अब गाड़ियों के हॉर्न से नहीं खराब होगा आपका दिमाग…गूंजेगी शहनाई… बजेगी बांसुरी! आ रहा है नया नियम

आप कहीं ट्रैफिक में फंसे हैं या सड़क पर अपनी लेन में जा रहे हैं, अचानक आपको कर्कश हॉर्न की आवाज सुनाई देती है और आपका दिमाग खराब हो जाता है। दरअसल, भारत के ज्यादातर राज्यों में लोग वाहन चलाते समय हॉर्न का इतना बेवजह इस्तेमाल करते हैं कि यह साउंड पॉल्यूशन को बढ़ा देता है। ऐसे में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी गाड़ियों के हॉर्न में इंडियन म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट्स की आवाज को इस्तेमाल करने से जुड़े कानून बनाने की योजना बना रहे हैं। उनका मानना है कि इससे हॉर्न सुनना सुखद होगा।
नया कानून बनाने पर विचार
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस नई योजना के बारे में बताते हुए कहा कि वे एक ऐसा कानून बनाने पर विचार कर रहे हैं, जिससे वाहनों के हॉर्न में भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों की आवाज का इस्तेमाल हो। उनका मानना है कि इससे हॉर्न की आवाज सुखद लगेगी और लोगों को परेशानी नहीं होगी। गडकरी ने यह बात नवभारत टाइम्स के 78वें स्थापना वर्ष समारोह में कही। उन्होंने परिवहन क्षेत्र से होने वाले वायु प्रदूषण और हरित ईंधन के इस्तेमाल पर भी बात की।
हॉर्न से अब कर्कश नहीं, मधुर आवाज निकलेगी: गडकरी
नितिन गडकरी चाहते हैं कि गाड़ियों के हॉर्न में बांसुरी, तबला, वायलिन और हारमोनियम जैसे भारतीय वाद्ययंत्रों की आवाज हो। इसका मतलब है कि अब गाड़ियों के हॉर्न कर्कश नहीं, बल्कि मधुर संगीत जैसे सुनाई देंगे। केंद्र सरकार देश में सड़कों और परिवहन व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। उनका लक्ष्य है कि भारत में प्रदूषण कम हो और लोगों को आरामदायक यात्रा का अनुभव मिले।
‘वायु प्रदूषण चिंताजनक’
नितिन गडकरी ने वायु प्रदूषण के बारे में चिंता जताते हुए कहा कि देश में वायु प्रदूषण का 40 फीसदी परिवहन क्षेत्र से होता है, इसलिए सरकार मेथनॉल और इथेनॉल जैसे हरित ईंधन से चलने वाले वाहनों को बढ़ावा दे रही है। इससे प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी।
दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा वाहन बाजार
आपको बता दें कि भारत दोपहिया वाहन और कारें दूसरे देशों को बेचकर खूब पैसा कमा रहा है। गडकरी ने बताया कि 2014 में भारतीय वाहन क्षेत्र 14 लाख करोड़ रुपये का था, जो अब बढ़कर 22 लाख करोड़ रुपये हो गया है। भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा वाहन बाजार बन गया है। उसने जापान को भी पीछे छोड़ दिया है। अब सिर्फ अमेरिका और चीन ही भारत से आगे हैं।