चीन का शक्ति प्रदर्शन नहीं आया काम, अफ्रीका में पैर पसारने की चाल फेल, ड्रैगन को बड़ा झटका

बीजिंग: दक्षिण चीन सागर से लेकर लद्दाख तक आंखें दिखा रहा चीन अफ्रीका में भी अपनी पकड़ को मजबूत करने में जुट गया है। चीन ने अफ्रीकी देश जिबूती में अपना विशाल नेवल बेस बना लिया है। इस बेस पर चीन ने अपने 900 से लेकर 1200 सैनिकों को तैनात कर रखा है। इस नौसैनिक अड्डे पर हाल ही में चीन का एक 7000 टन का डेस्ट्रायर नानिंग पहुंचा था। चीन ने पिछले दिनों अपने दो जासूसी जहाजों को लेकर दक्षिण अफ्रीका और रूस के साथ संयुक्त अभ्यास किया था। यह अभ्यास दक्षिण अफ्रीका के समुद्री तट पर मार्च के अंतिम दिनों में किया गया था लेकिन यह अफ्रीकी देशों पर छाप छोड़ने में नाकाम रहा।
चीन को तंजानिया ने भी दिया झटका
रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिमी देशों की दबाव की वजह से बाटा ने चीनी अड्डे को ना कर दिया। इस दौरान इक्वेटोरियल गिनी में पश्चिमी देशों के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने दौरा किया था। इसके बाद चीन की नजर बागमोयो पर थी जो एक समय में तंजानिया का हिंद महासागर में महत्वपूर्ण बंदरगाह था। शुरुआती प्रयासों के बाद चीन को कोई भी सकारात्मक संकेत तंजानिया से नहीं मिला। इसके बाद चीन के लिए एक अन्य विकल्प मोजांबिक था लेकिन वहां पर पुर्तगाल और अन्य पश्चिमी देश पहले से मौजूद हैं।
ऐसे में वहां भी चीन की दाल नहीं गली। हिंद महासागर क्षेत्र में केवल जिबूती ही एक ऐसा देश है जहां पर उसे सफलता मिली है। जिबूती का चीनी नौसेना का बेस काफी बड़ा है। हालांकि यहां भी पश्चिमी देश बड़े पैमाने पर मौजूद हैं जिससे वहां चीन को उस तरह की सफलता नहीं मिली जिसकी उसे उम्मीद है। चीन लगातार हिंद महासागर में अपने जासूसी जहाज और युद्धपोत भेज रहा है। यही नहीं म्यांमार के कोको द्वीप और कंबोडिया में चीन के जासूसी बेस बनाने की भी खबरें आई हैं। चीन श्रीलंका में हंबनटोटा को अपना नौसैनिक अड्डा बनाने की फिराक में और रेडॉर स्टेशन स्थापित करना चाहता है। इससे भारत को बड़ा खतरा हो सकता है।