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खल अघ अगुन साधु गुन गाहा…रामचरितमानस की इस चौपाई को चरितार्थ कर रहे बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह को जानिए

पटना : बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर सिंह विवादों में घिर गये हैं। उन्होंने रामचरितमानस पर सवाल उठाया है। मानस को उन्होंने नफरत फैलाने वाला और महिलाओं को शिक्षा से दूर रखने वाला बताया है। मंत्री के बयान के बाद सियासी बवाल मच गया है। कौन हैं प्रो. चंद्रशेखर सिंह। जिन्होंने ऐसा बयान दिया है। हम आपको चंद्रशेखर सिंह से जुड़ी एक-एक जानकारी देंगे। उससे पहले आप तुलसीदास रामचरित मानस में ऐसे लोगों के लिए क्या कहते हैं जान लीजिए। तुलसीदास ने रामचरित मानस के बालकांड में लिखा है कि जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी। भावार्थ ये है कि जिनकी निंदा-आलोचना करने की आदत हो गई है, दोष ढूंढने की आदत पड़ गई है, वे हज़ारों गुण होने पर भी दोष ढूंढ लेते हैं! संत कहते हैं कि चंद्रशेखर सिंह ने अपने बयान से यही साबित किया है। उनकी मंशा जैसी रामचरित मानस को देखने की है। जैसा उन्होंने बोला है, वैसी ही है।

संतों का चंद्रशेखर पर हमला

संत प्रवृत्ति के लोग कहते हैं कि तुलसीदास रामचरित मानस में समय-समय पर वैसी बुद्धि वाले लोगों के लिए चौपाई की रचना की है, जो दुष्ट प्रवृत्ति के होते हैं। वे लिखते हैं- खलन्ह हृदय अति ताप बिसेषी। जरहिं सदा पर संपति देखी। भावार्थ ये है कि दुष्टों के हृदय में बहुत अधिक संताप रहता है। वे दूसरों की संपत्ति देखकर सदा जलते रहते हैं। वे जहां कहीं दूसरे की निंदा सुनते हैं, खुश ऐसे होते हैं, जैसे कोई खजाने को देखकर होता है। कवि तुलसीदास एक अन्य चौपाई में कहते हैं कि खल अघ अगुन साधु गुन गाहा। उभय अपार उदधि अवगाहा मतलब दुष्टों के पापों और अवगुणों की और साधुओं के गुणों की कथाएं- दोनों ही अपार और अथाह समुद्र हैं। इसी से कुछ गुण और दोषों का वर्णन किया गया है। बिना पहचाने उनका ग्रहण या त्याग नहीं हो सकता। चंद्रशेखर के बयान के बाद लोगों में काफी आक्रोश है। उन्होंने चौपाई का उदाहरण देते हुए चंद्रशेखर सिंह के व्यक्तित्व का वर्णन किया।

तीन बार चुनाव में विजयी रहे

चंद्रशेखर सिंह महागठबंधन की सरकार में मधेपुरा से राजद के विधायक हैं। जानकार मानते हैं कि चंद्रशेखर सिंह का ये बयान लोगों को आहत करने वाला है। उन्हें इस तरह के बयान से बचना चाहिए और लोगों से माफी मांगनी चाहिए। चंद्रशेखर सिंह ने दूसरी बार बिहार सरकार में मंत्री बने हैं। इससे पहले 2015 में महागठबंधन की सरकार में उन्हें आपदा प्रबंधन मंत्री बनाया गया था। चंद्रशेखर सिंह ने लगातार तीसरी बार चुनाव जीतकर हैट्रिक लगाई है। चंद्रशेखर सिंह ने 2020 के चुनाव में पप्पू यादव और जेडीयू के प्रवक्ता निखिल मंडल को हरा दिया था। 2010 में पहली बार विधायक बनने वाले चंद्रशेखर सिंह की सरकार के अंदर पैठ मानी जाती है। तेजस्वी यादव के बेहद करीब बताये जाने वाले चंद्रशेखर पर लालू यादव भी विश्वास करते हैं। 61 वर्षीय चंद्रशेखर सिंह ने साइंस में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा किया है। उनकी कुल संपति 2 करोड़ 28 लाख 44 हजार 711 है। उनके ऊपर बैंक का 50 लाख रुपये बकाया है और मंत्री पर तीन मुकदमे चल रहे हैं।

चंद्रशेखर ने क्या कहा ?

राज्य के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने बुधवार को नालंदा खुला विश्वविद्यालय (एनओयू) के 15वें दीक्षांत समारोह के दौरान उन्होंने कहा कि मनुस्मृति, रामचरितमानस, गुरु गोलवलकर के बंच ऑफ थॉट्स हैं। यह ग्रंथ नफरत फैलाने वाले ग्रंथ हैं। नफरत देश को महान नहीं बनाएगा, देश को मोहब्बत महान बनाएगा। शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने विवादित बयान देते हुए ‘रामचरितमानस’ को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया। मंत्री चंद्रशेखर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि रामचरितमानस ग्रंथ समाज में नफरत फैलाने का ग्रंथ है। यह समाज में दलितों, पिछड़ों और महिलाओं को पढ़ाई से रोकता है। उन्हें उनका हक दिलाने से रोकता है। उन्होंने कहा कि मनुस्मृति को क्यों जलाया गया, क्योंकि उसमें एक बड़े तबके के खिलाफ अनेकों गालियां दी गईं। रामचरितमानस का क्यों प्रतिरोध हुआ और किस अंश का प्रतिरोध हुआ? उन्होंने कहा कि मनुस्मृति ने समाज में नफरत का बीज बोया। फिर उसके बाद रामचरित मानस ने समाज में नफरत पैदा की। बता दें, इससे पहले राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद प्रसाद सिंह भी राम मंदिर को लेकर बयान दे चुके हैं।

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