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कभी जीत को तरसती पार्टी ने 23 करोड़ लोगों का दिल कैसे जीत लिया

नई दिल्ली: कभी 2 सीट और आज 300 के पार सीटें। यह कहानी है दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (BJP) की। बीजेपी का गठन 6 अप्रैल 1980 को भले ही हुआ लेकिन इसकी वैचारिक उत्पत्ति 1951 में ही हो गई थी। बीजेपी की स्थापना के बाद से देखा जाए तो अलग-अलग वक्त पार्टी के विचारों में कुछ बदलाव भी देखने को मिला। हालांकि कई ऐसे मुद्दे रहे जिसको पार्टी ने कभी नहीं छोड़ा। 1984 में 2 सीटें जीतने के बाद 2014 आते-आते पार्टी का कमल ऐसे खिला जिसकी उम्मीद पहले नहीं की जा रही थी। पार्टी की स्थापना के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) ने गांधीवादी समाजवाद में अपनी सोच स्थापित की। हिंदू राष्ट्रवाद उस वक्त भी केंद्र में था लेकिन पार्टी ने उस पर नरम रुख अपनाए रखा। हालांकि कुछ ही समय बाद राम जन्मभूमि (Ram Janmabhoomi) आंदोलन तेज हुआ और पार्टी ने इस पर आक्रामक रुख अपनाया। इस आंदोलन के बाद बीजेपी के पक्ष में माहौल बना। हालांकि पार्टी अब भी सत्ता से दूर थी लेकिन वह वक्त जल्द ही आने वाला था।


1996 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी देश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। 161 सीटें मिलीं और गठबंधन सरकार बनाने का दावा किया गया। अटल बिहारी वाजपेयी ने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। वह पार्टी के पहले नेता थे जो इस कुर्सी तक पहुंचे। हालांकि उनकी सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाई और 13 दिन में ही सरकार गिर गई। भारत के इतिहास में किसी भी प्रधानमंत्री का यह सबसे छोटा कार्यकाल था। 1998 में जब बीच में ही चुनाव हुए एक बार फिर बीजेपी एनडीए में सबसे बड़े गठबंधन के रूप में उभरा। अटल जी दोबारा प्रधानमंत्री बने लेकिन यह कार्यकाल भी छोटा रहा और 13 महीने बाद इस्तीफा देना पड़ा। उसके बाद फिर जब चुनाव हुए तो एनडीए की पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी होती है। 5 साल तक सरकार चली लेकिन 2004 में पार्टी दोबारा सत्ता में न लौट सकी।

साल BJP सांसदों की संख्या
1984 2
1989 85
1991 120
1996 161
1998 182
1999 183
2004 138
2009 116
2014 282
2019 303

साल 2014 पार्टी के बदले हुए तेवर का लोगों को हुआ अहसास
इसके बाद दस साल तक पार्टी सत्ता से दूर रही। उसके बाद आता है साल 2014 और इस चुनाव में कुछ ऐसा होता है जिसकी उम्मीद शायद कम ही लोगों को थी। जब नतीजे आए तो राजनीतिक पंडित भी हैरान रह गए। बीजेपी अकेले बहुमत में आ जाती है। पार्टी को रिकॉर्ड सीटें मिलीं। इस जीत के नायक थे नरेंद्र मोदी। ऐतिहासिक जीत के बाद उन्होंने देश की कमान संभाली। 2014 के चुनाव में पार्टी को जितनी सीटें मिलीं उससे भी बढ़कर पार्टी की सीटें अगले चुनाव में हो जाती है। पार्टी 300 का आंकड़ा पार कर लेती है। नरेंद्र मोदी दोबारा भारी बहुमत के साथ प्रधानमंत्री बने। नरेंद्र मोदी और अमित शाह दोनों की अगुवाई में पार्टी एक बाद एक कई राज्यों में भी जीत दर्ज करती है। दूसरे कार्यकाल में पार्टी ने कई चुनावी वायदों को एक झटके में पूरा देती है। इस दौरान पार्टी के बदले हुए तेवर का भी लोगों को अहसास हुआ।

साल वोट (BJP)
1984 1.82 करोड़
1989 3.41 करोड़
1991 5.53 करोड़
1996 6.79 करोड़
1998 9.42 करोड़
1999 8.65 करोड़
2004 8.63 करोड़
2009 7.84 करोड़
2014 17.1 करोड़
2019 22.9 करोड़

अगले चुनाव के लिए पार्टी भरेगी हुंकार
भारतीय जनता पार्टी का इतिहास भारतीय जनसंघ से जुड़ा है। 21 अक्टूबर 1951 को दिल्ली में जनसंघ की स्थापना हुई थी जबकि बीजेपी का गठन 6 अप्रैल 1980 को हुआ। जनसंघ की बुनियाद डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने रखी और आज पार्टी उनके दिखाए रास्ते पर आगे बढ़ रही है। 2014 फिर 2019 के बाद एक बार फिर अगले साल पार्टी नरेंद्र मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व के सहारे चुनाव में जाने वाली है। पीएम मोदी गुरुवार को पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर देश भर के पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे। इस मौके पर पार्टी अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में मोदी के पुनर्निर्वाचन के लिए अपने अभियान को भी आगे बढ़ाएगी। राजधानी से चुनाव अभियान शुरू करने के बाद पार्टी सदस्य 10.72 लाख से अधिक स्थानों पर दीवारों पर ‘एक बार फिर से मोदी सरकार’ और ‘एक बार फिर से भाजपा सरकार’ के नारे लिखेंगे।

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