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Rahul Gandhi की सांसदी जाने पर छिड़ा नरैटिव वॉर: OBC वाला ‘ब्रह्मास्त्र’ चलेगी BJP, तो कांग्रेस का भी दांव तैयार

नई दिल्ली: राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता छिनने के बाद कांग्रेस और भाजपा के बीच पर्सेप्शन वॉर शुरू हो चुका है। चार राज्यों में जल्द ही चुनाव होने हैं, जिसमें से दो ऐसे हैं जहां भाजपा और कांग्रेस में सीधा मुकाबला है। कांग्रेस विक्टिम कार्ड खेलते हुए वोटरों की सहानुभूति बटोरना चाहेगी जबकि भाजपा की कोशिश होगी कि वह राहुल के बयान को OBC का अपमान प्रचारित कर पिछड़े वर्ग का समर्थन हासिल कर जीत दर्ज करे। इन चुनावों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के बीच सीधी फाइट के तौर पर मानने में भी भाजपा को कोई गुरेज नहीं होगा। राजनीतिक शोध संगठन लोकनीति नेटवर्क के राष्ट्रीय समन्वयक संदीप शास्त्री ने हमारे सहयोगी अखबार ET से कहा, ‘कांग्रेस विक्टिम कार्ड खेलना चाहती है और कहेगी कि हमारे नेता को गलत तरीके से टारगेट किया जा रहा है। पॉलिटिक्स में राहुल गांधी नैतिक आधार पर आगे बढ़ेंगे वहीं, भाजपा ओबीसी समुदाय के अपमान को भुनाने की कोशिश करेगी। हालांकि यह कितना काम करेगा, देखना दिलचस्प होगा।’

भाजपा और कांग्रेस के नरैटिव
राजनीतिक एक्सपर्ट ने आगे कहा कि बीजेपी ऐसा नरैटिव तैयार कर रही है कि यह अटैक एक ऐसे प्रधानमंत्री पर किया गया , जो ओबीसी हैं। बीजेपी नेताओं को लगता है कि यह रणनीति उनके हित में काम कर सकती है क्योंकि कांग्रेस के ज्यादातर क्षेत्रीय नेता ओबीसी हैं और वे विधानसभा चुनावों में पार्टी का चेहरा भी हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके पूर्व डेप्युटी सचिन पायलट, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनकी पार्टी के साथी डीके शिवकुमार, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल सभी ओबीसी नेता हैं और उनकी न केवल अपनी जाति में बल्कि राज्य के पिछड़े समुदायों में अच्छी पकड़ है।

राजस्थान में ट्रेंड देखा गया है कि हर पांच साल में सरकार बदल जाती है। कर्नाटक में भाजपा के सामने सत्ता बरकरार रखने की चुनौती है और छत्तीसगढ़ में नई सरकार बनाने का लक्ष्य है। मध्य प्रदेश में भी कठिन चुनौती है क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी को बहुमत नहीं मिला था, बाद में कांग्रेस से टूटकर आए विधायकों की मदद से सरकार बनाई जा सकी।
पहला टेस्ट कर्नाटक में
दोनों पार्टियों का पहला टेस्ट कर्नाटक में होने वाला है जहां सिद्धारमैया के रूप में कांग्रेस के पास एक मजबूत ओबीसी नेता है। वह कुरबा जाति से आते हैं और अपनी ‘Ahinda’ रणनीति के तहत वह ओबीसी, अल्पसंख्यक और दलितों को साथ लाने की कोशिश फिर करेंगे। इस फॉर्म्युले में राज्य की 80 फीसदी आबादी आ जाती है। दूसरी तरफ भाजपा को अपने वयोवृद्ध नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा पर भरोसा है, जो लिंगायत समुदाय से आते हैं। उनके जरिए भाजपा ओबीसी वोट हासिल करने की कोशिश करेगी।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और कर्नाटक के विधायक सीटी रवि ने ET से कहा, ‘देश के सबसे बड़े नेता और एक ओबीसी, मोदी के खिलाफ बदजुबानी का मुद्दा पिछड़े समुदायों में गूंजेगा और विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को इसकी कीमत चुकानी होगी।’ दो दिन पहले सांसदी छीने जाने के बाद पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने कहा था कि यह मुद्दा ध्यान भटकाने की कोशिश है।
कर्नाटक में OBC फैक्टर
कर्नाटक के चुनाव में ओबीसी समुदाय ही जीत हार तय करता आ रहा है। भाजपा के मजबूत होने के बाद राज्य में ओबीसी वोटर भी बंट गए। यहां करीब 60 प्रतिशत आबादी ओबीसी समुदाय की है।
सूरत कोर्ट ने 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में ‘मोदी सरनेम’ वाले बयान के लिए राहुल गांधी को दो साल जेल की सजा सुनाई है। उन्हें दोषी करार दिए जाने की तारीख से लोकसभा से भी अयोग्य घोषित कर दिया गया। जब भाजपा राहुल की टिप्पणी से ओबीसी के अपमान का आरोप लगाने लगी तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पलटवार किया। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस ने पिछड़े वर्गों के लिए बहुत कुछ किया है। इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा कि मुझ जैसे ओबीसी नेता को तीसरी बार CM बनाया है।’

गहलोत ने आरोप लगाया कि 2017 में जब भाजपा गुजरात चुनाव हार रही थी, तब मोदी ने वहां ओबीसी कार्ड खेला था। भाजपा फिर से ओबीसी को गुमराह करना चाहती है। उन्होंने सवाल किया, ‘क्या नीरव मोदी और ललित मोदी जैसे भगोड़े OBC हैं। आप भगोड़ों को बचा रहे हैं और कह रहे हैं कि राहुल गांधी ने ओबीसी का अपमान किया है।’

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