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ऑस्‍ट्रेलिया में सोती रही सरकार, खालिस्‍तान समर्थकों ने इंदिरा गांधी के हत्‍यारों के सम्‍मान में निकाली रैली

मेलबर्न: ऑस्‍ट्रेलिया के मेलबर्न में इन दिनों माहौल काफी तनावपूर्ण है। यहां पर 15 जनवरी को खालिस्‍तान समर्थकों ने एक विशाल रैली निकाली जिसमें करीब दो हजार लोग शामिल हुए। कई घंटों तक चली इस रैली का मकसद भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी के हत्‍यारों का महिमामंडन करना था। छह जनवरी 1989 को इंदिरा के हत्‍यारों सतवंत सिंह और केहर सिंह को फांसी की सजा दी गई थी। ऑस्‍ट्रेलिया में 29 जनवरी को खालिस्‍तान एक जनमत संग्रह करने वाला है। इस रैली के जरिए लोगों को इस बारे में भी बताया गया।

29 जनवरी को है जनमत संग्रह
मेलबर्न में जो रैली हुई उसे सिख फॉर जस्टिस (SFJ) की तरफ से आयोजित किया गया था। इसी संगठन की तरफ से ऑस्‍ट्रेलिया में जनमत संग्रह का आयोजन भी किया जा रहा है। जिन हत्‍यारों के समर्थन में रैली का आयोजन हुआ उन्‍होंने ऑपरेशन ब्‍लू स्‍टार का बदला लेने के मकसद से इंदिरा की हत्‍या कर दी थी। उनकी फांसी को 34 साल हो गए हैं और रैली मे दोनों को शहीद करार देते हुए उनका सम्‍मान किया गया।

ट्रक और कारों में हत्‍यारों के विशाल पोस्‍टर लगे थे। इनके साथ ही एक पोस्‍ट जरनैल सिंह भिंडरवाला का भी था। भिंडरवाला ने ही अलग पंजाब देश की मांग करने वाले खालिस्‍तान आंदोलन की शुरुआत की थी। रैली में ही 29 जनवरी को होने वाले जनमत संग्रह का ऐलान किया गया। इसे ‘लास्‍ट बैटल’ नाम दिया गया है।
भारत सरकार की अपील अनसुनी
खालिस्‍तान की इस रैली ने ऑस्‍ट्रेलिया में बसे हिंदु समुदाय को काफी नाराज कर दिया है। बताया जा रहा है कि हिंदुओं ने उनके बैनर्स को फाड़ दिया और खालिस्‍तान आंदोलन का विरोध किया। इस वजह से सिख और हिंदु समुदाय में तनाव बढ़ गया है। भारत की तरफ से लगातार ऑस्‍ट्रेलिया की सरकार के सामने इस आंदोलन को लेकर विरोध जताया गया है। मगर ऑस्‍ट्रेलिया सरकार की तरफ से इस पूरे मसले को लेकर लापरवाही बरती जा रही है। सरकार ने अभी तक 29 जनवरी को होने वाले जनमत संग्रह को लेकर कोई भी बड़ा फैसला नहीं लिया है।

ऑस्‍ट्रेलिया के हिंदू नाराज

मेलबर्न में एसएफजे की तरफ से वोटिंग का आयोजन भी है। मगर ऐसा लगता है कि अथॉरिटीज अभी तक सो रही हैं। 8 जनवरी से ही सोशल मीडिया पर मेलबर्न रैली को लेकर पोस्‍ट्स की जा रही थीं। ऑस्‍ट्रेलिया हिंदू मीडिया की तरप से ट्विटर पर एक पोस्‍ट शेयर की गई है। इसमें कहा गया है कि इंदिरा गांधी के हत्‍यारों को प्‍लमटन गुरुद्वारे की तरफ से सम्‍मानित किया जा रहा है। यह कैसे किसी चैरिटी का काम हो गया। क्‍या ऑस्‍ट्रेलिया में चैरिटी और नॉट फॉर प्रॉफिट्स इस तरह के कामों को सही मानते हैं।

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