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UNSC में भारत की दो टूक कहा- कोई भी हमें ये न बताए कि देश को लोकतंत्र पर क्या करना चाहिए

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी UNSC में भारत ने फ्रीडम ऑफ प्रेस और डेमोक्रेसी से जुड़े सवाल पर कहा कि किसी को ये बताने की जरूरत नहीं है कि हमें लोकतंत्र पर क्या करना है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा- किसी भी देश को ये बताने की जरूरत नहीं है कि भारत को लोकतंत्र पर क्या करना चाहिए। भारत हमेशा से एक लोकतांत्रिक देश रहा है। इसकी जड़ें 2500 साल पुरानी हैं। हमारे पास लोकतंत्र के चारों स्तंभ हैं- विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और प्रेस। इसलिए आज भी भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है।

देश बदल रहा है : रुचिरा कंबोज
15 सदस्यीय UNSC में रुचिरा कंबोज ने कहा- यहां हर 5 साल में इलेक्शन होते हैं। यहां हर व्यक्ति को बोलने की आजदी। हर कोई अपने विचार व्यक्त कर सकता है। देश में तेजी से सुधार और परिवर्तन हो रहा है। इसके रिजल्ट काफी इंप्रेसिव रहे हैं। देश में हो रहे पॉजिटिव चेंज पूरी दुनिया को दिख रहे हैं। इन्हें अलग से बताने की जरूरत नहीं है

UNSC की अध्यक्षता कर रहा है भारत
दिसंबर महीने में भारत यूनाइटिड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल (UNSC) की अध्यक्षता कर रहा है। यानी इस पूरे महीने रूचिरा कंबोड UNSC की प्रेसिडेंट रहेंगी। इसी के साथ महीने के अंत में गैर-स्थायी सदस्य के रूप में भारत के दो साल का कार्यकाल का खत्म हो जाएगा। इस दौरान टेररिज्म और अन्य वैश्विक चुनौतियों के मुद्दे पर चर्चाएं होंगी।

UNSC का स्थायी सदस्य नहीं है भारत
भारत काफी समय से सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने का प्रयास कर रहा है, लेकिन भारत की राह में सबसे बड़ा रोड़ा चीन है। चीन के अलावा फ्रांस, अमेरिका, रूस और ब्रिटेन भारत को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने पर अपनी सहमति जता चुके हैं, लेकिन चीन अलग-अलग बहानों से भारत की स्थायी सदस्यता का विरोध करता रहा है।

इसके अलावा कई बार UNSC के स्ट्रक्चर में बदलाव की मांगें भी उठती रही हैं। तर्क दिया जाता है कि UNSC में विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व कम है, लेकिन स्थायी सदस्य नहीं चाहते कि इसमें किसी तरह का बदलाव हो और किसी दूसरी देश को वीटो पॉवर मिले। भारत के अलावा जापान, जर्मनी और ब्राजील भी सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने का प्रयास कर रहे हैं।

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