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गर 9.8 फीट बढ़ गया समुद्र का जलस्तर तो… ‘प्रलय के ग्लेशियर’ में घुसा गर्म पानी, पिघला तो जलमग्न हो जाएगी दुनिया!

वॉशिंगटन : अंटार्कटिका में एक विशालकाय ग्लेशियर है। थवाइट्स ग्लेशियर नाम के इस पर्वत को ‘डूम्सडे ग्लेशियर’ भी कहते हैं। इस पर अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके कमजोर हिस्सों में गर्म पानी रिस रहा है। यह विनाश और बड़े पैमाने पर समुद्र के जलस्तर के बढ़ने का कारण बन सकता है। थवाइट्स का आकार मोटे तौर पर फ्लोरिडा जितना है। अगर यह ग्लेशियर पिघलता है तो वैश्विक समुद्र स्तर में 1.6 फीट से अधिक की वृद्धि हो सकती है। यह अपने पड़ोसी ग्लेशियरों को भी अस्थिर कर सकता है जिससे स्तर 9.8 फीट तक और बढ़ सकता है।

अंटार्कटिका में अब तक के सबसे बड़े फील्ड कैंपेन, अंतरराष्ट्रीय थ्वाइट्स ग्लेशियर सहयोग (International Thwaites Glacier Collaboration), के हिस्से के रूप में अमेरिका और ब्रिटेन के 13 वैज्ञानिकों की एक टीम ने 2019 के अंत और 2020 की शुरुआत में ग्लेशियर पर करीब छह हफ्ते बिताए। आइसफिन नामक एक अंडरवॉटर रोबोट व्हीकल का इस्तेमाल करके उन्होंने ग्लेशियर की ग्राउंडिंग लाइन की निगरानी की, जहां बर्फ ग्लेशियर से फिसल कर पहली बार समुद्र से मिलती है।

हर साल पिघल सकते हैं 98 फीट किनारे

यह अध्ययन कॉर्नल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक ब्रिटनी श्मिट के नेतृत्व में किया गया है। नेचर जर्नल में प्रकाशित दो रिसर्च पेपर में से एक में, शोधकर्ताओं ने पाया कि गर्म पानी दरारों और छतों जैसी अन्य खुली जगहों से अपना रास्ता बना रहा है। इससे 98 फीट या उससे अधिक के किनारे हर साल पिघल सकते हैं। श्मिट ने कहा, ‘गर्म पानी ग्लेशियर के सबसे कमजोर हिस्सों में जा रहा है और इसे और कमजोर कर रहा है। इस तरह की चीज को लेकर हम सभी को बहुत चिंतित होना चाहिए।’

सदी के आखिर तक गायब हो जाएंगे 83 फीसदी ग्लेशियर

बर्फ के व्यवहार को दिखाने के लिए वैज्ञानिक पहले सैटेलाइट तस्वीरों पर निर्भर थे। इनसे बारीक जानकारी हासिल करना मुश्किल हो गया था। पहले भी कई वैज्ञानिक चेतावनी दे चुके हैं कि दुनियाभर के ग्लेशियर कल्पना से अधिक तेजी से पिघल रहे हैं। वर्तमान हालात को देखते हुए कहा जा रहा है कि इस सदी के आखिर तक दो तिहाई ग्लेशियर धरती से गायब हो जाएंगे। रिसर्चर्स का अनुमान है कि 2100 के आखिर तक 83 फीसदी ग्लेशियर दुनिया से गायब हो जाएंगे।

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