देश

जज को रोज ‘जज’ किया जाता है…. विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी

नई दिल्ली: देश की शीर्ष अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट मद्रास हाई कोर्ट में एडिशनल जज के तौर पर शपथ लेने वालीं विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति पर सुनवाई कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्ति के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज कर दिया लेकिन इस बीच एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने कहा कि एक जज को रोजाना परखा जाता है। उसे वकीलों और वादियों व पब्लिक की ओर से रोज ओपन कोर्ट में परखा जाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह कॉलिजियम की सिफारिश या उसकी ओर से नियुक्ति के लिए जज के नाम को फाइनल किए जाने को रद्द नहीं कर सकता है। ज्यूडिशियल रिव्यू के शक्ति का इस्तेमाल कर कॉलिजियम के फैसले को रद्द नहीं किया जा सकता है। जस्टिस एलसी विक्टोरिया गौरी को हाई कोर्ट के जस्टिस के तौर पर नियुक्ति के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उक्त फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सात फरवरी को अर्जी खारिज कर दी थी और अब आदेश की कॉपी ऑनलाइन अपलोड हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि सुनवाई के दौरान यह स्वीकार किया गया था कि कई लोगों का राजनीतिक बैकग्राउंड होता है और उन्हें जज के तौर पर नियुक्त किया गया और एक उपयुक्त शख्स को इस आधार पर बार नहीं किया जा सकता है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 7 फरवरी को उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था। जिसमें मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस के तौर पर एडवोकेट एल सी विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति को चुनौती दी गई थी। एडवोकेट गौरी को हाई कोर्ट के जस्टिस के तौर पर मंगलवार को शपथ दिलाई गई।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button