तुर्किये में किसी को नहीं मिले 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट, अब 28 मई को होगा राष्ट्रपति पद के लिए आखिरी मुकाबला

अंकारा : तुर्किये में 28 मई को अब राष्ट्रपति पद के लिए रनऑफ इलेक्शन यानी निर्णायक मुकाबला होगा क्योंकि रविवार को राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन और उनके प्रतिद्वंद्वी केमल किलिकडारोग्लू किसी को भी आधे से अधिक वोट हासिल नहीं हुए। वोटर्स ने एर्दोगन की सत्तारूढ़ जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी (एकेपी) और सहयोगी नेशनलिस्ट मूवमेंट पार्टी (एमएचपी) के बहुमत को बनाए रखने के लिए संसद के लिए भी अपने वोट डाले। एर्दोगन इस चुनाव में विपक्षी दलों के गठबंधन का नेतृत्व करने वाले किलिकडारोग्लू की ओर से कड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं।
नतीजों पर नजर रखने वाली Anadolu एजेंसी के अनुसार खोले गए 94.24 प्रतिशत बैलेट बॉक्स में से 49.59 प्रतिशत वोट एर्दोगन को और 44.67 प्रतिशत किलिकडारोग्लू को मिले। वोटों की गिनती होते ही एर्दोगन ने ट्वीट किया, ‘मैं अपने सभी नागरिकों को बधाई देता हूं जिन्होंने लोकतंत्र के नाम पर मतदान किया और चुनाव में भाग लिया।’ तीसरे उम्मीदवार Ancestor Alliance के सिनान ओगन को करीब पांच प्रतिशत वोट हासिल हुए और उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वियों को स्पष्ट जीत से रोक दिया। अब यह देखा जाना अहम होगा कि वह किसका समर्थन करते हैं।
एर्दोगन के लिए बड़ी चुनौती
आर्थिक संकट और लोकतांत्रिक व्यवस्था के विघटन से जूझ रहे तुर्किये में अत्यंत महत्वपूर्ण माने जा रहे संसदीय और राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए रविवार को मतदान हुआ। यह चुनाव तुर्किये के राष्ट्रपति एर्दोगन के लिए उनके दो दशक के कार्यकाल की सबसे बड़ी चुनौती माना जा रहा है। चुनाव परिणाम तय करेंगे कि एर्दोगन अगले पांच साल के लिए पद पर बने रहेंगे या देश उस पथ पर आगे बढ़ेगा जिसे प्रमुख विपक्षी दल अधिक लोकतांत्रिक बता रहे हैं। इससे पहले जनमत सर्वेक्षणों में कहा गया था कि रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी के नेता और संयुक्त विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवार किलिकडारोग्लू को हल्की बढ़त मिल सकती है।
क्या हैं किलिकडारोग्लू के वादे?
नियमों के अनुसार अगर किसी उम्मीदवार को 50 प्रतिशत से अधिक वोट नहीं मिलते हैं तो पहले दौर के शीर्ष दो उम्मीदवारों के बीच 28 मई को निर्णायक मुकाबला होगा। इस चुनाव में विदेशों में बसे 34 लाख लोगों समेत 6.4 करोड़ से अधिक मतदाता मतदान करने के योग्य थे। किलिकडारोग्लू के छह दलों वाले गठबंधन ‘नेशन एलायंस’ ने कार्यकारी राष्ट्रपति प्रणाली को समाप्त करने और देश में संसदीय लोकतंत्र की वापसी का संकल्प लिया है। उन्होंने न्यायपालिका और केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता स्थापित करने, संतुलन कायम करने और एर्दोगन के शासन के तहत मुक्त भाषण और असहमति की आवाज पर लगे प्रतिबंध हटाने का भी वादा किया है।