उत्तर प्रदेश

कुछ देर में होगी रिहाई, मोनिंदर सिंह पंढेर का दूसरा परवाना भी पहुंचा जिला जेल

ग्रेटर नोएडा। साल 2006 में हुए निठारी कांड में 17 साल बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट से बरी होने के बाद शुक्रवार को मोनिंदर सिंह पंढेर जेल से भी रिहा हो जाएगा।

गौरतलब मोनिंदर पंधेर का दूसरा परवाना भी गौतमबुद्ध नगर जिला जेल पहुंच गया है। बताया जा रहा है कि पंढेर की जेल से कभी भी रिहाई हो सकती है। जेल के बाहर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।

पंढेर को लेने उसका बेटा जेल आ रहा है। पंढेर के अधिवक्ता पहले ही पहुंच चुके हैं।

कोर्ट ने 16 अक्टूबर को किया था बरी

नोएडा में निठारी गांव के 17 वर्ष पुराने जिस जघन्य कांड ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था, उसके अभियुक्तों मोनिंदर सिंह पंधेर और सुरेंद्र कोली को सजा दिलाने में अभियोजन नाकामयाब रहा।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को दोनों को निर्दोष करार देते हुए सीबीआइ कोर्ट गाजियाबाद द्वारा सुनाई गई फांसी की सजा को रद कर दिया।

सीबीआई कोर्ट ने पंधेर को दो और कोली को 12 मामलों में फांसी की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट ने कहा कि यदि किसी अन्य मामले में वांछित न हों तो दोनों अभियुक्तों को रिहा किया जाए। हाई कोर्ट ने 2010 से 2023 तक चली 134 सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया है।

न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति एसएचए रिजवी की खंडपीठ ने फैसला 14 सितंबर को सुरक्षित कर लिया था। सीबीआइ के अधिवक्ता का कहना है कि निर्णय का अध्ययन करने के बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की जा सकती है।

यह फैसला इस वजह से ऐतिहासिक कहा जा रहा है कि एक साथ 12 अपराधों में मिली फांसी की सजा हाई कोर्ट ने संभवत: पहली बार रद की है।

कब क्या हुआ

29 दिसंबर, 2006: नोएडा में मोनिंदर सिंह पंधेर के घर के पीछे नाले से 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले। मोनिंदर सिंह पंधेर और सुरेंद्र कोली गिरफ्तार।

8 फरवरी, 2007: पंधेर व कोली को 14 दिन की सीबीआइ हिरासत में भेजा गया।

मई 2007: सीबीआइ ने पंधेर को चार्जशीट में अपहरण, दुष्कर्म और हत्या में आरोपमुक्त कर दिया था। दो माह बाद कोर्ट की फटकार पर उसे सह अभियुक्त बनाया।

13 फरवरी, 2009: विशेष अदालत ने पंधेर और कोली को 15 वर्षीय किशोरी के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई। यह पहला फैसला था।

3 सितंबर 2014: कोली के खिलाफ कोर्ट ने मौत का वारंट जारी किया।

4 सितंबर 2014: कोली को डासना जेल से मेरठ जेल फांसी के लिए ट्रांसफर किया गया।

12 सितंबर 2014: पहले सुरेंद्र कोली को फांसी दी जानी थी। वकीलों के समूह डेथ पेनाल्टी लिटिगेशन ग्रुप्स ने कोली को मृत्युदंड दिए जाने पर पुनर्विचार याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजा।

12 सितंबर 2014: सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा पर 29 अक्टूबर 2014 तक रोक लगाई।

28 अक्टूबर 2014: सुरेंद्र कोली की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका खारिज की।

वर्ष 2014: राष्ट्रपति ने भी दया याचिका रद कर दी।

28 जनवरी, 2015: हत्या मामले में कोली की फांसी की सजा को हाइ कोर्ट ने उम्रकैद में तब्दील कर दिया।

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