रामलला की मूर्ति देख हर कोई हुआ भाव-विभोर, समझिए उनके आभूषणों के महत्व

अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद उनके अलौकिक स्वरूप को देखकर ऐसा एहसास हो रहा है, जैसे ब्रह्मानंद की प्राप्ति हो रही हो। रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास ने रामलला के प्राकट्य को ‘…यह सुख परम अनूपा’ जैसी चौपाई में वर्णित किया है। श्यामल वर्ण के रामलला की 51 इंच की प्रतिमा की स्थापना के बाद उनके शृंगार का वर्णन किया जा रहा है। पूरे विधि-विधान से भगवान श्रीराम के बाल स्वरूप की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद श्रीराम मंदिर ट्रस्ट ने 16 आभूषणों का वर्णन किया है। शृंगार युक्त मूर्ति में भगवान के पूरे स्वरूप का दर्शन किया जा सकता है। श्रद्धालु रामलला का ‘रत्न जड़ित करुना सुख सागर श्रीराम’ के अलौकिक स्वरूप में दर्शन कर निहाल और विह्वल हो रहे हैं।
आइये जानते हैं राम लला की श्यामल प्रतिमा के शृंगार और प्रतिमा से जुड़ी विशेषताएं…
रामलला की मूर्ति की क्या विशेषता है?
भगवान राम के बाल रूप की मूर्ति को गर्भ गृह में स्थापना के बाद सोमवार को प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई है। तस्वीर में रामलला माथे पर तिलक लगाए बेहद सौम्य मुद्रा में दिख रहे हैं। आभूषण और वस्त्रों से सुसज्जित रामलला के चेहरे पर भक्तों का मन मोह लेने वाली मुस्कान दिखाई दे रही है। कानों में कुंडल तो पैरों में कड़े पहने हुए हैं। मूर्ति के नीचे आभामंडल में चारों भाइयों राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की छोटी-छोटी मूर्तियों की पूजा की गई है। श्रीराम जन्मभूमि न्यास ने विस्तार से 16 दिव्य आभूषणों के बारे में विस्तार से जानकारी दी है।
राम लला के शीष पर मुकुट या किरीट
न्यास ने बताया कि रामलला के शीश पर विराजित मुकुट या किरीट उत्तर भारतीय परम्परा में स्वर्ण निर्मित है। इसमें माणिक्य, पन्ना और हीरों से अलंकरण किया गया है। मुकुट के ठीक मध्य में भगवान सूर्य अंकित हैं। मुकुट के दायीं ओर मोतियों की लड़ियां पिरोई गयी हैं।
कुण्डल
मुकुट या किरीट की तरह ही भगवान के कर्ण-आभूषण बनाये गये हैं। इनमें मयूर आकृतियां बनी हैं। राम लला के कुण्डल सोने, हीरे, माणिक्य और पन्ने से सुशोभित हैं।
कण्ठा
राम लला के गले में अर्द्धचन्द्राकार रत्नों से जड़ित कण्ठा सुशोभित है। इसमें मंगल का विधान रचते पुष्प अर्पित हैं। बीच में सूर्य देव बनाए गए हैं। सोने से बना हुआ कण्ठा हीरे, माणिक्य और पन्नों से जड़ा है। कण्ठे के नीचे पन्ने की लड़ियां लगाई गयी हैं।
कौस्तुभमणि
यह दिव्य आभूषण भगवान श्रीराम के हृदय में धारण कराया गया है। इस दुर्लभ आभूषण को बड़े माणिक्य और हीरों के अलंकरण से सजाया गया है। यह शास्त्र-विधान है कि भगवान विष्णु और उनके अवतार हृदय में कौस्तुभमणि धारण करते हैं। इसलिए इसे धारण कराया गया है।
पदिक
कण्ठ से नीचे तथा नाभिकमल से ऊपर पहनाए गए आभूषण को पदिक कहा जाता है। विद्वानों की राय में देवताओं के शृंगार और अलंकरण में इसका विशेष महत्त्व होता है। रामलला ने जो पदिक पांच लड़ियों वाला हीरे और पन्ने से जड़ित पंचलड़ा या पदिक धारण किया है, इसके नीचे एक बड़ा सा अलंकृत पेण्डेंट भी लगाया गया है।
वैजयन्ती या विजयमाल
भगवान श्रीराम के बालस्वरूप को वैजयन्ती या विजयमाल से भी सजाया गया है। यह स्वर्ण निर्मित हार भगवान को पहनाया जाने वाला तीसरा और सबसे लम्बा है। इसमें कहीं-कहीं माणिक्य लगाये गये हैं। इसे विजय के प्रतीक के रूप में पहनाया जाता है। इसमें वैष्णव परम्परा के समस्त मंगल-चिह्न- सुदर्शन चक्र, पद्मपुष्प, शंख और मंगल-कलश दर्शाया गया है। इसमें पांच प्रकार के देवता को प्रिय पुष्पों का भी अलंकरण किया गया है। पांच फूलों में- कमल, चम्पा, पारिजात, कुन्द और तुलसी हैं।
कमर में कांची या करधनी
भगवान श्रीराम के बाल स्वरूप को कमर में करधनी धारण करायी गयी है। इस रत्नजडित करधनी को सोने से तैयार किया गया है। इसमें प्राकृतिक सुषमा का अंकन है। हीरे, माणिक्य, मोतियों और पन्ने से अलंकृत इस आभूषण से पवित्रता का बोध होता है। छोटी-छोटी पांच घण्टियां भी इसमें लगाई गई हैं। इन घण्टियों से मोती, माणिक्य और पन्ने की लड़ियों भी लटक रही हैं।
भुजबन्ध या अंगद
आजानुबाहु कहे जाने वाले प्रभु श्रीराम के हाथ घुटने तक लंबे हैं। बाल स्वरूप भगवान की दोनों भुजाओं में स्वर्ण और रत्नों से जड़ित दिव्य भुजबन्ध पहनाये गए हैं।
कंकण / कंगन
प्रभु श्रीराम के दोनों ही हाथों में रत्नजडित सुन्दर कंगन पहनाये गए हैं।
मुद्रिका
प्रभु श्रीम राम के बाएं और दाएं दोनों हाथों की मुद्रिकाएं (अंगूठी) रत्नजडित हैं। दोनों सुशोभित मुद्रिकाओं से मोतियां भी लटक रही हैं।
पैरों में छड़ा और पैजनियां
रामलला के चरणों में छड़ा और पैजनियां पहनाये गये हैं। साथ ही स्वर्ण की पैजनियां भी पहनाई गई है।
भगवान के बाएं हाथ
रामलला के बाएं हाथ में स्वर्ण धनुष है। इनमें मोती, माणिक्य और पन्ने की लटकनें लगी हैं। इसी तरह दाहिने हाथ में स्वर्ण बाण धारण कराया गया है।
भगवान के गले में
प्रभु श्रीराम के इस अलौकिक स्वरूप में रंग-बिरंगे फूलों की आकृतियों वाली वनमाला धारण करायी गयी है। इसका निर्माण हस्तशिल्प के लिए समर्पित संस्था- शिल्पमंजरी ने किया है।
भगवान के मस्तक पर
प्रभु श्रीराम के मस्तक पर पारम्परिक मंगल-तिलक देखा जा सकता है। हीरे और माणिक्य से रचे तिलक से इनका स्वरूप और अलौकिक हो गया है।
भगवान के चरणों के नीचे
प्रभु श्रीराम के चरणों के नीचे कमल सुसज्जित है। इसके नीचे एक स्वर्णमाला सजाई गई है। इसके अलावा भगवान के प्रभा-मण्डल के ऊपर स्वर्ण का छत्र लगा है।
बालस्वरूप राम लला के लिए चांदी के खिलौने
न्यास ने बताया कि अयोध्या के राम मंदिर में पांच वर्ष के बालक-रूप में श्रीरामलला विराजे हैं, इसलिए पारम्परिक ढंग से उनके सम्मुख खेलने के लिए चांदी से निर्मित खिलौने भी रखे गये हैं। खिलौनों में झुनझुना, हाथी, घोड़ा, ऊंट, खिलौनागाड़ी और लट्टू शामिल हैं।
करीब 200 किलोग्राम वजनी है रामलला की श्यामल मूर्ति
अयोध्या में रामलला की श्यामल वर्ण वाली मूर्ति का वजन करीब 200 किलोग्राम है। इसकी कुल ऊंचाई 4.24 फीट, जबकि चौड़ाई तीन फीट है। कमल दल पर खड़ी मुद्रा में मूर्ति, हाथ में तीर और धनुष है। कृष्ण शैली में मूर्ति बनाई गई है। मूर्ति श्याम शिला से बनाई गई है, जिसकी आयु हजारों साल होती है। मूर्ति को जल से कोई नुकसान नहीं होगा। चंदन, रोली आदि लगाने से भी मूर्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
और क्या खास है?
रामलला के चारों ओर आभामंडल है। मूर्ति के ऊपर स्वास्तिक, ॐ, चक्र, गदा, सूर्य भगवान विराजमान हैं। श्रीराम की भुजाएं घुटनों तक लंबी हैं। मस्तक सुंदर, आंखें बड़ी और ललाट भव्य है। भगवान राम का दाहिना हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में है। मूर्ति में भगवान विष्णु के 10 अवतार दिखाई दे रहे हैं। मूर्ति नीचे एक ओर भगवान राम के अनन्य भक्त हनुमान जी तो दूसरी ओर गरुड़ जी को उकेरा गया है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अधिकारियों के मुताबिक अयोध्या के राम मंदिर में जिस प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा हुई है, इसमें बालत्व, देवत्व और एक राजकुमार तीनों की छवि दिखाई दे रही है।
रामलला की प्रतिमा पर कितने आभूषण?
- मुकुट: माणिक्य, पन्ना, हीरे, मोती।
- कुण्डल: सोना, हीरा, माणिक्य, पन्ना।
- कण्ठा: हीरे, माणिक्य, पन्ना।
- हृदय: कौस्तुभमणि।
- पदिक: हीरा, पन्ना।
- वैजयंती: सोना, माणिक्य।
- करधनी: मोती, माणिक्य, पन्ना।
कठिन था मूर्ति का चयन
अयोध्या के श्रीराम मंदिर में तीन मूर्तियों को स्थापित किया गया हैं, जिसमें से एक मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित किया गया है। इनके बनने के बाद सबसे बड़ा सवाल तो यह था कि गर्भ गृह में किस रूप में रामलला विराजमान होंगे। मूर्तिकारों ने तीनों मूर्तियों को इतना सुंदर बनाया कि चयन करना कठिन हो रहा था कि कौन सी सुंदर है और कौन सी उतनी नहीं है। अंततः बाल रूप वाली मूर्ति को राम मंदिर के गर्भ गृह में विराजने का फैसला लिया गया।
रामलला को सजाने का सौभाग्य किसे मिला?
रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास ने भगवान राम और लक्ष्मण के स्वरूप का बखान करते हुए एक चौपाई के अंश में ‘श्यामल सुंदर गौर शरीरा…’ लिखा है। अयोध्या के राम मंदिर में जिस प्रतिमा की स्थापना हुई है, इसके आभूषणों को व्यापक शोध हुआ है। न्यास ने बताया कि आभूषण अध्यात्म रामायण, वाल्मिकी रामायण, रामचरितमानस और अलवंदर स्तोत्रम जैसे ग्रंथों के व्यापक शोध और अध्ययन के बाद तैयार किए गए हैं। कुछ प्रमुख बिंदुओं पर नजर-
- आभूषण अंकुर आनंद के लखनऊ स्थित हरसहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स ने तैयार किए।
- परिधान दिल्ली के कपड़ा डिजाइनर मनीष त्रिपाठी ने तैयार किए हैं। पूरी परियोजना अयोध्याधाम में रहकर पूरी की गई।
- बनारसी कपड़े से सजाए गए रामलला को पीली धोती और लाल पटका/अंगवस्त्रम धारण कराया गया है। अंगवस्त्रम शुद्ध सोने की ‘जरी’ और धागों से सजे हैं।
- रामलला के परिधान और आभूषण यतींद्र मिश्रा की अवधारणा और निर्देशन में तैयार हुए।