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पाकिस्‍तान नमक हराम पैदा करने में नंबर वन… सरेआम बेइज्‍जती पर ताली पीटते रहे पाकिस्‍तानी

इस्‍लामाबाद: पाकिस्‍तान के जाने-माने व्‍यंगकार अनवर मकसूद भारत में भी काफी मशहूर हैं। अब उनका एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वह एक बार फिर से अपने अंदाज में लोगों को ताली पीटने पर मजबूर कर रहे हैं। मकसूद ने अपने देश की स्थिति पर चुटीले अंदाज में तंज कसा है। मकसूद का यह वीडियो कब का है, इस बारे में कोई जानकारी नहीं है लेकिन उनका अंदाज लोगों को उनका दीवाना बना रहा है। मकसूद टीवी का एक जाना-माना चेहरा हैं और उनके कुछ शो भारत में भी लोग पसंद करते हैं।

वायरल हुई क्लिपिंग
मकसूद की जो क्लिपिंग वायरल हो रही है, उसमें वह यह कहते हुए नजर आ रहे, ‘मेरा मुल्‍क पाकिस्‍तान नमक पैदा करने वालों की लिस्‍ट में नंबर दो है, लेकिन नमक हराम पैदा करने में नंबर वन है।’ मकसूद का सीधा इशारा देश की खराब आर्थिक हालत और राजनीतिक संकट की तरफ था। इसके अलावा उन्‍होंने बॉलीवुड मूवी ‘पठान’ की आड़ में भी कई बातें ऐसी कहीं जो देश के राजनेताओं को चुभ सकती हैं। मकसूद ने कहा, ‘भारत में पठान फिल्‍म रिकॉर्ड तोड़ रही है और लगातार कामयाबी की तरफ है। पाकिस्‍तान में पठान पर एफआईआर पर एफआईआर करवाई जा रही है। मगर सुना है आने वाले इलेक्‍शंस में पाकिस्‍तानी पठान की एडवांस बुकिंग भारत के पठान से कहीं ज्‍यादा है।’

राजनीतिक स्थिति का जिक्र
पठान का जिक्र कर उन्‍होंने देश की राजनीतिक स्थिति की तरफ भी इशारा कर दिया। मकसूद ने अप्रत्‍यक्ष तरीके से पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ होने वाले बर्ताव की तरफ इशारा किया। सोमवार इमरान खान को लाहौर हाई कोर्ट की तरफ से जमानत दी गई है। अनवर मकसूद कुछ दिनों बाद एक स्‍टेज शो के जरिए देश के संकट को लोगों के सामने पेश करने वाले हैं। मकसूद और दवार महमूद का लिखा नाटक ‘साढ़े 14 अगस्‍त’ 27 फरवरी से 31 मार्च तक लाहौर में प्रदर्शित किया जाएगा। इस नाटक के जरिए मकसूद ने बंटवारे के बाद पाकिस्‍तान की स्थिति को बयां किया है। इस नाटक के मुख्‍य पात्र मोहम्‍मद अली जिन्‍ना और महात्‍मा गांधी हैं।

मकसदू का मशहूर नाटक

कई लोगों की मानें तो ऐसे समय में जब देश एक आर्थिक संकट में है, आतंकवाद बढ़ रहा है, खाने-पीने के सामान की कमी है और राजनीतिक अस्थिरता बढ़ रही है, मकसूद का नाटक लोगों की सोच बदलने के लिए काफी होगा। मकसूद अपने नाटक के जरिए दिखाने की कोशिश करेंगे कि कैसे दो नेताओं की विचारधारा में एक आम पाकिस्‍तानी फंसकर रह गया। उन्‍होंने इस नाटक के जरिए संदेश देने की कोशिश की है कि पाकिस्‍तान को अभी भी पूरी आजादी नहीं मिली है।

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