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पति ने जलन में लगाई थी शराब की लत:100 करोड़ की मालकिन थीं रेखा की सौतेली मां सावित्री

महानटी सावित्री। ये नाम है उस एक्ट्रेस का जिसके आगे साउथ के बड़े-बड़े सुपरस्टार भी छोटे साबित होते थे। 1960 के दशक की सबसे सफल और सबसे रईस एक्ट्रेस थीं सावित्री। इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि उस जमाने में इनके पास 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति थी। चेन्नई में सबसे बड़ा कार कलेक्शन इनके पास था। इनके बंगले के बाहर 10 विंटेज कारें खड़ी रहती थीं। कोई 30 साल के करियर में 5 भाषाओं में 300 से ज्यादा फिल्में करने वाली सावित्री तमिल सिनेमा की पहली फीमेल सुपरस्टार थीं।

बॉलीवुड एक्ट्रेस रेखा की ये सौतेली मां थीं। तमिल सुपरस्टार जेमिनी गणेशन की दूसरी पत्नी थीं। हालांकि ये शादी ही इनके जीवन और करियर दोनों के लिए सबसे ज्यादा घातक साबित हुई। जब जेमिनी से इनकी शादी हुई, तब वो पहले ही शादीशुदा थे और चार बच्चों के पिता भी थे। गरीबी से शुरू हुआ जीवन शोहरत और दौलत दोनों की ऊंचाई तक ले गया, लेकिन जीवन के आखिरी साल फिर उसी तंगहाली में गुजरे, जहां से जिंदगी शुरू हुई थी।

सावित्री ने अपने शौक और लोगों की मदद के लिए अपनी जायदाद को दोनों हाथों से लुटाया, लेकिन आखिरी समय में खुद के पास कुछ नहीं बचा। पति की बेवफाई ने इन्हें शराब का आदी बना दिया। करियर लगभग डूब गया। 46 साल की उम्र में 19 महीने कोमा में रहने के बाद उनकी मौत हो गई। सावित्री कम उम्र में चली गईं, लेकिन अपनी अदाकारी, डांस और गायिकी से तमिल फिल्म इंडस्ट्री पर वो छाप छोड़ गईं जो हर एक्ट्रेस की चाहत होती है।

6 महीने में पिता को खोया

निस्सानकारा सावित्री का जन्म 6 दिसंबर 1935 को गुंटूर जिले के चिरावुरु गांव में हुआ था। महज 6 महीने की उम्र में सावित्री के पिता निस्सानकारा गौरव्या का निधन हो गया। जब गुजारे का कोई रास्ता नहीं बचा तो लाचार मां सुभद्राम्मा 6 महीने की सावित्री और उसके बड़े भाई मारुति को लेकर अपनी बहन दुर्गांबा और उनके पति के विजयवाड़ा स्थित घर में आसरा लेने आ गईं।

सावित्री के अंकल कोम्मा रेड्डी वेंकटरामय्या चौधरी एक मामूली ड्राइवर थे। उन्होंने परिवार की जिम्मेदारी उठाई और बच्चों का दाखिला स्कूल में करवाया। कम उम्र से ही सावित्री की रुचि डांस में बढ़ने लगी। उनकी कला को पहचानते हुए अंकल ने उन्हें डांस की ट्रेनिंग दिलवाई। जब पिता ना होने पर लोग नन्ही सावित्री को तंग करते तो उनके मामा ने उन्हें ही अप्पा (पिता) कहने का अधिकार दिया।

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