श्रीलंका को कर्ज में फंसाकर महाशक्तिशाली रडार लगाना चाह रहा चीन, भारत और अमेरिका को बड़ा खतरा

कोलंबो: श्रीलंका को कर्ज के जाल में फंसाकर अपने शिकंजे में कस चुके चीन ने हंबनटोटा बंदरगाह के बाद अब हिंद महासागर के इस अहम देश में जंगलों के अंदर महाशक्तिशाली रेडॉर स्थापित करना चाहता है। चीन के इस खतरनाक चाल से न केवल भारत बल्कि अमेरिका और ब्रिटेन को भी बड़ा खतरा पैदा हो गया है। ब्रिटिश मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन इस रेडॉर की मदद से हिंद महासागर में भारत, अमेरिका और ब्रिटेन की नौसैनिक गतिविधियों पर नजर रखना चाह रहा है। चीन इसके जरिए भारत के कुडनकुलम, कलपक्कम परमाणु बिजली संयंत्र, अंडमान निकोबार और अमेरिका तथा ब्रिटेन के संयुक्त नौसैनिक अड्डे डियागोगार्सिया की आसानी से जासूसी कर सकता है।
भारत के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष स्टेशन की निगरानी संभव
यह रेडॉर श्रीलंका के दक्षिण में स्थित रुहाना के घने जंगलों में लगाया जाना है जो दोंद्रा खाड़ी के पास स्थित है। श्रीलंका का यह इलाका रणनीतिक रूप से बेहद अहम है। इसकी मदद से चीन हिंद महासागर में भारत और पश्चिमी देशों के जंगी जहाजों की निगरानी और जासूसी कर सकेगा। यह भारत के अंडमान निकोबार द्वीप समूह और दक्षिण भारत में सैन्य प्रतिष्ठानों तथा अमेरिका के डियागोगार्सिया नौसैनिक अड्डे के लिए सबसे बड़ा खतरा बनने जा रहा है। इसके महाशक्तिशाली रेडार की मदद से चीन भारत के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष स्टेशन, ओडिशा के चांदीपुर में मिसाइल परीक्षण और कई अन्य सैन्य अड्डों की जासूसी कर सकता है।
चीन ने कर्ज के बदले मांगी रेडॉर लगाने की अनुमति!
चीन ने पहले श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर कब्जा किया और अब उसकी नजर रेडॉर स्टेशन को बनाने पर है। चीन ने हाल ही में श्रीलंका को दो साल तक कर्ज नहीं लौटाने के लिए ऑफर दिया है। इसके बदले में चीन ने श्रीलंका के सामने शर्त रख दी है कि उसे रेडॉर स्टेशन बनाने की अनुमति दी जाए। विशेषज्ञों का कहना है कि आईएमएफ से डील के दौरान चीन ने कर्ज को रीस्ट्रक्चर करने के बदले इस रेडॉर स्टेशन की मांग रखी होगी। चीन ने इसी तरह का रेडॉर साल 2012 में आर्जेंटीना में भी बनाया था।
श्रीलंका इससे पहले चीन के जासूसी जहाज को अपने यहां रुकने की अनुमति दे चुका है। इसका भारत और अमेरिका ने कड़ा विरोध किया था। विश्लेषकों का कहना है कि श्रीलंका की सरकार गुटनिरपेक्ष होने का दावा करती है लेकिन चीन की इस योजना से उसके दावे पर गंभीर सवाल उठने लगा है। चीन जिस डोंड्रा की खाड़ी में यह रेडॉर लगाना चाहता है, वह एक समय में श्रीलंका की राजधानी रह चुकी है।