उत्तर प्रदेशक्राइमराज्य

शौहर समेत सास-ससुर को फांसी की सजा, दहेज की खातिर विवाहिता को उतारा था मौत के घाट

बरेली: फास्ट ट्रैक कोर्ट बरेली के जज रवि कुमार दिवाकर ने कविताओं का वर्णन करते हुए दहेज हत्या के एक मामले में पति और सास-ससुर को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई है. उन्होंने अपने आदेश में लिखा- ‘शायद पत्नी के गुणों से ज्यादा, उस पति को भी पैसों से प्यार था, दहेज में आई गाड़ी, घोड़ों का यह लालच, उस पति में भी बेशुमार था, लालच की हद उन्हें, इस मुकाम पर ले आई थी, उस मासूम प्यारी बहू पर, गड़ासे की धार चलाई थी.”

बरेली के थाना नाबाबगंज के ग्राम जोराजय नगर में 1 मई 2024 को एक विवाहित महिला की पति सास ससुर ने गड़ासे से गला काट कर निर्मम हत्या कर दी थी. आज फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम जज रवि कुमार ने तीनो को फांसी की सजा सुनाई है. इसके अलावा 5 लाख 40 हजार रुपए का आर्थ दंड भी लगाया है. जज ने अपने निर्णय में तीन कविताओं का उल्लेख किया है.

हजरत मोहम्मद साहब का कथन है कि “निकाह मेरी सुन्नत है, जो लोग जीवन के इस ढंग को नहीं अपनाते हैं वे मेरे अनुयायी नहीं हैं.” मुस्लिम समाज में निकाह को एक बहुत ही पुण्य कार्य माना गया है. मुस्लिम विधि की प्रसिद्ध पुस्तक रघुल मोहतार में यह कहा गया है कि “बाबा आदम के समय से आज तक हम लोगों के लिए रखा गया और जन्नत में भी होने वाला कोई ऐसा इबादत का कार्य नहीं है, सिवाय निकाह और इमान के.”

मुस्लिम एवं ईसाई समाज में ‘बाबा आदम’ को बड़ा महत्व दिया गया है. ‘हजरत आदम’ जिन्हें बाबा आदम भी कहा जाता है, को इस्लाम तथा ईसाई धर्म में मानव जाति का आदि पुरुष अर्थात प्रथम मानव माना जाता है और यह भी माना जाता है कि समस्त मानव जाति की उत्पत्ति बाबा आदम से ही हुई है.

ऐसा माना जाता है कि खुदा को सारी सृष्टि अर्थात पशु-पक्षी, फरिश्ते, देव, जिन्न आदि रचने के बाद भी संतोष नहीं हुआ, तब खुदा ने अपनी आकृति के समान एक प्राणी बनाने का निश्चय किया. मिट्टी को पानी में सानकर खुदा ने एक पुतला बनाया और उसमें आत्मा डालकर मानव उत्पन्न किया और उसे रहने के लिए जन्नत में जगह भी दे दी. यही हजरत आदम अर्थात बाबा आदम कहलाए.

सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता दिगम्बर सिंह ने बताया की आज फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम रवि कुमार दिवाकर ने एक दहेज हत्या के मामले में सास-ससुर और पति को फांसी की सजा सुनाई है. इस मुकदमे में 8 गावाहों को पेश किया गया था. कोर्ट के आर्डर में तीन कविताओं का उल्लेख किया गया है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button