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Budget-2023: आम नागरिक क्या चाहे निर्मला मैडम से

नई दिल्ली: चाहे देश (Country) हो या आम गृहस्थ (Household)। हर कोई अपना बजट (Budget) बनाते हैं। दरअसल, बजट एक ऐसा दस्तावेज है जो लक्ष्यों के आधार पर आगामी अवधि के लिए आमदनी और खर्चों का अनुमान लगाने के लिए बनाया जाता है। कोई भी बजट पूरे वर्ष खर्च और आमदनी का एक हिसाब होता है। देश का बजट भी इसी तरह बनता है। आम करदाता की नजर भी बजट पर होती है। वह आमतौर पर लगाए जाने वाले टैक्स, खासतौर पर इनकम टैक्स में होने वाले बदलाव पर होती है। बजट से उनकी उम्मीदें भी इसी मसले पर टिकी होती है। जब से जीएसटी लागू हुआ है, तब से बजट में आम करदाताओं का ध्यान अप्रत्यक्ष करों पर भी जाने लगा है। टैक्स मामलों के विशेषज्ञ और चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA)
देश के आम व्यक्तिगत करदाताओं को एक वैकल्पिक कर प्रणाली दी गई थी। इसके तहत इनवेस्टमेंट, स्टैण्डर्ड डिडक्शन एवं मकान बनाने के लिए लिए गए लोन पर छूट आदि को छोड़ने पर एक रियायती कर की दर दी गई थी। हालांकि, कर देयता की सीमा 2.50 लाख रुपये ही रखी गई है। लेकिन यह वैकल्पिक कर की व्यवस्यथा लोकप्रिय नहीं हुई है। इसलिए करदाताओं की उम्मीद यह है कि निवेश एवं खर्च इत्यादि की छूट को जारी रखते हुए ही टैक्स की सीमा ही 5 लाख रुपये कर दी जाए। साथ ही कर की जो मुख्य दर है उसे ही थोड़ा कम कर दिया जाए।