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‘संसद सदस्य बने रहने का नैतिक हक नहीं…’, साध्वी प्रज्ञा के ‘हेट स्पीच’ पर 100 से ज्यादा पूर्व नौकरशाहों का खुला खत

नई दिल्ली : देश के 100 से अधिक पूर्व नौकरशाहों ने कथित ‘भड़काऊ भाषण’ देने के लिए भोपाल से बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। पूर्व नौकरशाहों ने कर्नाटक में दिए गए ठाकुर के एक भाषण को लेकर दावा किया कि यह ‘गैर-हिंदू समुदायों के खिलाफ नफरत फैलाने’ वाला है। एक खुले पत्र में उन्होंने कहा कि ठाकुर ने बार-बार ‘भड़काऊ भाषण देने और नफरत फैलाने’ के चलते संसद सदस्य होने का नैतिक अधिकार खो दिया है।

पत्र में कहा गया, ‘संसद के सदनों पर एक विशेष जिम्मेदारी होती है, जो देश के लिए कानून बनाते हैं। निश्चित रूप से इसके सदस्यों को संविधान के सिद्धांतों का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।’ इसमें कहा गया, ‘इसलिए, हम लोकसभा के माननीय अध्यक्ष से आग्रह करते हैं कि इस मामले को उचित कार्रवाई के लिए लोकसभा की आचार समिति को तत्काल भेजें।’

इससे पहले 25 दिसंबर को कर्नाटक के शिवमोगा जिले में हिंदू जागरण वेदिके की दक्षिणी क्षेत्रीय इकाई के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए सांसद ठाकुर ने कथित तौर पर कहा था कि ‘हमारे घरों में घुसपैठ’ करने वालों को माकूल जवाब दें। ठाकुर ने ‘हिंदू कार्यकर्ताओं की हत्या’ की घटनाओं के मद्देनजर कहा था कि हिंदुओं को उन पर और उनकी गरिमा पर हमला करने वालों को जवाब देने का अधिकार है।

पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले 103 लोगों में दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन, भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी ए.एस. दुलत, जूलियो रिबेरो और अमिताभ माथुर तथा भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी टी.के.ए. नायर और के. सुजाता राव शामिल हैं।

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