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बिल्डर के वादों का हिसाब मांग सकते हैं फ्लैट खरीदार, जानें सुप्रीम कोर्ट ने कैसे दिखा दिया रास्ता

नई दिल्ली: राम कुमार 38 साल के हैं। करीब 5 साल पहले उन्होंने सेविंग्स और पीएफ के पैसे जोड़कर ग्रेटर नोएडा में फ्लैट बुक कराया था। दो साल पहले पजेशन भी मिल गया लेकिन बुकिंग के समय किया गया बिल्डर का वादा आज तक पूरा नहीं हुआ। फ्लैट बुकिंग के समय बिल्डर ने दोनों कमरे में एसी का वादा किया था। चूंकि फ्लैट मिलने में देरी हो रही थी, इसलिए उन्होंने तब एसी का दावा ही नहीं किया। उनके जैसे कई और भी थे तो उन्हें लगा अब एसी तो मिलने से रही। वैसे भी बिल्डर ऐसे ‘फ्रॉड’ करने के लिए बदनाम हैं। राम जिस सोसाइटी में रहते हैं वहां जब तीन हाईराइज टावर नए खड़े किए गए जा रहे थे तो उनके लिए अलग से गेट देने का भी वादा किया गया था। कोने में एक पोडियम पार्क के भी सपने दिखाए गए थे, जहां इस समय बिल्डिंग मटेरियल का मलबा जमा है। जब से राम को सुप्रीम कोर्ट के नए फैसले के बारे में जानकारी हुई है। उन्हें बिल्डर का वो वादा फिर से याद आने लगा है।राम कहते हैं कि उनकी सोसाइटी में ही ऐसे 15-16 लोग ऐसे हैं, जिन्हें जल्दी बुकिंग कराने पर गिफ्ट का वादा किया गया था। सोसाइटी में अलग से डीजी (जेनरेटर) भी नहीं लगा। यह तो नोएडा एक्सटेंशन में एक मूर्ति चौक के पास की एक सोसाइटी में कुछ लोगों का हाल है। पूरे नोएडा, गाजियाबाद, दिल्ली, गुरुग्राम समेत देश के कई शहरों में ऐसे वादों की भरमार है जो पूरे नहीं हुए। गांव से कमाने शहर आया नौजवान यह कहकर खामोश हो जाता है कि कोर्ट-कचहरी का चक्कर है भाई, वह नौकरी करे या बिल्डर से लड़े। वैसे भी बिल्डर से कानूनी लड़ाई में जीत मिलने की नाउम्मीदी से वह हार मान लेता है। लेकिन अब फ्लैट खरीदारों के हित में सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण बात कही है। जी हां, देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा है कि कब्जा मिलने के बाद भी घर खरीदार के पास बिल्डर के वादे पर दावे का अधिकार रहता है।


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