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भारत के साथ संबंध सुधारने में ही पाकिस्‍तान की भलाई, आखिर क्‍यों PAK विशेषज्ञ पीएम शहबाज को दे रहे हैं सलाह

इस्‍लामाबाद: भारत और पाकिस्‍तान सन् 1947 में विभाजन के बाद बने दो देश हैं। आज आजादी के सात दशक बाद एक देश में जहां खुशहाली है तो दूसरे देश में निराशा और तंगी का माहौल है। भारत ने कुछ दशकों में तेजी से तरक्‍की की है और आज वह वर्ल्‍ड लीडर के तौर पर जाना जा रहा है। उसका प्रभाव भी बढ़ता जा रहा है। वह दुनिया में उसे एक स्थिर, भरोसेमंद और जिम्‍मेदार देश के तौर पर देखा जाता है। वहीं एक तरफ पाकिस्‍तान है जो आज बर्बाद होने की कगार पर पहुंच चुका है। विशेषज्ञों की मानें तो आज न देश में लोकतंत्र बचा है और न ही आर्थिक प्रबंधन। ऐसे में वो इस बात की वकालत करने लगे हैं कि यही समय है जब उनके देश को भारत के साथ शांति के साथ रहने की कोशिशें करनी होंगी।

दिवालिया होने की कगार पर देश

देश के राजनीतिक विशेषज्ञ साद अजीज की मानें तो पाकिस्तान वह देश है जो अक्‍सर दिवालिया होने की कगार पर रहता है। एक ऐसा मुल्‍क जो बस ऐसे लोगों की तलाश में रहता है जो इसे बचा सकें। अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष (IMF) से बेलआउट पैकेज की उम्‍मीद में है। आर्थिक मंदी, अव्यवस्थित शासन, उथल-पुथल राजनीतिक मंशा और आतंकवादी खतरों ने पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को तेजी से कम किया है। एक वास्तविक लोकतंत्र बनाने के बजाय जहां सत्ता लोगों के पास होती है, पाकिस्तान ने मजबूत लोगों, मसीहाओं और चमत्कारों पर भरोसा किया है।

अर्थव्‍यवस्‍था का अंतर
अर्थव्‍यवस्‍था की अगर बात करें तो भारत और पाकिस्तान के बीच की दूरी और बढ़ गई है। पाकिस्तान और भारत की तुलना आज के समय में हो ही नहीं सकती है। वर्ल्‍ड बैंक के अनुसार साल 2021 में भारत की जीडीपी 3.2 ट्रिलियन डॉलर थी। जबकि पाकिस्तान की जीडीपी 348 बिलियन डॉलर था। यह भारत करीब 10 फीसदी था। इसके अलावा, भारत साल 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के तरफ है और यह जापान और जर्मनी से भी आगे निकल जाएगा। वहीं पाकिस्तान की आर्थिक संभावनाएं मंद दिखाई देती हैं।
दुश्‍मनी से कुछ नहीं होगा
पाकिस्तान में सरकारें और यहां का एलीट वर्ग काफी लंबे समय तक कश्मीर विवाद पर भारत और राष्‍ट्रीय भावनाओं के बीच की दुश्मनी को आगे बढ़ाता आया है। ये वर्ग अभी तक कठोर आंतरिक निर्णय पह लेने से बच रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि आर्थिक संकट और अपने अस्तित्व का सामना कर रहा पाकिस्तान, भारत के खिलाफ दुश्‍मनी कायम रखने की स्थिति में नहीं है। उनकी मानें तो पाकिस्तान की सेना न तो भारत की मिलिट्री कहीं ज्‍यादा मॉर्डन है और साथ ही देश में निवेश भी लगातार आसमान छू रहा है।
भारत की तरक्‍की का फायदा
साद अजीज मानते हैं कि मौका मिलने पर भारत ने पाकिस्तान की आंतरिक कमजोरियों का फायदा उठाया। मगर इसके बाद भी जिस तरह से भारत तरक्‍की कर रहा है पाकिस्‍तान उसका फायदा उठा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने राजनीतिक कद से पाकिस्‍तान को भी फायदा पहुंचा सकते हैं। भारत के साथ पीपुल-टू-पीपुल कॉन्‍टैक्‍ट्स और मजबूत व्यापार संबंध पाकिस्‍तान को उसकी खोई हुई दिशा हासिल करने में मदद कर सकते हैं। भारत के साथ रिश्‍ते पाकिस्तान को सतत विकास, विशेष रूप से मानव सुरक्षा पर फिर से ध्यान केंद्रित करने में मदद कर सकते हैं।

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