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पिछले 50 सालों में तेजी से बढ़े डेंगू केस, भारत के लिए भी खतरा कम नहीं, IISC के रिसर्चर्स ने अपनी स्टडी में क्या बताया

नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर सहित भारत के कई हिस्सों में अप्रैल के बाद अब मई की शुरुआत भी बारिश से हुई है। कहीं तेज तो कहीं हल्की बारिश के बाद मौसम सुहाना हो गया है। लोगों को भीषण गर्मी से राहत मिली है। आईएमडी के मुताबिक, आने वाले 2 से 3 दिन मौसम ऐसा ही रहने वाला है। मतलब अगले 3 दिन तक लोगों को गर्मी के तेवर देखने को नहीं मिलेंगे। बाद में तापमान जरूर बढ़ने की संभावना है। अब जब बारिश हुई है, मौसम में ठंडक है। ऐसे में मच्छर भी सक्रिय हो गए हैं। मौसम ऐसा ही रहा तो डेंगू का खतरा और बढ़ेगा। यह हम नहीं बल्कि बेंगलुरू में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस के रिसर्चर्स कह रहे हैं। उन्होंने डेंगू वाले वायरस पर पिछले लगभग 6 दशक का कम्प्यूटिशनल विश्लेषण किया है जिसके बाद इस नतीजे पर पहुंचे हैं।


पिछले 50 सालों में तेजी से बढ़े डेंगू के मामले
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस के रिसर्चर्स ने अपनी रिसर्च में बताया कि पिछले 50 सालों में दक्षिण- पूर्व एशियन देशों में डेंगू के केस तेजी से बढ़े हैं। रिसर्चर्स की टीम ने डेंगू के 4 स्टीरियोटाइप का अध्यन किया और पाया कि प्रत्येक स्टीरियोटाइप अपने एनसेस्ट्रल सिक्वेंस से कितना अलग है। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस की ओर से की गई यह रिसर्च PLoS पैथोजन नामक जॉर्नल में छपी है। रिसर्च से पता चला कि जब डेंगू फैलता है तो उसके आस-पास कई कारक ऐसे होते हैं जो उसके नए वैरिएंट के पैदा होने में मदद करते हैं।


भारत में कैसे बढ़ा डेंगू
बेंगलुरू के IISC के रिसर्चर्स ने भारत में डेंगू के 408 जेनेटिक सिक्वेंस की पड़ताल की। उन्होंने 1956 से 2018 तक का डेट जमा किया है। रिसर्चर्स रॉय ने कहा कि हमने देखा कि क्रम बड़े जटिल तरीके से बदल रहे हैं। उन्होंने बताया कि साल 2012 तक भारत में डेंगू 1 और 3 स्ट्रेन हावी था। लेकिन हाल के सालों में पूरे देश में डेंगू 2 स्ट्रेन तेजी से फैल रहा है। वहीं डेंगू 4 स्ट्रेन जो कभी कम संक्रामक माना जाता था वह अब दक्षिण भारत में अपनी जगह बना रहा है। डेंगू पर पहली स्टडी करने वाले सूरज जगताप ने इसके बारे में विस्तार से बताया है। उन्होंने कहा कि कभी-कभी लोग डेंगू के पहले स्टीरियोटाइप से संक्रमित होते हैं और उसके बाद मरीज के अंदर अलग स्टीरियोटाइप के साथ दूसरा संक्रमण पैदा हो जाता है। इसके चलते मरीज के अंदर और गंभीर लक्षण हो जाते हैं। वैज्ञानिकों को लगता है कि अगर दूसरा स्टीरियोटाइप पहले के समान है तो मरीज के खून में पहले इंफेक्शन के बाद एंटीबॉडी बन जाती है। यही एंटीबॉडी नए स्टीरियोटाइप और इम्यून सेल्स से जुड़ता है जिसे मैक्रोफेज कहते हैं। बता दें कि आदमी के शरीर में पहले संक्रमण के बाद बनने वाली एंटीबॉडी अगले 2 से 3 साल सभी स्टीरियोटाइप से बचाव करती है। लेकिन समय के साथ एंटीबॉडी का स्तर धीरे-धीरे घटने लगता है। नई रिसर्च में बताया गया कि इस बीमारी से बचने के लिए वैक्सीन कितनी जरूरी है।
डेंगू है खतरनाक, भारत में नहीं है वैक्सीन
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस के रिसर्चर और कैमिकल इंजीनियरिंग व विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर राहुल रॉय ने कहा कि हम डेंगू के भारतीय वैरिएंट को समझन का प्रयास किया। हमने पाया कि वे टीके विकसित करने के लिए इस्तेमाल किए गए मूल स्ट्रेन से बहुत अलग हैं। वहीं आपको बता दें कि भारत में डेंगू बड़ी बीमारी के रूप में मौजूद है। ऐसे में इस मर्ज के लिए कोई वैक्सीन मौजूद नहीं है। इंडियल काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च वैक्सीन बनाने के तीसरे फेज के ट्रायल में है। इसे सीरम इंस्टिट्यूट और पनाका बायोटेक संयुक्त रूप से बना रहे हैं।

डेंगू से बचने के लिए क्या करें

– घर के आस-पास पानी जमा न होने दें।
– कूलर का पानी सप्ताह में एक बार जरूर बदलें।
– अपने घर में कीटनाशक दवाई छिड़कते रहें।
-बच्चों के अलावा आप भी ऐसे कपड़े पहनें जिसमें हाथ-पांव पूरी तरह ढंका रहे।
– सोते समय हो सके तो मच्छरदानी का प्रयोग करें।
– मच्छर भगाने के लिए अपने घर में ऑल आउट,कॉइल या मच्छर वाली अगरबत्ती का प्रयोग जरूर करें।
– घर की टंकियों और बर्तनों को ढंक कर रखें

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