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दक्षिण चीन सागर को कैसे कंट्रोल कर सकता है अमेरिका, क्या एशिया से शुरू होगा तीसरा विश्व युद्ध?

वॉशिंगटन: चीन और अमेरिका में दक्षिण चीन सागर पर नियंत्रण को लेकर खींचतान मची हुई है। चीन दक्षिण चीन सागर के 80 फीसदी हिस्से पर अपना दावा करता है। वहीं, इसके आसपास के बाकी के देश इसका विरोध करते हैं। खुद अमेरिका बार-बार अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में स्वतंत्र नौवहन के नाम पर दक्षिण चीन सागर में अपने युद्धपोत और पनडुब्बियों को भेजता रहता है। ऐसे में दक्षिण चीन सागर का इलाका अमेरिका, चीन और बाकी के देशों के बीच जंग का अखाड़ा बनता जा रहा है। इस क्षेत्र में अमेरिका और चीन के लड़ाकू विमान, विमानवाहक पोत और युद्धपोत कई बार आमने-सामने भी आ चुके हैं। ऐसे में एक छोटी सी चिनगारी पूरे दक्षिण चीन सागर को युद्ध की आग में झोंक सकती है। इस बीच अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री रैक्स टिलरसन ने दक्षिण चीन सागर में अमेरिका को घेरने की रणनीति साझा की है।

चीन के कृत्रिम द्वीपों तक पहुंच को रोकने की सलाह

रैक्स टिलरसन ने कहा कि हमें चीन को एक स्पष्ट संकेत भेजना होगा कि आप दक्षिण चीन सागर में विवादित द्वीपों पर निर्माण कार्य को बंद करें। इतना ही नहीं, चीन को इन द्वीपों पर पहुंचने की अनुमति भी नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने इस काम में अमेरिका के सहयोगी देशों की सहायता लेने की भी अपील की। टिलरसन ने कहा कि अमेरिका को अपना पूरा ध्यान चीन की बढ़ती ताकत को काउंटर करने में लगाना चाहिए। चीन ही एक मात्र ऐसा देश है, जो सीधे तौर पर अमेरिका से टकराने के लिए अपनी ताकत को बढ़ा रहा है। इसमें न सिर्फ सैन्य ताकत बल्कि आर्थिक गतिविधियां भी शामिल है। उन्होंने अमेरिकी प्रशासन से अपील करते हुए कहा कि हमें पहले से अधिक चौकन्ना और तैयार रहना चाहिए।

चीन को घर में घेरने की कोशिश करेगा अमेरिका

टिलरसन के बयान के आधार पर अमेरिका दक्षिण चीन सागर में चीन को घेरने की कोशिश कर सकता है। इसमें ताइवान में बड़े पैमाने पर अमेरिकी सैनिकों की तैनाती, मिलिट्री बेस की मौजूदगी भी शामिल हो सकती है। इसके अलावा, अमेरिकी नौसेना को लगातार दक्षिण चीन सागर के इलाके में मजबूत उपस्थिति बनाए रखनी होगी। अमेरिका को इस काम में जापान और दक्षिण कोरिया का सीमित सहयोग मिल सकता है। जापान, दक्षिण कोरिया और फिलीपींस में अमेरिकी सैन्य अड्डे से भी चीन की घेराबंदी की जा सकती है। इस काम में गुआम में अमेरिकी नेवल बेस और एंडरसन एयर बेस भी सहायता कर सकते हैं।

चीन के लिए बाहर निकलना होगा मुश्किल

दक्षिण चीन सागर में अमेरिका की जबरदस्त घेराबंदी से चीन के लिए बाहर निकलना मुश्किल हो जाएगा। चीन का सिर्फ पूर्वी क्षेत्र ही समुद्र से सटा हुआ है। अगर इस भाग को ब्लॉक कर दिया जाए तो चीन के लिए व्यापार करना मुश्किल हो सकता है। हालांकि, इस काम में सीधे तौर पर युद्ध का खतरा है। चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश है। इतना ही नहीं, चीन मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में भी दुनिया में सबसे आगे है। ऐसे में वह व्यापार के लिए पूरी तरह से समुद्री परिवहन पर निर्भर है। अगर दक्षिण चीन सागर की घेराबंदी बढ़ती है तो इसका सीधा असर चीनी अर्थव्यस्था पर पड़ेगा।

पटलवार कर सकता है चीन

चीन के पास इस समय सबसे बड़ी नौसैना है। ऐसे में वह अमेरिकी घेराबंदी का मुकाबला करने के लिए ताकत का प्रयोग कर सकता है। इसके अलावा दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीपों पर चीन ने बड़ा मिलिट्री बेस बनाया हुआ है। यहां कई अत्याधुनिक रडार सिस्टम के साथ एंटी शिप और एयर डिफेंस मिसाइलों को भी तैनात किया हुआ है। चीनी मीडिया पहले ही अमेरिका को जवाबी कार्रवाई को लेकर धमका चुकी हैं। ताइवान को लेकर तो चीन अक्सर अमेरिका समेत सहयोगी देशों को जंग की धमकी देता रहा है।

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