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डर-चिंता से उड़ रही बच्चों की नींद:वे ज्यादा थक रहे; इन्हें मां-बाप की डांट नहीं, प्यार भरे स्पर्श की जरूरत है

कई बार डर, चिंता और दर्द जैसी वजहाें से बच्चे जागते रहते हैं। कई बार दिमाग में एक के बाद एक विचाराें का सिलसिला चलता रहता है। नींद उनसे काेसाें दूर बनी रहती है। ऐसे में वे बहुत ज्यादा थकान के बावजूद भी साे नहीं पाते।

बच्चे को डांटने की जगह प्यार करें
यह विराेधाभासी स्थिति हाेती है। नींद तो भरी हाेती है, लेकिन साे नहीं पाते। वास्तव में यह संकट में अस्तित्व काे लेकर शरीर काे सचेत रखने की जवाबी प्रतिक्रिया है। मगर नींद के लिए दिमाग में चैन-सुकून की जरूरत हाेती है। ऐसे में बच्चाें के माता-पिता के लिए उनकी भावनाओं काे समझकर उनसे बर्ताव करने की जरूरत हाेती है। बच्चे डांट-फटकार और आदेश देने से नहीं साेते, बल्कि प्यार भरे स्पर्श और बाेल उनके लिए मरहम का काम करते हैं।

भावनात्मक थकान से तनाव बढ़ता है
भावनात्मक थकान तनाव का ही एक रूप है, जाे बच्चाें और वयस्काें दाेनाें की नींद उड़ाकर उन्हें चिड़चिड़ा बना देती है। वैज्ञानिक रूप से नींद का दबाव जितना ज्यादा हाेगा, उतना ही साेना आसान हाेगा। यानी बिस्तर पर जाते ही नींद आ जाएगी। न चाहते हुए भी हम साे जाएंगे।

दिमाग में एडिनाेसाइंस केमिकल बनने से ऐसा होता है। यह एक तरह के प्राेटीन हैं जाे हमारे साेने पर दिमाग से हट जाते हैं। जैसे ही हम जागते हैं, ये फिर से दिमाग में बनना शुरू हाे जाते हैं। दिमाग में इनकी मात्रा बढ़ने पर नींद का दबाव पैदा हाे जाता है। एडल्ट्स में इस प्रक्रिया में 14-16 घंटे लगते हैं। बच्चे एक से दाे घंटे में दाेबारा साेने के लिए तैयार हाे जाते हैं।

धीरे बात करना, शांत भाव दिखाना मददगार
बच्चाें काे सुकून की नींद सुलाने के लिए स्पर्श से दुलारना, थपकना बहुत मददगार हाेता है। धीरे-धीरे बात करना, गीत गाना, गुनगुनाना भी उनकाे सुलाने में कारगर हाेता है। बच्चे के सामने धीमे-धीमे सांस लेना और शांत भाव दिखाना भी उनकाे जल्दी ही नींद की गाेद में ले जाता है।

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