मेटा पर भारी पड़े उसी के 6 फैसले:फेसबुक का नाम बदला, होराइजन वर्ल्ड भी नहीं चला, एक फैसले में तो गंवा दिए 19.5 लाख करोड़

फेसबुक के स्वामित्व वाली दिग्गज टेक कंपनी मेटा (Meta) के लिए यह साल मुश्किल भरा साबित हुआ। इसकी वजह कंपनी के खुद के फैसले रहे। मेटा प्रतिद्वंद्वी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टिकटॉक (Tiktok) को भविष्य के लिए खतरा मानता है। उसी को ध्यान में रखकर अपनी योजनाएं बनाईं। चाहे वो इंस्टाग्राम पर रिकमंडेशन वाले कंटेंट को दोगुना करना हो या मेटावर्स बनाने की कोशिश। उसके 6 फैसले दु:स्वप्न साबित हुए।
पहला फैसला
फरवरी में मेटा को एक रात में 237 अरब डॉलर (19.5 लाख करोड़ रुपए) का नुकसान हुआ, जो अमेरिका में एक दिन का सबसे बड़ा नुकसान है। इसके बाद भी कंपनी सह संस्थापक ‘मार्क जकरबर्ग को खुश करने’ के मॉडल पर काम करती रही और मेटावर्स वर्जन पर ज्यादा पैसा लगाया।
दूसरा फैसला
जून में 14 साल काम करने के बाद COO शेरिल सैंडबर्ग ने कंपनी छोड़ दी। वह पुरुष वर्चस्व वाले सेक्टर में ऐसी शीर्ष महिला अधिकारी थीं, जिन्होंने मेटा को विज्ञापन बिजनेस में लाभ कमाने वाली कंपनी बनाया। उनके जाने के बाद जकरबर्ग को मेटावर्स में पैसे लगाने से रोकने वाला नहीं बचा।
तीसरा फैसला
टिकटॉक से रेस में आगे निकलने के लिए क्वार्टर 2 में इंस्टाग्राम पर रिकमंडेड कंटेंट को डबल किया। उम्मीद थी कि ऐप का इस्तेमाल बढ़ेगा, पर इंस्टाग्राम यूजर्स ने इसे टिकटॉक की कॉपी माना।
चौथा फैसला
गस्त में मेटा ने AI चैटबॉट ब्लेंडरबॉट 3 की शुरुआत की, जिसका मकसद विविधता में एक व्यापक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ना था। लेकिन 6 जनवरी को ये एंटी-सेमिटिक साबित हुआ।
पांचवां फैसला
मेटावर्स बनाने की चाह में फेसबुक का नाम बदलकर मेटा कर दिया। अगस्त में होराइजन वर्ल्ड्स की शुरुआत की। इसमें अवतार की कमर के नीचे का हिस्सा गायब था। वर्ल्ड्स को यूजर्स की आलोचना झेलनी पड़ी।
छठवां फैसला
जकरबर्ग ने फिर होराइजन पर लोगों के अवतार में पैर जुड़वाए। कुछ समय तक परफॉर्मेंस ठीक रही। फिर एक वीडियो एडिटर ने बताया कि मेटा ने ये मोशन कैप्चर तकनीक से हासिल किया। इससे डेमो फेल हुआ।