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आपके मुंह में घी-शक्कर… स्वीडन में कौन सी बात सुनकर गदगद हो गए जयशंकर, वीडियो देखिए

नई दिल्‍ली/स्टॉकहोम: विदेश मंत्री एस. जयशंकर इन दिनों स्‍वीडन में हैं। वे यहां दूसरे ईयू इंडो-पैसिफिक मिनिस्ट्रियल फोरम में हिस्सा लेने आए हैं। रविवार को उन्‍होंने फ्रांस, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, बुल्गारिया, साइप्रस, लातविया, लिथुआनिया और रोमानिया के विदेश मंत्रियों से मुलाकात की। जयशंकर के मुताबिक, शाम को भारतीय कम्‍युनिटी के साथ बातचीत में उन्‍होंने ‘बदलते भारत’ की झलक देखी। वहां बसे भारतीयों ने जयशंकर को बताया कि जैसे भारत का ग्‍लोबल प्रोफाइल बेहतर हुआ है। उनकी बातें सुनकर जयशंकर गदगद हो गए। जब माइक संभाला तो बोल पड़े, ‘आपके मुंह में घी-शक्‍कर…’ विदेश मंत्री ने कहा, ‘आपने जो कहा, काश वह सच हो जाए! मैं भारतीय संस्‍कृति का ग्‍लोबलाइजेशन होते देख रहा हूं।’ जयशंकर ने कहा कि ग्‍लोबलाइजेशन मौजूदा दौर की वास्तविकता है और मल्टि-पोलराइजेशन का मूल्यांकन होना चाहिए, क्योंकि मल्टि-पोलर दुनिया मल्टि-पोलर एशिया के जरिये ही संभव है। जयशंकर ने कहा, ‘दूरदराज के क्षेत्र और देश दुनिया में कहीं भी होने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं से अछूते नहीं रह सकते। न ही हम उन्हें अपनी सुविधा के अनुसार चुन सकते हैं।’

एशिया-पैसिफिक है बेहद अहम: जयशंकर

जयशंकर ने रूस-यूक्रेन जंग समेत कई मुद्दों पर चर्चा की। कई द्विपक्षीय मुद्दों पर भी अपने यूरोपीय संघ के समकक्षों के साथ बातचीत की। जयशंकर ने कहा, ‘हिंद-प्रशांत खुद ही वैश्विक राजनीतिक की दिशा में तेजी से अहम होता जा रहा है। यूरोपीय संघ तथा हिंद-प्रशांत एक-दूसरे के साथ जितनी भागीदारी करेंगे, उतना ही बहुध्रुवीयता मजबूत होगी और याद रखिए जिस बहुध्रुवीय दुनिया को यूरोपीय संघ पसंद करता है, वह बहुध्रुवीय एशिया के जरिये ही संभव है।’


जयशंकर ने कहा कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन अंतत: भारत और यूरोपीय संघ राजनीतिक लोकतंत्रों, बाजार अर्थव्यवस्थाओं और बहुलवादी समाज से ही बने हैं। उन्होंने कहा कि भारत जितनी तेजी से अपनी वैश्विक मौजूदगी का विस्तार करेगा, उतना ही वह आने वाले वर्षों में यूरोपीय संघ के साथ जुड़ेगा। जयशंकर ने भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के क्वाड समूह को वैश्विक वृद्धि का मंच भी बताया, जो हिंद-प्रशांत के किसी भी मूल्यांकन के लिए महत्वपूर्ण है।

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