त(जी.एस.नवीन कुमार) के आदेश भी चार माह से ठंडे बस्ते में ?

चकबंदी के प्राथमिक कार्य अपूर्ण,धारा 27 के तहत अंतिम अभिलेख व धारा 52 का प्रकाशन कैसे ?

आधा दर्जन प्रदेशीय सचिवों के निर्देशों में सिर्फ खानापूर्ति,चकबंदी आयुक्त के आदेश का अनुपालन ठंडे बस्ते में ?

जिनकी शिकायतों में संदिग्ध भूमिका,फिर भी जॉच उनको ही सौंपी गई ?

गैर जनपदीय जॉच आधिकारी ने जॉच आख्या में दोष सिद्ध किया,समकक्षीय संलिप्त अधिकारियों को जांच से बाहर भी रखा।

ब्यूरो एन के मिश्र 

बांदा- जनपद के ग्राम सिलेहटा में अनवरत चल रही चकबंदी प्रक्रिया में भूमिधर किसनो की भूमि चकबंदी में हुऐ भ्रष्टाचार के चलते चकबंदी का तीव्र प्रवाह घातक सिद्ध होता है। चकबंदी ग्राम सिलेहटा के किसान की आंखों देखी दस्तान प्रत्यक्ष उदाहरण बन रही है।

जमीनी स्तर पर एवं प्रपत्रों में की गई गड़बड़ी को भ्रष्टाचार की संज्ञा देते हुए जांच के लिए प्राप्त शिकायतों के आधार पर मुख्यमंत्री कार्यालय के उप सचिव अरविंद मोहन,उप सचिव भास्कर,विशेष सचिव मुख्यमंत्री शशांक त्रिपाठी,विशेष सचिव राजस्व परिषद, चकबंदी आयुक्त जी एस नवीन कुमार,अपर आयुक्त चकबंदी अनुराग पटेल,संयुक्त संचालक चकबंदी रणविजय सिंह के द्वारा एक दर्जन से अधिक प्राप्त शिकायती प्रकरणों की जांच हेतु जिलाधिकारी बांदा को भेजे गए पत्र। शिकायती प्रकरणों में जांच के आदेशों के अनुपालन में DDC/SOC बांदा को ही जांच का प्रभार दिया गया ?

विशेष- जिन चकबंदी अधिकारियों की प्राप्त शिकायतों में संदिग्ध भूमिका थी,जांच भी उन्ही अधिकारियों को करने के लिए दी गई। विशेष कर उल्लेखनीय बात यह थी कि जांच प्राप्त अधिकारियों के द्वारा अपने अधीनस्थों से जांच की लीपा-पोती तथ्यों एवं प्रपत्रों में गुनाहों को छुपाते हुए जांच आख्या शासन को भेज दी गई थी। 

शिकायतों का सही परिणाम न मिलने पर पीड़ित किसानों ने चकबंदी आयुक्त जीएस नवीन कुमार से जनपद के बाहर (गैर जनपद) के अधिकारियों से जांच करवाने का अनुरोध पत्र भेजा। जिसके क्रम में चकबंदी आयुक्त ने पत्रांक संख्या 49/23 10 नवंबर 2023 को एक आदेश पारित कर बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी चित्रकूट धाम कर्वी जनपद को अभिलेख व पत्रावलियों की जांच कर 15 दिवसों में जांच आख्या उपलब्ध कराने का आदेश पारित किया।

बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी चित्रकूट धाम कर्वी ने 06 दिसंबर 2023 को जमीनी स्तर पर एवं प्रपत्रों का निरीक्षण में गम्भीर  अनियमितता देखी वा संलिप्त पाई। जिसका उल्लेख चकबंदी आयुक्त उत्तर प्रदेश को भेजे गए पत्रांक संख्या 2261 में 29 जनवरी 2024 को प्रेषित पत्र में किया गया है।

कहां जाए तो उत्तर प्रदेश में चल रही चकबंदी के इतिहास में किसी एक ग्राम की चकबंदी में सात चकबंदी अधिकारियों सहित कर्मचारियों को अभिलेख व साक्ष्यों में हेरा फेरी,चकबंदी नियमों,शासनादेशो,निदेशालय के आदेशों एवं उत्तरदायित्वों के विरुद्ध दोष सिद्ध पाया जाना एक विशेष घटना मानते हुए दो चकबंदी अधिकारी,एक सहायक चकबंदी अधिकारी, एक कानूनगो,दो लेखपाल को गंभीर दोषी माना एवं विभिन्न स्तरों के कार्यों में दोषी पाए जाने वाले समकक्ष व स्तरीय अधिकारियों के प्रश्नगत शिकायतों पर स्तर अनुकूल न होने से जांच से पृथक रखा गया। साथ ही स्पष्ट किया गया कि इन उच्चाधिकारियों पर अपनी कोई प्रक्रिया नहीं कर सकूंगा। जांच अधिकारी, बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी चित्रकूट धाम कर्वी ने जांच में आधा दर्जन अधिकारियों एवं कर्मचारी जिन्हें जांच के दायरे से पृथक रखा गया था। उनकी जांच के लिए पीड़ित किसान लगातार न्याय की आस लिए प्रयत्नशील देखे जा रहे हैं।

जिन अधिकारियों कर्मचारियों पर दोष सिद्ध प्रमाणित हुआ था। चकबंदी निदेशालय लखनऊ ने DDC/SOC बांदा से कार्यवाही का प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया था।

प्राप्त निर्देश की तिथि से भी लगभग 4 माह व्यतीत होने पर भी ना कार्यवाही की गई ना प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया। इससे प्रमाणित होता है की उच्च स्तर पर अधिकारियों की संलिप्तता और संरक्षण भी भ्रष्ट प्रक्रिया में परिलक्षित होता है।

अब बात करें यदि जनपद स्तरीय पर्यवेक्षण प्रभारी/अधिकारी की भूमिका भी पूर्ण संदिग्ध प्रतीत या प्रमाणित होती है इतनी अनियमितता एवं भ्रष्टाचार प्रमाणित होने के बाद भी संबंधित चकबंदी अधिकारियों का अदम्य साहस कि चकबंदी अधिनियम की धारा 52 के प्रकाशन की तैयारी कर लागू करने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। जबकि पीड़ित किसने की मांग पर चल रही भ्रष्ट चकबंदी प्रक्रिया का निरस्तीकरण किया जाना, तत्पश्चात पुनः नवीन चकबंदी प्रक्रिया का संपादन किया जाना न्याय हित में आवश्यक माना जा रहा है।

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